भारतीय अर्थव्यवस्था: नये सुधारों से नयी रफ्तार
भारतीय अर्थव्यवस्था: नये सुधारों से नयी रफ्तार✍ लेखक: Ritesh Jalan CFP® QPFP®Partner – Sampark Online Finserv LLPभारत की अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। IMF और विश्व बैंक की हालिया रिपोर्टों में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक विकास का इंजन बनने जा रहा है। इस पृष्ठभूमि में सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए तीन बड़े कदम—ब्याज दरों में कमी, 12 लाख रुपये तक आयकर से छूट, और जीएसटी दरों में कटौती—देश के आर्थिक परिदृश्य को एक नई दिशा देंगे।1. कम ब्याज दरें – उपभोग और निवेश को नई ऊर्जाभारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आँकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में निवेश की गति वैश्विक परिस्थितियों के कारण धीमी हुई थी। ब्याज दरों में कमी से गृह ऋण और वाहन ऋण सस्ते होंगे, जिससे रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।उदाहरण के तौर पर, यदि कोई गृह ऋण 19% की जगह 8% ब्याज पर मिलता है, तो EMI में लाखों रुपये की बचत संभव है।




उद्योग जगत के लिए भी यह राहत की खबर है क्योंकि कम ब्याज दरों पर लोन मिलने से विस्तार योजनाएँ तेज़ होंगी।यह न केवल खपत (Consumption) को बढ़ाएगा बल्कि रोज़गार सृजन (Employment Generation) में भी सहायक होगा।2. 12 लाख रुपये तक आयकर से छूट – मध्यम वर्ग को संजीवनीभारत का मध्यम वर्ग अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। NSSO और RBI के सर्वे बताते हैं कि मध्यम वर्ग देश की खपत का लगभग 60% हिस्सा संचालित करता है।आयकर छूट सीमा 12 लाख रुपये करने से करीब 80% वेतनभोगी वर्ग टैक्स से बाहर आ जाएगा।इससे उनकी क्रय शक्ति (Purchasing Power) बढ़ेगी और वे अधिक खर्च व निवेश कर पाएंगे।यह कदम बचत (Savings) और निवेश (Investments) दोनों को प्रोत्साहित करेगा—चाहे वह म्यूचुअल फंड, बीमा, या अन्य वित्तीय साधनों में हो।यह मध्यम वर्ग को वास्तविक आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Freedom) देने जैसा कदम है।
3. जीएसटी दरों में कटौती – व्यापार और महँगाई दोनों पर असरजीएसटी कटौती से व्यापार जगत को राहत मिलेगी। MSME सेक्टर, जो भारत के कुल निर्यात और रोजगार का एक बड़ा हिस्सा है, इस सुधार से अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा।उपभोक्ताओं के लिए वस्तुएँ और सेवाएँ सस्ती होंगी, जिससे महँगाई पर नियंत्रण होगा।व्यापारियों की नकदी प्रवाह (Cash Flow) सुधरेगी और अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव को गति मिलेगी।इसके साथ ही, यह कदम “Make in India” और “Vocal for Local” जैसे अभियानों को भी बल देगा।समग्र प्रभाव – एक मज़बूत और समावेशी विकास की ओरइन तीनों कदमों का संयुक्त असर भारतीय अर्थव्यवस्था को Consumption-driven Economy से Investment और Employment-driven Economy की ओर ले जाने में सहायक होगा।GDP ग्रोथ में तेजी,निवेश माहौल में सुधार,विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ना,और वैश्विक स्तर पर भारत की साख मज़बूत होना,इनका सीधा परिणाम होगा।
मेरी दृष्टि: एक वित्तीय योजनाकार की नज़र सेएक Certified Financial Planner (CFP) के रूप में मैं मानता हूँ कि ये तीनों कदम केवल नीति सुधार नहीं हैं, बल्कि यह आम नागरिक की जेब से लेकर निवेशक की सोच तक हर स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने वाले हैं।कम ब्याज दरों से वित्तीय बोझ घटेगा और लोग दीर्घकालिक निवेशों के लिए अधिक उत्साहित होंगे।टैक्स छूट से लोगों की बचत और निवेश की प्रवृत्ति मजबूत होगी, जिससे इक्विटी, म्यूचुअल फंड्स और बीमा जैसे साधनों में प्रवाह बढ़ेगा।जीएसटी कटौती व्यापार को आसान बनाएगी और अर्थव्यवस्था को अधिक पारदर्शी व मजबूत बनाएगी।इन सुधारों का संयुक्त प्रभाव आने वाले वर्षों में भारत को न केवल तेज़ GDP वृद्धि देगा, बल्कि आम नागरिक को भी एक स्थिर और समृद्ध आर्थिक भविष्य की ओर ले जाएगा।—
निष्कर्षआज भारत न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया में एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। कम ब्याज दरें, टैक्स छूट और जीएसटी में कटौती जैसे सुधार केवल तत्काल राहत देने वाले कदम नहीं हैं, बल्कि ये लंबे समय में आर्थिक विकास (Economic Growth) को स्थायी गति देंगे।इन फैसलों से स्पष्ट है कि सरकार का लक्ष्य Ease of Living के साथ-साथ Ease of Doing Business को बढ़ावा देना है। आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था को इससे और भी मज़बूत आधार मिलेगा।—Disclaimerयह लेख लेखक की व्यक्तिगत राय है, जो एक Certified Financial Planner (CFP) के अनुभव और समझ पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार किसी विशेष सरकारी नीति, संस्था या निवेश उत्पाद की सिफारिश नहीं हैं। निवेश संबंधी निर्णय हमेशा अपनी आवश्यकताओं और सलाहकार की राय के अनुसार ही करें।