West Bengalसाहित्य

बिच्छू

   - मनीषा अग्रवाल 
     सालतोड़ बाजार
     पुरुलिया ,पश्चिम बंगाल
युवा कवयित्री मनीषा अग्रवाल

अरे ओ बिच्छू!
क्यों इतने डंक मारते हो?
उसूल सामने से मारने की है और तुम पीछे से मारते हो।
दिल तो तुम्हारा भी करता होगा कि कोई तुम्हें भी प्यार करे।
मगर कोई तुम्हारी छाया अपने घर परिवार पर नहीं पड़ने देना चाहता।
तुममें एक खासियत है कि तुम बिना छेड़े डंक नहीं मारते।
मगर अभी फैसन का दौर है
ना छेड़ने वाले भी तुम्हारे शिकार हो रहे है।
तुम सारे जहर त्याग क्यों नहीं देते?
डंक मारना छोड़कर सन्यास क्यों नहीं लेते?
शायद मेरी बाते तुम्हें अच्छी नहीं लग रही होगी
वैसे भी सुना है मैनें
तुम दर्पण दिखाने वाले की सफाई कर देते हो।
तुम मेरी सफाई मत कर देना।
मेरे बाद और भी कलमें उठेंगी।

One thought on “बिच्छू

  • Nivrat mohaniya

    Lajawab hai

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