भाषा के आधार पर वैमनस्य फैलाना कतई उचित नहीं, भारतीय भाषाएं तो सगी बहनें
बंगाल मिरर, आसनसोल : 19सितंबर 2025 को आसनसोल गर्ल्स काॅलेज द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत ‘भारतीय भाषाओं का बहनापा और हिंदी’ विषय पर डाॅ.सत्य प्रकाश तिवारी, एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष -हिंदी विभाग, शिवपुर दीनबंधु काॅलेज, हावड़ा का एकल व्याख्यान हुआ।इस व्याख्यान में स्वागत भाषण और वक्ता का परिचय हिंदी विभाग की प्राध्यापिका पूजा पाठक ने दिया। उद्घाटन भाषण बांग्ला विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. शास्वती मजूमदार ने दिया।आइक्यूएसी क्वार्डीनेटर डाॅ. बीरु रजक ने हिंदी विभाग द्वारा आयोजित की जा रही एकल व्याख्यान श्रंखला को छात्राओं के लिए उपयोगी और अनिवार्य बताया।साथ ही उन्होंने कहा कि भाषा के आधार पर बैमनस्य फैलाना कतई उचित नहीं है।



हिंदी विभागाध्यक्ष डाॅ. कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि – वैसे तो दुनिया की सभी भाषाएं आपस में बहने हैं लेकिन भारतीय भाषाएं तो सगी बहनें हैं ।इस तरह हिंदी हमारी मां है तो बांग्ला मांसी मां।या बांग्ला जिनकी मां है हिंदी उनकी मासी मां।उन्होंने कहा जिस तरह किसी जाति, धर्म, क्षेत्र में जन्म लेना हमारा चुनाव नहीं महज एक संयोग है, वैसे ही किसी भाषा परिवार में जन्म लेने का चुनाव हमारा नहीं है। अतः धर्म और जाति की तरह ही अपनी भाषा पर भी अतिरिक्त गर्व या ग्लानिबोध के कोई मायने नहीं।
डाॅ. सत्य प्रकाश तिवारी जो कि पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, नेपाली और संस्कृत के मर्मज्ञ हैं साथ ही हिंदी और नेपाली के सेतु के रुप में जाने जाते हैं ।उन्होंने विस्तार से भारतीय भाषाओं के बहनापे पर प्रकाश डाला। साथ ही विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से सिद्ध किया कि आज भी पूरे देश को एकसूत्रता में पिरोने में हिंदी ही समर्थ है इसलिए हिंदी भाषियों को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ स्नेहपूर्ण रखना अत्यंत अनिवार्य है।व्याख्यान के बाद छात्राओं ने अपनी जिज्ञासाएं व्यक्त की जिनका समुचित उत्तर डाॅ.सत्य प्रकाश तिवारी ने दिया।
एकल व्याख्यान के पूर्व विभाग की छात्राओं-माधुरी यादव,प्रिया कुमारी, सोनी कुमारी सिंह और अनीषा चौधरी ने ज्ञान रंजन की कहानी -पिता पर परिचर्चा की जिसे श्रोताओं द्वारा पर्याप्त सराहा गया।आयोजन का सफल संचालन हिंदी विभाग की छात्रा इशाना खान ने किया।आयोजन में अन्य विभागों के प्राध्यापकों के साथ ही शताधिक छात्राएं उपस्थित रहीं।