ASANSOLसाहित्य

कोरोना का आतंक

प्रकाश चन्द्र बरनवाल
‘वत्सल’ आसनसोल

मृत्यु ने जब विश्व को दस्तक दिया,
निर्द्वन्द्व बिल्कुल बेखबर हम सो रहे थे।
जब पलक झपते ही हजारों चल बसे,
तब कोरोना आतंक बनकर छा गया।।

प्रतिरोधकता की हमारी शक्ति को,
वायरस ने इस कदर बाधित किया।
दंश की उत्पीड़ना से, नित्य उद्वेलित हुए,
समेकित औषधि से टिमटिमाता दिया।।

अब तलक न राह समुचित मिल रहा,
हर तरफ कोहराम अतिशय दिख रहा।
परिवार में मिल साथ बैठें सब घरों में,
चहुं ओर कोराना – से आतंक रिस रहा।।

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