ASANSOLBARABANI-SALANPUR-CHITTARANJAN

Make In India : CLW ने रचा इतिहास, 12000 हॉर्स पावर का बनाया इंजिन

बंगाल मिरर, चित्तरंजन : ( Make In India ) चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स ( CLW ) के कर्मचारियों और अधिकारियों ने नई तकनीकी का उपयोग कर अपने सपने को साकार किया है। चिरेका को 12000 हार्स पावर के दस रेलवे इंजन बनाने का आर्डर मिला है, जिसमें एक रेल इंजन का निर्माण पूरा कर लिया गया है, बाकी का निर्माण किया जा रहा है। 12000 हार्स पावर के ऐसे ही रेल इंजन का निर्माण बिहार की मधेपुरा रेलवे फैक्ट्री में फ्रांस की एलस्टार्म के साथ किया जा रहा है। यह पहला 12,000-हार्सपावर का रेल इंजन है जिसे चित्तरंजन में पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके उसी डिजाइन का उपयोग करके निर्मित किया गया। इस इंजन से माल से लदी कम से कम 50 वैगन 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं।


इंटक चित्तरंजन के महासचिव और एनएफआइआर के भारतीय रेलवे के नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा 12,000 हार्स पावर के रेलवे इंजन को बनाने पर निश्चित रूप से गर्व है। पिछले साल अप्रैल में वह भारतीय रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से मिले थे। प्रतिनिधिमंडल की ओर से बोर्ड अध्यक्ष से कहा गया था कि आप इस कारखाने में 12,000 हार्स पावर का इंजन आर्डर करते हैं, तो हम इसे बना सकते हैं। हमने जो पहला इंजन बनाया है, दोनों इंजनों के बीच का बफर हटाकर उसमें पहियों की संख्या कम कर दें तो लागत काफी कम हो जाएगी। अगर हम अपनी तकनीकी दक्षता को थोड़ा और बढ़ा दे तो जरूरत पड़ने पर हम विदेश में भी आपूर्ति कर सकते हैं। सीटू चितरंजन के महासचिव राजीव गुप्ता ने कहा कि हम काफी समय से कह रहे हैं, हमें आदेश दीजिए, हम यह करके दिखाएंगे। यहां के कार्यकर्ताओं और अधिकारियों ने एक माह में ही यह साबित कर दिखाया। जब प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया की बात कर रहे हैं, तो विदेशों से इंजन के हिस्सों को असेंबल करने के बजाय, चित्तरंजन में बुनियादी ढांचे में सुधार करके, अधिक श्रमिकों को काम पर रखकर उन सभी इंजनों को यहां क्यों नहीं बनाया जा सकता है?

चिरेका ने 1950 में बनाया था पहला भाप काइंजन

आजादी के बाद देश की पहली चित्तरंजनरेलवे इंजन फैक्ट्री ने 26 जनरी 1950 को पहले भप इंजन के साथ भारत का अपना रेवे इंजन बनाकर एककीर्तिान बनाया था। एशिाकी इस सबसे बड़ी रेलवे इंजन फैक्ट्री ने ाठ के दशक से डीजल लोकोमोटिव और फि इलेकट्रिक रेल इंजन शुरू कए। इसे बद यात्री ट्रेनों के लिए 6000हार्स पावर के ेल इंजन औ मालगाड़ियों क िए 9,000 हार्स पार के रेल इंजन बनाए। भारत की सबसे तेज चलने वालीराजधानी, शताब्दी, दूरंतो एक्सप्रेस, कालका मेल, पंजाब मेल जैसी ट्रेनें यहां निर्मित रेल इंजनों के साथ चल ह हैं। हाल ही में नान एसी वंदेभारत के लिए इंजनों का एक सेट बनाया है।

चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अमित अग्रवाल ने बताया कियहां निर्मित सभी इंजन माल ढुलाई के लिए यहीं बनाए जाएंगे। इस इंजन को बनाने का श्रेय यहां के कर्मियों और अधिकारियों को जाता है। ऐसे कुल 10 इंजन बनाने हैं, एक इंजन निर्मित किया गया और भारतीय रेलवे को सौंप दिया गया है। देश भर में नए फ्रेट कारिडोर बनने से ऐसे मालवाहक इंजनों की मांग बढ़ेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *