Burnpur : दामोदर नदी पर अस्थायी बांस का पुल बह गया
बंगाल मिरर, एस सिंह, बर्नपुर: ( Burnpur News In Hindi ) पश्चिम बर्दवान के बर्नपुर में दामोदर नदी पर स्थायी पुल के निर्माण के लिए स्थानीय लोगों के बार-बार अनुरोध के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से मानसून के मौसम में दैनिक यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जून के मध्य में नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण अस्थायी बांस का पुल बह गया, जिससे हजारों यात्री नावों पर निर्भर हो गए हैं।




नवंबर से जून तक दैनिक यात्री नदी पर अस्थायी पुल बनाकर आवागमन करते थे, जो आसनसोल को बांकुड़ा और पुरुलिया जिले के गांवों से जोड़ता था। लेकिन मानसून की शुरुआत के साथ ही बढ़े जलस्तर ने इस पुल को नष्ट कर दिया। नतीजतन, मजदूर, किसान, छात्र और मरीज जैसे दैनिक यात्री अब नावों के सहारे यात्रा करने को मजबूर हैं, जिससे समय और श्रम की बर्बादी हो रही है।
स्थानीय दैनिक यात्री भरत बाउरी ने बताया, “मैं सुबह काम के लिए आसनसोल गया था, लेकिन लौटते समय देखा कि पुल ढह गया है। अगर नाव शुरू हो जाए तो घर लौट सकूंगा, वरना मुझे रात अलग-अलग जगहों पर बितानी पड़ेगी।” उन्होंने बताया कि पुल सुबह करीब 10 बजे के बाद ढह गया, जिससे कई यात्री बीच रास्ते में फंस गए।
बांकुड़ा के सालतोड़ा ब्लॉक निवासी मनोज नंदी ने भी अपनी परेशानी साझा की। उन्होंने कहा, “सुबह मैं अस्थायी पुल पार कर गया था, लेकिन लौटते समय देखा कि पुल टूट चुका है। अनुमान है कि सुबह साढ़े नौ बजे के आसपास यह हादसा हुआ। भुतबुरी के पास यह पुल है, और अगर यह ठीक नहीं हुआ तो घर पहुंचने में बहुत दिक्कत होगी।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्थायी पुल हर साल मानसून में बह जाता है, जिससे बांकुड़ा के सालतोड़ा ब्लॉक के दर्जनों गांवों का संपर्क आसनसोल से कट जाता है। नावों की सुविधा भी सीमित होने के कारण यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।
*स्थायी पुल की मांग तेज*
स्थानीय निवासियों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से दामोदर नदी पर स्थायी पुल के निर्माण की मांग को फिर से दोहराया है। उनका कहना है कि यह समस्या दशकों पुरानी है, और हर साल मानसून में यही स्थिति बनती है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “स्थायी पुल बनने से न केवल दैनिक यात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र का आर्थिक विकास भी होगा।” जिला प्रशासन ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि वे इस मांग को लेकर जल्द ही आंदोलन शुरू कर सकते हैं। फिलहाल, दैनिक यात्री नावों के भरोसे हैं, और मानसून के पूरे सीजन में उनकी परेशानियां कम होने की उम्मीद नहीं दिख रही।