Tahseen Scam क्या लाभर्थी भी आएंगे जांच के दायरे में ? 4 साल से चल रहा था खेल, कई नेताओं का भी इन्वेस्टमेंट ?
आसनसोल, 25 अक्टूबर 2025 (स्पेशल रिपोर्ट): पश्चिम बंगाल के आसनसोल रेलपार इलाके में पिछले चार वर्षों से चला आ रहा एक बड़ा चिटफंड घोटाला अब पूरी तरह से उजागर हो गया है। मुख्य आरोपी तहसीन अहमद पर 3,000 से अधिक लोगों से कुल 350 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप लगा है। वहीं चर्चा यह भी है कि इसमें कई छुट भैया नेताओं का भी मोटा इन्वेस्टमेंट है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के अल्पसंख्यक विंग के पूर्व उपाध्यक्ष शकील अहमद के बेटे तहसीन ने ‘माशा अल्लाह’ नामक आकर्षक योजनाओं के जरिए लोगों को लुभाया, लेकिन अब हजारों पीड़ित सड़कों पर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। वही तहसीन केअधिवक्ता का कहना है शिकायत सिर्फ 54 लाख की है इसमें भी आधा पैसा वापस कर दिया गया है।













घोटाले का खुलासा तब हुआ जब हाल ही में तहसीन पर हमला हुआ, जिसके बाद पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। तहसीन, उसके पिता शकील अहमद और भाई मोहसिन समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। तहसीन को गिरफ्तार पुलिस ने 10 दिन के रिमांड पर लिया है।
ठगी का जाल कैसे बिछा?
तहसीन ने सबसे पहले सस्ते दामों पर इलेक्ट्रॉनिक सामान, बाइक और आईफोन जैसे उत्पाद देकर लोगों का भरोसा जीता। एक रिटायर्ड बीएसएफ अधिकारी ने बताया, “मैंने पहले तीन लाख रुपये निवेश किए। अच्छा रिटर्न मिला तो 41 लाख तक पहुंच गया, लेकिन अब एक पैसा भी नहीं लौट रहा।” इसी तरह, कई लोगों ने त्योहारों के मौके पर विशेष ऑफरों में फंसकर पैसे जमा किए। ‘माशा अल्लाह’ योजना में तीन स्कीम चलाई जाती थीं, जहां ‘सीट लिमिटेड’ का लालच देकर लोगों को प्रलोभित किया जाता था। शुरुआत में उत्पाद देकर विश्वास बनाया, फिर नकद निवेश शुरू कराया। दस्तावेजों से साफ है कि पीड़ितों को ‘दोगुना रिटर्न’ का वादा किया गया, लेकिन मार्च 2025 में तहसीन पर हमले के बाद भुगतान रुक गया।
पीड़ितों का कहना है कि इस गोरख धंधे में स्थानीय नेता, और अधिकारी भी शामिल थे। विशेष ऑफरों में पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के लिए छूट दी जाती थी, जिससे यह सब प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूलता रहा। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए कहा, “टीएमसी अल्पसंख्यक विंग के चेयरमैन शकील अहमद के बेटे ने ज्यादातर मुस्लिम परिवारों को ठगा। सरकार क्या कार्रवाई करेगी?” वहीं, विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच और गिरफ्तारी की मांग की है।
लाभार्थी भी जांच के दायरे में?

अब एक नया सवाल उठ रहा है—जिन लोगों ने तहसीन से सस्ते सामान या बाइक खरीदी, वे क्या जांच के दायरे में आएंगे? पीड़ितों का कहना है कि कई लोग अभी भी चुप हैं क्योंकि उन्हें लाभ हुआ था। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमें डर है कि अगर हम बोलेंगे तो हम पर भी शक होगा। लेकिन न्याय सबको मिलना चाहिए।” टीएमसी ने शकील अहमद को निष्कासित कर दिया है, लेकिन पार्टी पर मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं।
क्या मिलेगा न्याय?
पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है, और इलाके में आक्रोश फैल रहा है। एक पीड़ित महिला ने भावुक होकर कहा, “हमने पति से छिपाकर निवेश किया, अब परिवार टूटने की कगार पर है।” पुलिस ने जांच तेज कर दी है, लेकिन सवाल वही है—क्या ठगी के शिकार लोगों को उनका बकाया मिल पाएगा? या यह घोटाला राजनीतिक रस्साकशी का शिकार हो जाएगा? आसनसोल की सड़कों पर न्याय की यह लड़ाई लंबी चलने वाली है।


