West Bengal

TET विवाद में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की समीक्षा याचिका : अशोक रुद्र

ममता बनर्जी व अभिषेक बनर्जी का शिक्षकों को आश्वासन

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता: : पश्चिम बंगाल की शिक्षक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) से जुड़े फैसले की समीक्षा के लिए विशेष याचिका दायर की है। यह याचिका 28 अक्टूबर 2025 को दाखिल की गई, जो शिक्षकों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में यह कदम उठाया गया है, जिसका शिक्षक संगठन के भूतपूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक रुद्र ने स्वागत किया है।टीईटी विवाद की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था, जिसमें राज्य के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षकों के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया। अदालत ने दो वर्ष की समयसीमा निर्धारित की थी, जिसमें शिक्षकों को परीक्षा पास करनी होगी, अन्यथा उनकी नौकरी पर संकट मंडरा सकता है। इस फैसले से राज्य के लाखों शिक्षक चिंतित हो गए थे, क्योंकि कई शिक्षक वर्षों से सेवा दे रहे हैं लेकिन टीईटी नहीं दे पाए।इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस पार्टी के शिक्षक संगठनों ने 4 अक्टूबर 2025 को पार्टी नेतृत्व से मुलाकात की थी। उस दौरान मामले की गहन जानकारी साझा की गई और समीक्षा याचिका दायर करने का आश्वासन दिया गया। अब सरकार ने वचन पूरा करते हुए यह कदम उठाया है।

अशोक रुद्रा ने बताया कि याचिका में शिक्षकों की लंबी सेवा, राज्य की शैक्षिक व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव और अन्य राज्यों के उदाहरणों का हवाला दिया गया है।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का धन्यवाद देते हुए शिक्षक संगठनों ने कहा कि यह कदम राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसी क्रम में पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी का भी विशेष आभार व्यक्त किया गया, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के तुरंत बाद सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की थी। अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया के माध्यम से शिक्षकों को भरोसा दिलाया था कि उनकी नौकरी सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।हालांकि, संगठनों ने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर कानूनी प्रक्रिया को और मजबूती से आगे बढ़ाया जाएगा। ।

अशोक रुद्रा ने कहा, “हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी, क्योंकि शिक्षकों का भविष्य दांव पर लगा है।” इसके अलावा, केंद्र सरकार और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के रवैये पर नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी गई है। यदि केंद्र शीघ्र कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाता, तो राज्य स्तर पर बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। “सड़कों पर उतरकर एनसीटीई और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होंगे, ताकि शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा हो सके,”

यह मामला पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था के लिए अहम है, जहां स्कूलों में शिक्षकों की कमी पहले से ही एक बड़ी समस्या है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समीक्षा याचिका स्वीकार हुई, तो न केवल राज्य के शिक्षकों को राहत मिलेगी, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल कायम होगी। फिलहाल, सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।

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