DURGAPUR

Durgapur आवास योजना के लिए टीएमसी नेता पर 35 हजार लेने का आरोप,  2 साल भटक रहा खोकन

आरोपी नेता ने बताया साजिश, जिला नेता ने झाड़ा पल्ला

बंगाल मिरर, दुर्गापुर : ( Durgapur News In Hindi )  दुर्गापुर में सरकारी आवास योजना के तहत घर पाने की आस में एक व्यक्ति ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक नेता को 35,000 रुपये दिए, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी न तो उसे घर मिला और न ही उसकी राशि वापस हुई। पीड़ित ने अब इस मामले में आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस को ईमेल के जरिए लिखित शिकायत दर्ज की है। यह घटना दुर्गापुर के 19 नंबर वार्ड के भृंगी क्षेत्र की है, जहां दुर्गापुर इस्पात कारखाने के सेवानिवृत्त ठेका कर्मी खोक्न प्रमाणिक अपनी पत्नी के साथ रहते थे।

खोक्न प्रमाणिक ने बताया कि 2022 में उन्हें पता चला कि आवास योजना के तहत घर मिल सकता है। इसके लिए उन्होंने वार्ड 19 के टीएमसी संयोजक सुधीर बाउरी से संपर्क किया। सुधीर ने उनसे कहा कि पक्का घर पाने के लिए 35,000 रुपये देने होंगे और ठेकेदार के जरिए घर बनवाने का वादा भी किया। खोक्न ने कर्ज लेकर तीन किश्तों में यह राशि सुधीर को दे दी। इसके बाद सुधीर के सुझाव पर खोक्न ने अपने पुराने जर्जर घर को तोड़ दिया और पत्नी के साथ किराए के मकान में रहने चले गए, यह सोचकर कि कुछ महीनों में सरकारी आवास मिल जाएगा।

लेकिन 2022 से 2025 तक का समय बीत गया, न घर मिला और न ही दी गई राशि वापस हुई। सुधीर पर आरोप है कि वह “आज दूंगा, कल दूंगा” कहकर टालमटोल करते रहे। हताश होकर खोक्न ने दुर्गापुर नगर निगम में जानकारी ली, जहां पता चला कि उनका नाम आवास सूची में नहीं है और न ही उनका फॉर्म जमा हुआ है। सवाल उठा कि जो फॉर्म और दस्तावेज उन्होंने सुधीर को दिए थे, वे कहां गए? जवाब नहीं मिला। आखिरकार, खोक्न ने सुधीर बाउरी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की।

जिला टीएमसी के सह-अध्यक्ष उत्तम मुखोपाध्याय ने कहा, “पार्टी इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी। शिकायतकर्ता को मुख्यमंत्री को अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।” दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने एक स्वर में इस घटना की निंदा की और सरकारी योजना के लिए शासक दल के नेता द्वारा “कटमनी” लेने के आरोप को लेकर टीएमसी पर हमला बोला।

अभियुक्त सुधीर बाउरी ने पलटवार करते हुए कहा कि उनके खिलाफ पार्टी के कुछ लोग साजिश रच रहे हैं। हालांकि, जिला टीएमसी नेतृत्व ने साफ कहा कि वे उनके साथ नहीं हैं। अब सबकी नजर इस बात पर है कि पुलिस लिखित शिकायत मिलने के बाद क्या कार्रवाई करती है। खोक्न प्रमाणिक को न घर मिला और न पैसा, अब वह न्याय की आस में दिन गिन रहे हैं।

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