दीघा में जगन्नाथ मंदिर का भव्य उद्घाटन, ममता बनर्जी ने रचा इतिहास, आसनसोल में लाइव प्रसारण
बंगाल मिरर, आसनसोल, 30 अप्रैल 2025: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज पुरबा मेदिनीपुर के दीघा में पूरी (ओडिशा) के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर निर्मित भव्य जगन्नाथ धाम मंदिर का उद्घाटन किया। यह ऐतिहासिक अवसर अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर आयोजित हुआ, जिसे पूरे राज्य में उत्साह के साथ मनाया गया। इस समारोह का सीधा प्रसारण आसनसोल के रविंद्र भवन में किया गया, जहां इस क्षेत्र के प्रमुख तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।




लाइव प्रसारण में रानीगंज के विधायक तापस बनर्जी, वी. शिवदासन दासु, पश्चिम बर्दवान जिला परिषद सभाधिपति विश्वनाथ बावरी, उपाध्यक्ष विष्णु देव नोनिया, डिप्टी मेयर अभिजीत घटक शामिल थे। इसके अलावा, पश्चिम बर्दवान जिला शासक एस. पोन्नाबलम और आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के आयुक्त सुनील कुमार चौधरी भी विशेष रूप से मौजूद रहे।

ममता बनर्जी ने रचा इतिहास: विश्वनाथ बावरी
इस अवसर पर विश्वनाथ बावरी ने कहा, “आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने दीघा में पूरी की तर्ज पर जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया। अब श्रद्धालुओं को भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पूरी जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वे दीघा में ही भगवान के दर्शन कर सकेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “मुख्यमंत्री के इस कार्य के लिए पश्चिम बंगाल के लोग सदैव उनके प्रति कृतज्ञ रहेंगे।”

मंदिर की विशेषताएं और महत्व
लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से 22 एकड़ भूमि पर निर्मित यह मंदिर पूरी के जगन्नाथ मंदिर का प्रतिकृति पर आधारित है। पारंपरिक कलिंग वास्तुकला में निर्मित यह मंदिर राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थर से बना है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। मंदिर परिसर में भोग मंडप, नटमंदिर, जगमोहन और गर्भगृह जैसे हिस्से शामिल हैं, जो पूरी मंदिर की वास्तुकला को दर्शाते हैं। मंदिर में अतिथि कक्ष, प्रशासनिक भवन, पुलिस चौकी और अग्निशमन सेवाओं की सुविधा भी उपलब्ध है।
सांस्कृतिक और पर्यटन महत्व
ममता बनर्जी ने इस मंदिर को बंगाल की संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “दीघा में समुद्र के किनारे यह मंदिर बंगाल के लिए नया गौरव लेकर आएगा। यह न केवल तीर्थस्थल बनेगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।” मंदिर के उद्घाटन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जित गांगुली, अदिति मुनशी और डोना गांगुली जैसे कलाकारों ने प्रस्तुति दी।
सुरक्षा और व्यवस्था
उद्घाटन समारोह में 12,000 से 14,000 लोगों की उपस्थिति की उम्मीद थी, जिसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री, उद्योगपति और मशहूर हस्तियां शामिल थीं। सुरक्षा के लिए 2,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती, सीसीटीवी निगरानी, ड्रोन सर्वेक्षण और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए गए। दीघा में 28 से 30 अप्रैल तक यातायात पर भी नियंत्रण रहा।
राजनीतिक महत्व
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले यह उद्घाटन ममता बनर्जी का हिंदू समुदाय से जुड़ने का रणनीतिक कदम है। विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी ने मंदिर निर्माण में सरकारी धन के उपयोग पर सवाल उठाए और इसे ‘जगन्नाथ धाम संस्कृति केंद्र’ कहकर विवाद खड़ा किया। हालांकि, टीएमसी ने इसे बंगाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मजबूत करने वाला कदम बताया।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
मंदिर परिसर में स्थानीय स्वयं-सहायता समूहों, विशेष रूप से महिलाओं को क्षेत्रीय उत्पाद बेचने की अनुमति दी जाएगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। मंदिर के प्रबंधन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक ट्रस्ट बनाया गया है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक, इस्कॉन और सनातन धर्म के प्रतिनिधि शामिल हैं।
यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि दीघा को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। ममता बनर्जी की यह पहल बंगाल के लिए एक नया युग शुरू करने का वादा करती है।