उद्योगों की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी का पूर्वी भारत दौरा
लघु उद्योगों की तरफ से इंडियन काउंसिल ऑफ स्माल इंडस्ट्रीज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप भालोटीया का वक्तव्य
बंगाल मिरर, आसनसोल : भारत सरकार के सूक्ष्म , लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के सहयोग से 31 सदस्यीय पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के सांसदो की उपिस्थिति में कोलकाता के ताज बंगाल होटल में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के अलावा विभिन्न बैंकों के उच्चतम अधिकारी एवं उद्योगों से संबंधित विभागों के विभिन्न अधिकारियों ने भाग लिया। भारत सरकार के सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्रालय के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी श्रीमति इशिता गांगुली त्रिपाठी ने उद्योग मंत्रालय का नेतृत्व किया और अपनी विभाग की तरफ से विभिन्न विषयों पर चर्चा की ।पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, फाइनेंस श्री मनोज पंत, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्रालय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी श्री राजेश पांडे के अलावा अन्य विभिन्न अधिकारियों ने भाग लिया और उन्होंने राज्य सरकार द्वारा लघु उद्योगों के विकास पर किए जा रहे राज्य सरकार के कार्यों और आने वाले समय में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में उपस्थित सभी अधिकारियों, सांसदों एवं उद्योग संस्थाओं के साथ साझा किया।




कोलकाता के अलावा पूरे देश में श्रीनगर और विशाखापट्टनम में इस महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है एवं कोलकाता में इस 31 सदस्यीय सांसदों के दल का नेतृत्व उद्योगों की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष श्री तिरुचि शिवा ने किया और उन्होंने सभी सांसदों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हुए भारत सरकार के सूचना लघु उद्योग मंत्रालय के द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली।
इस कार्यक्रम में पूर्वी भारत के दो लघु उद्योग संस्थाओं को आमंत्रित किया गया था जिसमें इंडियन काउंसिल ऑफ स्माल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष श्री कुमार एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री संदीप भालोटीया ने लघु उद्योगों की तरफ से अपना पक्ष रखा एवं मंत्रालय के समक्ष अपनी चिंताएं , समस्याएं और समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण आयाम पर चर्चा की। श्री संदीप भालोटीया ने बताया कि उन लोगों ने नए एमएसएमई उद्योगों के लिए सही रूप में एक सिंगल विंडो स्कीम की मांग की । इसके अलावा उन्होंने छोटे उद्योगों के लिए श्रम विभाग के नियमों में सरलीकरण के लिए जोर दिया जिससे बहुत छोटे उद्योगों को आने वाली दिक्कतों का समाधान हो सके।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में खनन से संबंधित मंजुरी के लिए बहुत अधिक समय भी लग रहा है और यह खर्चीली तथा काफी दिक्कतों से भरी हुई है। क्योंकि हमारे राज्य और विशेष रूप से आसनसोल दुर्गापुर शिल्पांचल में विभिन्न उद्योगों में खनिज बहुतायत में व्यवहार किए जाते हैं और और ज्यादातर उद्योगों का कच्चा माल खनिज ही है। इस खनन संबंधी मंजुरी के लिए सभी उद्योगों को दिक्कतो का सामना करना पड़ता है और इसे कई उद्योग अपने पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं । उन्होंने बताया कि हमारे राज्य के आसपास कई देश हैं जो की सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं और जिससे निर्यात की बहुत अच्छी संभावनाएं हैं। अतः एक अच्छे माहौल को तैयार कर आसपास के कई देशों , जैसे कि बांग्लादेश , नेपाल , भूटान, को और ज्यादा से ज्यादा निर्यात किया जा सकता है। अतः इसके लिए एक अच्छे निर्यात माहौल, जो कि सस्ता भी हो और काफी आसान हो, इससे उद्यमशीलता बढ़ेगी एवं क्षेत्र का विकास और ज्यादा हो सकेगा।
