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Loan Recovery Agent की मनमानी पर लगाम: RBI के आदेश और नियम

बंगाल मिरर एस सिंह: देश में लोन रिकवरी एजेंट्स की ओर से की जाने वाली मनमानी और गुंडागर्दी की बढ़ती शिकायतों के बीच भारतीय न्यायालयों और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सख्त कदम उठाए हैं। आम लोगों को कर्ज वसूली के नाम पर डराने-धमकाने और उत्पीड़न से बचाने के लिए कोर्ट और नियामक संस्थानों ने स्पष्ट नियम और दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन नियमों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि लोन रिकवरी की प्रक्रिया कानून के दायरे में और मानवीय तरीके से हो।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने हाल के वर्षों में कई मामलों में लोन रिकवरी एजेंट्स की गुंडागर्दी पर कड़ा रुख अपनाया है। उदाहरण के लिए, अगस्त 2024 में पश्चिम बंगाल के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक रिकवरी एजेंट फर्म को “गुंडों का समूह” करार देते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था। यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने लोन की पूरी राशि चुकाने के बावजूद अपनी बस वापस नहीं पाई। कोर्ट ने राज्य पुलिस को दो महीने के भीतर एजेंट्स के खिलाफ चार्जशीट दायर करने और पीड़ित को मुआवजा देने का निर्देश दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि रिकवरी एजेंट्स को कानून का पालन करना होगा और किसी भी तरह की जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लोन की वसूली के लिए जबरन संपत्ति जब्त करना या ग्राहकों को धमकाना गैरकानूनी है। अगर कोई एजेंट ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।

आरबीआई के दिशानिर्देश

  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी लोन रिकवरी एजेंट्स की मनमानी रोकने के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं। इन नियमों के अनुसार:
  • रिकवरी एजेंट्स को 100 घंटे की अनिवार्य ट्रेनिंग और पुलिस वेरिफिकेशन से गुजरना पड़ता है।
  • एजेंट्स केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही ग्राहकों से संपर्क कर सकते हैं। इससे बाहर कॉल करना या परेशान करना प्रतिबंधित है।
  • किसी भी तरह की अभद्र भाषा, धमकी, या शारीरिक हिंसा का इस्तेमाल पूरी तरह से गैरकानूनी है।
  • बैंकों को अपनी वेबसाइट पर रिकवरी एजेंसियों की पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
  • अगर कोई ग्राहक डिफॉल्टर है, तो पहले उसे नोटिस भेजना अनिवार्य है। इसके बाद ही कानूनी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
  • आरबीआई ने यह भी कहा कि लोन की किस्त न चुकाना एक सिविल विवाद है, न कि आपराधिक मामला। इसलिए, रिकवरी एजेंट्स को पुलिस की तरह व्यवहार करने का कोई अधिकार नहीं है।

कानूनी सहारा और शिकायत का रास्ता

अगर कोई लोन रिकवरी एजेंट नियमों का उल्लंघन करता है, तो ग्राहक के पास कई विकल्प हैं। वह सीधे पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकता है, जिसके बाद एजेंट के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा, आरबीआई को लिखित शिकायत भेजी जा सकती है या बैंकिंग लोकपाल से संपर्क किया जा सकता है। गंभीर मामलों में सिविल कोर्ट या उपभोक्ता मंच में भी अपील की जा सकती है।

  • एक नजर में कोर्ट और आरबीआई के नियम
  • संपर्क का समय: सुबह 7 से शाम 7 बजे तक।
  • धमकी पर रोक: मौखिक या शारीरिक उत्पीड़न गैरकानूनी।
  • कानूनी प्रक्रिया: संपत्ति जब्त करने के लिए कोर्ट का आदेश जरूरी।
  • पारदर्शिता: बैंकों को एजेंट्स की जानकारी देनी होगी।

निष्कर्ष

लोन रिकवरी एजेंट्स की मनमानी और गुंडागर्दी पर सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई के नियमों ने साफ संदेश दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। ये कदम आम लोगों को राहत देने के साथ-साथ बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी जिम्मेदार बनाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन नियमों का सख्ती से पालन होने पर ही ग्राहकों का भरोसा बना रहेगा। अगर आपके साथ भी ऐसा कोई व्यवहार हो, तो तुरंत कानूनी सहारा लें और अपनी आवाज उठाएं।

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