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“Dead Economy” कहना भारत का अपमान नहीं, अपनी अज्ञानता का प्रदर्शन है — रीतेश कुमार जालान

“Dead Economy” कहना भारत का अपमान नहीं, अपनी अज्ञानता का प्रदर्शन है— रीतेश कुमार जालान CERTIFIED FINANCIAL PLANNER®, Founder and Partner atSampark Online Finserv LLPअमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस और भारत को “Dead Economies” कहकर एक चौंकाने वाला बयान दिया था। लेकिन हकीकत यह है कि भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) के हालिया अनुमान के अनुसार, भारत की GDP ग्रोथ रेट वर्ष 2025-26 में 6.4% रहने वाली है, जो अमेरिका (1.9%), चीन (4.8%) और ब्राज़ील (2.3%) से कहीं अधिक है।

भारत की आर्थिक मजबूती: आंकड़ों की जुबानीGDP ग्रोथ (2023): भारत 8.2% (दुनिया में सबसे ऊपर)स्टॉक मार्केट कैप ग्रोथ: भारत 2023 में 22%, 2024 में 18%सेवा क्षेत्र निर्यात: FY22 में $255 अरब से बढ़कर FY25 में $384 अरब तक पहुँचने का अनुमानप्रति व्यक्ति उत्पादन (Per Capita Output): 2025 तक 8.3% की सालाना वृद्धिजहाँ अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति, बैंकिंग संकट और बजट घाटे का दबाव है, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर, लचीली, और नवाचारोन्मुखी बनी हुई है।

भारत बनाम अमेरिका: क्या यह नया व्यापार युद्ध है? (The Emerging Tariff War)हाल ही में अमेरिका ने भारत, चीन, वियतनाम और अन्य देशों से आने वाले स्टील, एल्यूमिनियम, टेक्सटाइल, और अन्य उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों की रक्षा करना है, लेकिन इसके दायरे में भारत जैसे भरोसेमंद व्यापारिक साझेदार भी आ गए हैं।टैरिफ वॉर का भारत पर संभावित प्रभाव:निर्यात प्रभावित हो सकते हैं, खासकर इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो पार्ट्स, और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टररोजगार पर असर, अगर निर्यात में गिरावट आती हैभारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भूमिका को चुनौती

भारत ने इन चुनौतियों के जवाब में रणनीतिक उपाय अपनाए हैं:Diversification of Export Destinations: अब भारत सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं, बल्कि यूरोप, मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और एशिया के देशों के साथ व्यापार बढ़ा रहा है।उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिल रहा है।FTA (Free Trade Agreements) जैसे समझौते UAE, ऑस्ट्रेलिया व अन्य देशों से हो चुके हैं और कई पाइपलाइन में हैं।विश्लेषण:जहाँ अमेरिका एक रक्षात्मक रणनीति अपनाकर खुद को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचा रहा है, वहीं भारत आक्रामक रणनीति अपनाकर वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है। यह भारत की आर्थिक नीतियों की मजबूती और वैश्विक दबावों के प्रति उसकी सजगता को दर्शाता है।

एक निवेशक के लिए क्या संदेश है?जब दुनिया अस्थिर होती है, तब एक स्थिर रणनीति अपनाने वाला निवेशक ही असली विजेता होता है।भारत की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक विश्वास रखते हुए निवेशक को:SIP के माध्यम से म्यूचुअल फंड्स में निवेश जारी रखना चाहिए।अल्पकालीन उतार-चढ़ाव की चिंता छोड़कर, लंबी अवधि की सोच रखनी चाहिए।और नियमित रूप से फाइनेंशियल प्लानर से परामर्श लेना चाहिए।India is not a dead economy. It’s a developing superpower – and your portfolio should reflect that.

🛡 डिस्क्लेमर (Disclaimer):यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों, रिपोर्ट्स और समाचारों पर आधारित है। आंकड़ों में समयानुसार बदलाव संभव है। यह लेख केवल शैक्षणिक एवं जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। निवेश से पहले पाठकों को अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेने की सिफारिश की जाती है। लेखक लेख में व्यक्त विचारों के लिए उत्तरदायी हैं, लेकिन आंकड़ों या नीतिगत परिवर्तनों में किसी भी प्रकार की त्रुटि या बदलाव के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

लेखक परिचय:रीतेश कुमार जालान एक CERTIFIED FINANCIAL PLANNER® हैं और Sampark Online Finserv LLP के माध्यम से लोगों को निवेश और वित्तीय साक्षरता के लिए मार्गदर्शन देते हैं। वे #samparkonline और #Learnb4uearn जैसे अभियानों के माध्यम से वित्तीय शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं।#samparkonline #Learnb4uearn #SIPHaiTohMumkinHai #भारतीयअर्थव्यवस्था #दीर्घकालीननिवेश #MutualFundsSahiHai #TariffWar #IndiaVsUS #IMFGrowth #IndiaShining##Bengalmirror

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