श्री भालोटीया ने बताया कि कई छोटे उद्योग जो की कोरोना काल या उसके बाद बंद हो चुके हैं उनके लिए एक बार के लिए सारे पेनल्टी एवं इंटरेस्ट को माफ कर एक सुविधाजनक रूप से लोन के रिस्ट्रक्चरिंग की व्यवस्था की जाए जिसे छोटी-छोटी इंडस्ट्री वापस खुल सके । इसके अलावा विभिन्न उद्योगों के कच्चे माल से संबंधित दिक्कतों, इसके मूल्य में पिछले 2 साल में अत्यधिक वृद्धि एवं निरंतर आपूर्ति के बारे में भी चर्चा की गई । जीएसटी से होने वाली दिक्कतो एवं छोटे-छोटे मुद्दों पर उद्योगों एवं व्यवसायीयों को विभाग द्वारा नोटिस दिया जाने पर भी चर्चा की गई । उद्योगों को देर से मिलने वाले भुगतान पर भी चर्चा की गई और अनुरोध किया गया कि इसके लिए एक मजबूत नियम बनाने की जरूरत है । सभी उद्योगों के ऑनलाइन सिस्टम को लगातार दुरुस्त करने की और इस पर नजर रखने की जरूरत है ताकि सब तरह के आवेदनों की मंजूरी और लाइसेंस को सही समय पर पूरा किया जा सके। छोटे उद्योगों का एक बहुत बड़ा हिस्सा प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित मशीनों के इंस्टॉलेशन में चला जाता है इसलिए श्री संदीप भालोटीया ने समिति के समक्ष यह मांग रखी कि छोटे उद्योगों के लिए कम खर्चीला , किंतु प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण यंत्र उपलब्ध कराया जाए जिससे बहुत छोटे उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण किए जाने में दिक्कतें न हो। उन्होंने बताया कि बैंकों का उद्योगों के साथ विशेष रूप से छोटे उद्योगों के साथ बहुत अच्छा नहीं है और बैंक ज्यादातर समय उद्योगों को उनके द्वारा सैंक्शन किया हुआ सारा पैसा शुरुआत में नहीं देते हैं जिससे उद्योगों को अपने उद्यम को चलाने में दिक्कतें होती है और आगे चलकर वह एनपीए होने का खतरा हो जाता है ।
उन्होंने बताया कि उन्होंने अध्यक्ष श्री तिरुचि शिवा को बताया कि ज्यादातर बैंक मुद्रा लोन को देने में आना कानी करते हैं और मुद्रा लोन की बहुत छोटी राशि ही कुछ लोगों को सिर्फ रिकॉर्ड के लिए दी जाती है, बाकी बड़े लोन को आवेदन करने वाले उद्योगों या व्यवसायीयों को लौटा दिया जाता है जो एक बहुत ही गलत बात है है और इसे एक समाज में उद्यम शीलता और इसके द्वारा होने वाले रोजगार के नए-नए साधन को करने में रुकावट आ रही है। चुंकि सरकार हर किसी को नौकरी नहीं दे सकती है इसलिए इस तरह के उद्यमशीलता के उपाय को और ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की जरूरत है। अध्यक्ष श्री शिवा ने तुरंत बैंकों के उच्च अधिकारियों को इस मामले में संज्ञान लेने की सलाह दी एवं जरूरी कदम उठाने के लिए कहा। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री उद्यम रोजगार योजना के ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने पर चर्चा की गई।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री उद्यम रोजगार योजना (PMEGP) 2008-09 में शुरू की गई थी और यह विभिन्न सरकारों के लिए एक फ्लैगशिप योजना के रूप में काम करती है जिससे देश में लाखों लोगो को उद्यम करने एवं उद्यम करते हुए लोगों को रोजगार देने की एक अच्छा साधन है। कार्यक्रम में लघु उद्योग मंत्रालय के तरफ से डॉक्टर इशिता गांगुली त्रिपाठी के नेतृत्व में इसके कई अधिकारियों ने भाग लिया । इसके अलावा खादी विलेज इंडस्ट्री कमिशन के साथ भारत सरकार के फाइनेंस सर्विस विभाग के अलावा कोयला, रक्षा ,भारी उद्योग मंत्रालय, कपड़ा , हाउसिंग एवं अर्बन अफेयर्स, ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड , गार्डन रीच शिपबिल्डर एवं इंजीनियर लिमिटेड, ब्रेथवेट बोर्न एवं कंस्ट्रक्शन कंपनी, जुट कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के अलावा अन्य कई अधिकारियों ने भाग लिया । बैंकों की तरफ से स्टेट बैंक, पंजाब एवं सिंध बैंक, इंडियन बैंक, यूको बैंक आईडीबीआई बैंक, एवं बंधन बैंक के राष्ट्रीय स्तर के उच्च अधिकारियों ने भाग लिया।