ASANSOL

दलितों व पिछड़े वर्गों के मसीहा बाबा साहेब : कृष्णा प्रसाद

बंगाल मिरर, दिल्ली : दिल्ली के पालम जनकपुरी द्वारका में बौद्ध समाज संघ विजय एनक्लेव की ओर से शुक्रवार विश्व रत्न भारत भाग्य विधाता भारतीय संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनायी गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि श्रद्धेय मोहन दास जी और श्रीमती सुदेशवती ने डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का उदघाटन किया। वहीं मुख्य वक्ता एडवोकेट सिद्धांत गौतम ने अपनी बहुमूल्य वक्तव्य पेश किया। कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित अतिथि पश्चिम बंगाल शिल्पांचल के विशिष्ट समाजसेवी सह व्यवसायी कृष्णा प्रसाद को सम्मानित किया गया।

कृष्णा प्रसाद ने डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृष्णा प्रसाद ने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर एक प्रसिद्ध राजनीतिक नेता, दार्शनिक लेखक, अर्थशास्त्री, न्याय विद, बहु भाषा विद, धर्म दर्शन के विद्वान और समाज सुधारक थे। जिन्होंने भारत में छुआछूत और सामाजिक और सामाजिकता के उन्मूलन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका मानना था कि अस्पृश्यता को हटाए बिना राष्ट्र की प्रगति नहीं हो सकती है। वह भारत में दलितों व पिछड़े वर्गों के मसीहा थे।

बाबा साहेब ने भारत के संविधान निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाई जिसके चलते उन्हें संविधान का जनक भी कहा जाता है। कृष्णा प्रसाद ने आगे कहा कि वह दलितों और पिछड़ों को उनका अधिकार दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। उन्होंने हमेशा मजदूर वर्ग वह महिलाओं के अधिकार का सम्मान किया। अपने दम पर भारत के पहले कानून मंत्री पद तक पहुंचे। बाबासाहेब कहते थे कि वह ऐसे धर्म को मानते हैं स्वतंत्रता समानता और भाईचारा सिखाता है। उनका मानना था जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए। उन्होंने शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया। शिक्षा के बिना सब कुछ अधूरा रहता है। मरणोपरांत बाबासाहेब अंबेडकर को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *