ASANSOL

कोचिंग में हुए हादसे ने तोड़ा सपना, फिर भी सरत ने लाया 86% अंक

पिता ने की प्रशासन से कोचिंग संस्थानों की जांच की मांग

बंगाल मिरर, आसनसोल, 18 मई 2025: सीबीएसई माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षा परिणामों के प्रकाशन के बाद आसनसोल के स्कूल अपने टॉपर छात्र-छात्राओं की सूची जारी कर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के दावे कर रहे हैं। स्कूलों का दावा है कि उनका लक्ष्य न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों को शीर्ष सूची में शामिल करना है। इस होड़ के बीच कुछ ऐसी कहानियां भी सामने आ रही हैं, जहां होनहार छात्रों को परीक्षा से पहले अप्रत्याशित हादसों का सामना करना पड़ा, जिसने उनके और उनके स्कूलों के सपनों को चकनाचूर कर दिया।

ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है आसनसोल के 17 वर्षीय सरत प्रियदर्शी की, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और 86% अंक प्राप्त कर अपने डीएवी मॉडल स्कूल, आसनसोल के टॉप टेन में स्थान बनाया।हादसे ने बदली जिंदगीहीरापुर थाना अंतर्गत वार्ड नंबर 85, मोहिशीला बोदी पाड़ा निवासी सरत प्रियदर्शी बचपन से ही पढ़ाई में होनहार रहे हैं। अपने माता-पिता संजीव और सुनीता प्रियदर्शी के लाडले सरत को उनके इलाके और स्कूल में एक मेधावी छात्र के रूप में जाना जाता है।

दसवीं परीक्षा से पांच महीने पहले, चेली डंगाल स्थित एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाई के दौरान कोचिंग संचालक की लापरवाही के कारण सरत एक नंगे बिजली के तार की चपेट में आ गए। इस हादसे में उनका हाथ बुरी तरह जल गया। कोचिंग सेंटर ने तुरंत सरत के पिता संजीव प्रियदर्शी को सूचना दी, जो एक व्यवसायी हैं। संजीव ने अपने सभी काम छोड़कर बेटे को आसनसोल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।

चेन्नई में इलाज और जिंदगी की जंग

अस्पताल के चिकित्सकों ने सरत की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए चेन्नई के वेलोर अपोलो अस्पताल रेफर किया। संजीव ने कोचिंग सेंटर से इलाज का खर्च मांगा, लेकिन कोचिंग संचालक ने राजनीतिक और पुलिस दबाव का हवाला देकर मदद से इनकार कर दिया। हताश होकर संजीव अपने बेटे को चेन्नई ले गए, जहां पांच महीने तक सरत का इलाज चला। इस दौरान कई ऑपरेशन हुए, और एक समय तो ऐसा लगा कि सरत की जिंदगी खतरे में है। लेकिन सरत और उनके माता-पिता ने हिम्मत नहीं हारी। भगवान पर भरोसे और चिकित्सकों के प्रयासों से सरत सकुशल घर लौटे। उनका इलाज अब भी जारी है।

हौसले के साथ दी परीक्षा

इलाज के बीच ही सरत ने माध्यमिक परीक्षा दी। उनका लक्ष्य था 90% से अधिक अंक प्राप्त करना, जिसके बारे में उन्होंने अपने शिक्षकों और सहपाठियों को भी बताया था। सभी को सरत पर भरोसा था कि वह कुछ बड़ा करेगा। लेकिन हादसे ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। फिर भी, सरत ने हार नहीं मानी और 86% अंक हासिल कर स्कूल के टॉप टेन में जगह बनाई। यह उपलब्धि उनके अटूट हौसले और मेहनत का प्रमाण है।

सम्मान और भविष्य की योजनाएं

सरत की इस उपलब्धि ने न केवल उनके इलाके बल्कि स्कूल के शिक्षकों का भी ध्यान खींचा। शिक्षक और स्थानीय लोग उन्हें सम्मानित करने उनके घर पहुंच रहे हैं। सरत अब आईआईटी और जेईई की तैयारी में जुट गए हैं और इसके लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। उनके माता-पिता संजीव और सुनीता भी बेटे के सपनों को पूरा करने में हरसंभव सहयोग कर रहे हैं।

सरत ने कहा, “मैंने जिंदगी की इस जंग में हार नहीं मानी। मेरा सपना आईआईटी में पढ़ने का है, और मैं इसे जरूर पूरा करूंगा।”स्कूल और समाज में चर्चाडीएवी मॉडल स्कूल, आसनसोल के प्राचार्य और शिक्षकों ने सरत की लगन और हिम्मत की सराहना की है। स्कूल का कहना है कि सरत जैसे छात्र उनकी प्रेरणा हैं, जो विषम परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। सरत की कहानी आसनसोल के अन्य छात्रों के लिए भी एक मिसाल बन गई है, जो यह सिखाती है कि मेहनत और हौसले से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

कोचिंग सेंटर की लापरवाही पर सवाल

इस घटना ने कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। सरत के पिता संजीव ने कहा कि लक्ष्यम कोचिंग सेंटर की लापरवाही के कारण उनके बेटे को इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने प्रशासन से ऐसी संस्थाओं पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में अन्य छात्रों को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े।सरत की यह कहानी न केवल हौसले और संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन और परिवार के सहयोग से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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