ASANSOL

बांग्ला की पढ़ाई अनिवार्य हो वरना WBLM 15 के बाद जायेगी कोर्ट : जितेन्द्र तिवारी

बंगाल मिरर, आसनसोल : ( Asansol News In hindi ) वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी एसोसिएशन की तरफ से जितेंद्र तिवारी ने आज को गोधुली में अपने आवासीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन किया उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में ऐसे कई लोग हैं जिनकी मातृभाषा बांग्ला नहीं है कोई हिंदी बोलता है तो कोई उर्दू तो कोई गुरमुखी तो कोई संथाली ऐसे में पश्चिम बंगाल में रहने वाला हर शख्स अगर बांग्ला नहीं जाने का तो उसे यहां परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है पिछले कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल में एक माहौल बना हुआ है जिसमें बंगाल और बांग्ला भाषा को प्राथमिकता देने की बात कही जा रही है

जितेंद्र तिवारी ने कहा कि उनके संगठन की तरफ से उन्होंने शुरुआत के दिनों से यह बात कही है कि पश्चिम बंगाल में बांग्ला भाषा को पहली प्राथमिकता मिलनी चाहिए यहां पर हर भाषा बोलने वाले लोग जरूर हैं लेकिन क्योंकि यहां पर बांग्ला बोलने वाले लोग बहुमत में है इसलिए यह बहुत जरूरी है कि यहां पर बांग्ला को सबसे पहले प्राथमिकता दी जाए इसी को ध्यान में रखते हुए उनके संगठन की तरफ से पिछले दो सालों से यह मांग उठाई जा रही है कि इस प्रदेश में जितने भी ऐसे स्कूल हैं जो गैर बांग्ला भाषी है वहां पर भी प्राइमरी से लेकर कम से कम क्लास 8 तक बांग्ला भाषा में शिक्षा ग्रहण करना अनिवार्य करना होगा इससे जिनकी मातृभाषा बांग्ला नहीं है वह भी बांग्ला बोलना लिखना पढ़ना सीख पाएंगे लेकिन अभी तक राज्य सरकार द्वारा इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है

जितेंद्र तिवारी ने कहा कि एक बार फिर वह पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव को इस संदर्भ में पत्र लिखने जा रहे हैं और उनसे मांग की जाएगी की 15 सितंबर के अंदर सभी गैर बांग्ला मीडियम स्कूलों में बंगाल की पढ़ाई अनिवार्य की जाए वरना 15 सितंबर के बाद वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी एसोसिएशन की तरफ से अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक पश्चिम बंगाल में तकरीबन 10000 गैर बांग्ला मीडियम स्कूल है अगर हर स्कूल में बांग्ला के दो शिक्षक भी नियुक्त होते हैं तो ऐसे 20000 नौजवानों को रोजगार मिलेगा जिनकी मातृभाषा बांग्ला है जिन्होंने बांग्ला में स्नातक या स्नातक उत्तर तक की पढ़ाई की है जितेंद्र तिवारी ने कहा कि वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी एसोसिएशन लगातार लिंग्विस्टिक माइनारटीज के समस्याओं को उजागर करता रहा है जिनमें हिंदी उर्दू संथाली गुरुमुखी जैसे भाषा आते हैं लेकिन बांग्ला को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग का वह भी समर्थन कर रहे हैं क्योंकि यहां पर ज्यादातर लोग बांग्ला भाषा का प्रयोग करते हैं और जो लोग यहां पर स्थाई तौर पर रह रहे हैं उनको बांग्ला भाषा का ज्ञान होना अति आवश्यक है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *