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हिंदी का भविष्य उज्जवल

हिंदी गवेषक परिषद ने आयोजित की राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

बंगाल मिरर, आसनसोलः हिंदी गवेषक परिषद ,आसनसोल की ओर से ‘ राजभाषा हिंदी: संवैधानिक स्थिति बनाम वास्तविक स्थिति’ विषय पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन आभासीय मंच के द्वारा आयोजित किया गया । जिसकी अध्यक्षता टीडीबी कॉलेज के भूतपूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. डीपी. बरनवाल ने किया तथा कार्यक्रम का संयोजन संस्था के सचिव डॉ.विजेंद्र कुमार के नेतृत्व में आयोजित किया गया।

राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

संगोष्ठी में प्रतिभूति मुद्रणालय , हैदराबाद के राजभाषा विभाग के उप प्रबंधक संदेश कुमार यादव ने राजभाषा हिंदी की संवैधानिक स्थिति को स्पष्ट करने के क्रम में भारतीय संविधान में राजभाषा से संबंधित अनुच्छेदों( 343से 351) को व्याख्यायित किया और उसके बरक्श उनकी वास्तविक स्थिति पर बातें रखते हुए कहां की राजभाषा हिंदी का भविष्य उज्जवल है।

दूसरे वक्ता के रूप में कोलकाता विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रवक्ता डॉ. रामप्रवेश रजक ने कहा कि संवैधानिक उपबंधों के अनुपालन एवं उनके क्रियान्वयन के द्वारा राजभाषा हिंदी का उचित स्थान मिल पाएगा। तीसरे वक्ता के रूप में सिकंदराबाद से जुड़े हिंदी अनुवादक कुणाल सिंह ने राजभाषा हिंदी ही एकमात्र हिंदी ही समूचे संस्कृतियों के सभी तत्वों को प्रतिनिधित्व करने वाली भाषा है।

इस कार्यक्रम में चौथे वक्ता के रूप में जुड़ी टी.डी.बी कॉलेज रानीगंज, के हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. मंजुला शर्मा ने राजभाषा हिंदी के संवैधानिक स्थिति को स्पष्ट करते हुए उसके वास्तविक स्थिति की बेहतरी के लिए अपने ।

मूल राजभाषा के रूप में स्थापित न हो पाना हमारे समय की बड़ी विडंबना

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे हैं डॉ डीपी वर्णवाल ने कहां कि हिंदी को भारतीय संविधान सभा द्वारा राजभाषा से होते हुए राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से उप बंधित अनुच्छेदों का हवाला देने के बरक्श चिंता जताते हुए कहा कि भारतीय संविधान के लागू होने के 70 वर्षों के बाद भी हिंदी संघ की राष्ट्रभाषा तो दूर मूल राजभाषा के रूप में स्थापित न हो पाना हमारे समय की बड़ी विडंबना है और इस पर हमें यथाशीघ्र सकारात्मक पहल करना चाहिए वरना स्थिति आने वाले लंबे समय तक जस की तस बनी ही रह जाएगी।

कार्यक्रम का संचालन सहसचिव गौतम सिंह राणा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के अध्यक्ष उदित नारायण ने दिया।

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