साहित्य

गज़ल

प्रकाश चंद्र बरनवाल
प्रकाश चंद्र बरनवाल

चीन क्या सचमुच समझ पाया नहीं
राष्ट्र का गौरव हमारी शान है।

उसने क्या समझा भारत देश‌ को
विश्वास, धैर्य, आस्था पहचान है।

विस्तार हित तुम अनैतिक पथ चुने
विद्वेष हर ध्वंस का आगाज है।

विकास का मतलब क्या है असलहा
कारक यह विनाश का अभिशाप है।

छोटा – बड़ा नहीं कोई विश्व में
आणविक हथियार सबके पास है।

मानवता आज विखंडित हो रही
जो तुम्हारे दंभ की पहचान है।

आराध्य ने क्यों भला जीवन दिया
क्या यही इस मुल्क की पहचान है।

जिन्दगी का हर सबब देता सबक
चन्द लमहा ही तुम्हारे पास है।

किस तरह तुमने गुजारी ‌ जिन्दगी
हर करम का मोल उसके पास है।

तुमने सिंहासन चुना किस वास्ते
आवाम के लिए जब उपहास है।

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