SAIL ISP Union Election : यूनियनों ने किया नामांकन, हाईकोर्ट पर टिकी नजर
बंगाल मिरर, एस सिंह, बर्नपुर : सेल इस्को इस्पात संयंत्र (आईएसपी) में 23 मई 2025 को होने वाले यूनियन चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस चुनाव में आसनसोल आयरन एंड स्टील वर्कर्स यूनियन की ओर से इंटक (INTUC) के अध्यक्ष हरजीत सिंह ने 7 मई को आसनसोल रीजनल लेबर कमिश्नर के कार्यालय में इंटक की ओर से नामांकन दाखिल कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार इंटक और भारतीय मजदूर संघ (BMS) के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। वहीं, सीटू (CITU), एटक (AITUC), और हिंद मजदूर सभा ने चुनाव को रद्द करने की मांग को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसकी सुनवाई आज होनी है। हालांकि वह लोग भी नामांकन कर रहे हैं।



इंटक का दावा: मजदूरों के हित में हमेशा समर्पित

इंटक के आसनसोल आयरन एंड स्टील वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष हरजीत सिंह ने कहा कि उनकी यूनियन शुरू से ही मजदूरों की हितैषी रही है और हमेशा उनके हितों के लिए कार्य किया है। उन्होंने 2006 में बर्नपुर कारखाने के आधुनिकीकरण में इंटक की अहम भूमिका को याद करते हुए कहा, “उस समय जिन संगठनों का आज कोई नाम भी नहीं था, वे अब मजदूरों के हित की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। इंटक ने हमेशा मजदूरों के लिए ठोस कदम उठाए हैं।”
हरजीत सिंह ने आगे बताया कि वर्तमान में सेल आईएसपी का 35 हजार करोड़ रुपये की लागत से आधुनिकीकरण हो रहा है,। उन्होंने दावा किया कि इंटक आज भी मजदूरों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है और चुनाव प्रचार के दौरान वह एक-एक मजदूर से मिलकर अपने किए गए कार्यों के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
बीएमएस की तैयारी, कोलकाता हाईकोर्ट में टकराव
सूत्रों के अनुसार, बीएमएस भी इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रही है। दोनों यूनियनों के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। दूसरी ओर, सीटू, एटक, और हिंद मजदूर सभा ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इन यूनियनों का आरोप है कि चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती जा रही हैं। कोलकाता हाईकोर्ट में आज होने वाली सुनवाई से यह तय होगा कि चुनाव तय समय पर होगा या इसमें कोई बदलाव आएगा।
चुनावी माहौल गर्म, मजदूरों में उत्साह
आसनसोल सेल आईएसपी के मजदूरों के बीच चुनाव को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। इंटक और बीएमएस दोनों ही यूनियनें मजदूरों तक अपनी बात पहुंचाने में जुटी हैं। इंटक जहां अपने पुराने रिकॉर्ड और मजदूर हितों के लिए किए गए कार्यों को आधार बना रही है, वहीं बीएमएस भी मजदूरों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। चुनाव से पहले कोलकाता हाईकोर्ट का फैसला इस दौड़ में नया मोड़ ला सकता है। मजदूरों की नजर अब कोर्ट के निर्णय और यूनियनों की रणनीति पर टिकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 23 मई को होने वाला यह चुनाव किस यूनियन के पक्ष में नतीजे लाता है।