ASANSOL

तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा था, तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा

बंगाल मिरर, आसनसोल : तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा था तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा मैंने बहुत सारी अलविदा तक़रीब की है और अपनों को भी अलविदा कहा है। लोग नौकरी करते हैं रिटायर हो जाते हैं। सबको रिटायर होना है मुझे भी होना है ये एक सिस्टम का हिस्सा है। सब बात अपनी जगह ठीक है पर आज बहुत करीब से ये अफ़सोसनाक हादसा मेरे साथ हुआ। हां ये एक हादसा ही है मेरे लिए, हमारे आलम नगर उर्दू एफपी स्कूल के लिए और छात्रों के लिए जब आज मास्टर जनाब मोहम्मद इकबाल साहब को आज हमलोगों ने अलविदा कर दिया। विदाई समारोह में मो. कमाल ने भावुक होकर कुछ इसी तरह से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और कहा कि  33 साल टीचिंग लर्निंग करके आज वो रिटायर हो गये। 

जो इकबाल सर को करीब से जानते हैं उन्हें मालूम है के मैं क्या बोलना चाह रहा हूं, हो सकता है कि लिख नहीं सकता हूं अपनी भावनाओं को मुकम्मल तौर पर। बशीर बदर साहब ने बहुत खूब कहा है के, ये एक पेह है आ इस से मिल के रो लेन हम यहां से तेरे मेरे रास्ते बदलते हैं वो सिर्फ एक शिक्षक नहीं हैं बल्के शुद्ध विद्यालय और शिक्षण समुदाय के लिए एक पेड़ की विरासत रखते हैं जिनकी हर शाखा में कुछ सीखने के पत्ते भरे हुए हैं। इस दरख्त के फल खाने वाले हमेशा अकादमिक रूप से सेहतमंद रहे हैं और इसके फूल की खुशबू में नैतिकता और जीवन शैली के तारिके छुपे हुए हैं। मैंने किसी वाली को नहीं देखा, लेकिन मुझे इकबाल सर, मैं एक वाली सिफत इंसान की नजर में आया, जिनका हर अदा और काम करने का तरीका खुद में एक स्किल है बस हमें जरूरी है कि अपने वर्क कल्चर में उसे अप्लाई करें। मैंने 20 साल उनके साथ एक ही स्कूल में काम किया। कभी भी वो ऑफिस में नहीं बैठते सिवाय मीटिंग के या कॉल करने के। हर पीरियड के बाद जहां हम लोग 5 मिनट का आराम करते हैं और ऑफिस चले जाते हैं वो अपने नेक्स्ट क्लास में चले जाते हैं।

आज तक स्कूल का समय आ गया और कभी 15 मिनट भी आने में देर हो गई तो वो कॉल करके सीएल ले लेंगे। अगर हमलोग कभी देर से आए तो आजतक उन्हें दूसरे टीचर पर उंगली नहीं उठानी चाहिए। पुरी सेवा अवधि चक्र से ही आना जाना है। वाम मोर्चे के समय जब हड़ताल होती थी तो वोहकोग साइकिल को भी रोक लेते थे, ऐसी स्थिति में इकबाल सर आसनसोल बुद्ध से धरमपुर पेडल चले जाया करते थे। उनको ज़िम्मेदारियों से बहुत मुहब्बत थी। कभी भी हमलोग के साथ बैठते तो दूसरों की जब शिकायत हो जाती तो वो मन करते किसी की अनुपस्थिति में शिकायत होने की। उनके बारे में जितनी बात लिखी जाए कम है। वो एक अनमोल इंसान है जिसकी बाराबरी कमसे जाम मैं नहीं कर सकता और ना कर पाऊंगा किसी भी फील्ड में। इक़बाल सर के जाने से मानो हमारा स्कूल यतीम होगया और बहुत तकलीफ़ होगी उनके बिना स्कूल के नज़ाम को पहले जैसा करने में। ये एक हकीकत है. हां उन्हें कभी सर्वश्रेष्ठ शिक्षक, शिक्षा रतन आदि पुरस्कार नहीं मिला पर सभी जानते हैं कि वो हमेशा शिक्षा रतन रहे हैं क्योंकि हर मानदंड में वो अव्वल आते हैं। उनका पर्सनल लाइफ स्टाइल भी अनमोल है। सदगी की ज़िन्दगी गुज़रती है।

इस्लामिक जिंदगी गुजारना और हदीस ओ सुन्नत के मुताबिक अपना हर काम करते हैं। दावत ए तबलीग़ से हमेशा जुड़े हुए हैं। और अलहम्दुलिल्लाह 2025 में हज जाने की तयारी भी है भाभी के साथ। पर वो कट्टरपंथी कभी नहीं रहे बलके सेक्युलर किरदार के मालिक आजतक किसी गैर मुस्लिम शिक्षक या लोगों को कभी उनसे तकलीफ नहीं हुई। उनकी बातों से किसी को नाराज़गी नहीं हुई। मैं हमेशा अपने परिवार, बच्चों और दोस्तों को उनके बारे में बताता रहा हूं और सभी से कहता हूं कि काश में इकबाल सर जैसा टीचर हो पता! अल्फाज नहीं मिल रहे हैं मजीद लिखने का क्यूके भावनाएं अल्फाज से अदा नहीं की जा सकतीं। वो मेरे लिए रोल मॉडल हैं और मैं उनको अपना आदर्श उस्ताद मानता हूं। क्या शेर के साथ अपनी बात ख़तम करता हूँ। एक दिन कहना ही था इक दूसरे को अलविदा अहिराश ‘इकबाल’ जुदा इक बार तो होना ही था उनके सुखद एवं सुखद सेवानिवृत्त जीवन की कामना करता हूं। आप सभी से दुआ है कि अंधेरा है उनके लिए। *बस अपने हीरापुर सर्कल एसआईएस कार्यालय, पश्चिम बर्धमान डीआई/डीपीएससी कार्यालय, शिक्षा विभाग और ममता बनर्जी सरकार से अनुरोध है कि उनका पेंशन जल्दी शुरू कर दे और जो भी पीएफ, ग्रेच्युटी आदि उनका देय है उन्हें आसान से बिना उन्हें परेशानी ओ तकलीफ दीए देदेन. आपलोगो को भी सवाब होगा उनकी मदद करें।

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