कांग्रेस ने लोकसभा में NDA के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव किया पेश, जानें क्या है प्रक्रिया
बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता :(know all about no confidence motion ) मणिपुर हिंसा मुद्दे पर संसद में गतिरोध के बीच, कांग्रेस ने आज (बुधवार), 26 जुलाई 2023 को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। पहले स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो पार्टी सांसद गौरव गोगोई ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इसके पश्चात लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा कि वह इस पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे और प्रस्ताव पर चर्चा के लिए उचित समय के बारे में सूचित करेंगे।




नियम 198 के अंतर्गत मंत्रिपरिषद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा में 12 बजे कार्यवाही शुरू होने के थोड़े समय बाद इस संबंध में अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि उन्हें सदस्य गौरव गोगोई की ओर से नियम 198 के अंतर्गत मंत्रिपरिषद में अविश्वास का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। इसके बाद प्रस्ताव को सदन में पेश किए जाने की अनुमति के लिए समर्थन देने वाले सांसद अपने स्थान पर खड़े हुए । अनुमति के लिए आवश्यक संख्या को देखते हुए अध्यक्ष ने प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी।
नियमों के तहत उचित समय पर होगी चर्चा
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव की अनुमति दी जाती है। उन्होंने कहा कि सभी दलों से चर्चा करके और नियमों के तहत उचित समय पर चर्चा की तिथि से सभी को अवगत करा दूंगा।
पिछले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव लाया था विपक्ष, जनता ने सिखाया था सबक
बताना चाहेंगे इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर भरोसा है। संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, विपक्ष पिछले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव लाया था और जनता ने उन्हें सबक सिखाया था।
उल्लेखनीय है कि मणिपुर मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से आज लोकसभा में अविश्वास का नोटिस दिया गया था। विपक्ष लगातार मणिपुर के हालात और वहां दो महिलाओं के साथ हुई अभद्रता का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री से इस पर बयान की मांग कर रहा है।
कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार (25 जुलाई) को मीडिया से कहा था कि विपक्ष को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करना होगा।
लोकसभा में किस पार्टी के कितने सांसद ?
1. भारतीय जनता पार्टी-301
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस- 50
3. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम – 24
4. अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस-23
5. युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी- 22
6.शिवसेना-19
7. जनता दल (यूनाइटेड)-16
8. बीजू जनता दल-12
9.बहुजन समाज पार्टी-9
10. तेलंगाना राष्ट्र समिति- 6
11. लोक जन शक्ति पार्टी- 5
12. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-3
13. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)-3
14. स्वतंत्र-3
15. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग- 3
16. जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस-3
17. समाजवादी पार्टी-3
18. तेलुगु देशम पार्टी-2
19. अपना दल (सोनीलाल)-2
20. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-2
21. शिरोमणि अकाली दल-1
22. आम आदमी पार्टी-1
23. आजसू पार्टी-1
24. अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम-1
25. ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट-1
26. जनता दल (सेक्युलर)-1
27. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा-1
28. केरल कांग्रेस (एम)-1
29. मिज़ो नेशनल फ्रंट-1
30. नागा पीपुल्स फ्रंट-1
31. नेशनल पीपुल्स पार्टी-1
32. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी-1
33. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी-1
34. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी-1
35. शिरोमणि अकाली दल (सिमरनजीत सिंह मान)-1
36. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा-1
37. विदुथलाई चिरुथिगल काची-1
अविश्वास प्रस्ताव क्या है ?
अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रक्रिया है, जिसके तहत विपक्ष सरकार को चुनौती दे सकता है। अगर प्रस्ताव पास हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। हालांकि, यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है। मॉनसून सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की है। इसके लिए कांग्रेस की तरफ से नोटिस दिया गया है जिसे लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि अभी बहस की तारीख का नहीं बतलाई गई है।
दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसी संसदीय प्रक्रिया है जिसका उपयोग विपक्ष द्वारा सरकार के विश्वास की कमी को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। वहीं ऐसी स्थिति में अपना विश्वास बनाए रखने के लिए सत्तारूढ़ दल को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है। अगर यह बहुमत खो दिया, तो सरकार तुरंत गिर जाती है। सरकार तभी तक सत्ता में रह सकती है जब तक उसके पास लोकसभा में बहुमत है।
विपक्ष का हथियार
अविश्वास प्रस्ताव अक्सर विपक्ष द्वारा उपयोग किया जाने वाला ऐसा रणनीतिक उपकरण है जो उन्हें सदन में सवाल उठाने की अनुमति देता है। सत्ताधारी सरकार की विफलताओं को उजागर करने और सदन में चर्चा करने के लिए यह विपक्ष को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाता है। यदि प्रस्ताव सदन में पारित हो जाता है, तो पूरी कैबिनेट सहित प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है।
लोकसभा का विशेष अधिकार
केवल विपक्ष ये प्रस्ताव ला सकता है और इसे लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है, राज्यसभा में नहीं। संसद में कोई भी पार्टी सरकार और सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। संविधान के अनुच्छेद-75 के अनुसार, मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। सत्ता में बने रहने के लिए सत्तारूढ़ सरकार को बहुमत साबित करना होगा।
अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा के नियमों के अनुसार लाया जाता है। इसके नियम 198(1) एवं 198(5) के अंतर्गत लोकसभा में इसे केवल अध्यक्ष के बुलाने के बाद ही पेश किया जा सकता है। इसे सदन में लाकर महासचिव को सुबह 10 बजे तक लिखित में देना होगा। इसके लिए सदन के कम से कम 50 संसद सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है तो राष्ट्रपति इसके लिए एक या एक से अधिक दिन बहस के लिए निर्धारित करते हैं। भारत के राष्ट्रपति सरकार को बहुमत साबित करने के लिए भी कह सकते हैं। अगर सरकार ऐसा करने में असमर्थ होती है तो मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है, अन्यथा उसे बर्खास्त कर दिया जाता है। यदि सरकार जीत जाती है तो सत्ता में बनी रहती है।
पिछली सरकारों पर अविश्वास प्रस्ताव का प्रभाव
अविश्वास प्रस्ताव को ऐतिहासिक रूप से सरकार को जवाबदेह बनाए रखने के लिए विरोध के एक रूप के रूप में इस्तेमाल किया गया है। यह सरकारों को गिराने में सहायक रहा है, खासकर जब गठबंधन सरकारें रही हों। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी तक, कई नेताओं को इस प्रस्ताव का सामना करना पड़ा है। जबकि मोरारजी देसाई, चरण सिंह, वीपी सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने अविश्वास प्रस्ताव के कारण अपनी सरकारें गिरती देखीं। हालांकि 2018 में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के सामने आया आखिरी अविश्वास प्रस्ताव 199 वोटों से हार गया था। उस समय एनडीए को 314 वोट मिले थे। वर्ष 2018 में अविश्वास प्रस्ताव तेलुगु देशम पार्टी द्वारा लाया गया था और तब कई दल विपक्ष में थे जिन्होंने इसका समर्थन किया था। तब सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष थीं जिन्होंने विश्वास मत की अनुमति दी थी।