कोवैक्सीन पर मोदी सरकार का यू-टर्न
बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता ः पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन (CORONA Vaccine) पर जोर दे रही है। हर ओर इसे लेकर चर्चा है, कहीं डोज तो कहीं ट्रायल को लेकर चर्चा हो रही है। भारत में भी इसे चुनावी मुद्दा बनाया गया। बिजली, पानी के मुद्दे को अपडेट कर में भी कोरोना वैक्सीन की जनता से वैक्सीन मुफ्त में बांटने के वादे किये, लेकिन चुनाव बीतते ही सरकार ने इससे यू-टर्न ले लिया है। मोदी सरकार के 15 लाख, 2 करोड़ रोजगार के तरह यह भी एक जुमला बनकर रह गया।
वैक्सीन का प्रभाव मुद्दा ः डा. भार्गव
आइसीएमआर ICMR औऱ सरकार का चौकाने वाला बयान है, ICMR DG डा. बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीन की सफलता उसके प्रभाव पर निर्भर करती है। वैक्सीन के प्रभाव को लेकर एक मुद्दा है, क्योंकि कुछ व्यक्तियों पर 60 तो कुछ पर 70 फीसदी प्रभावकारी हो सकता है।
वहीं अब सुनने को मिल रहा है कि सरकार का उद्देश्य कोरोना का ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है। थोड़ी आबादी को वैक्सीन देकर कोरोना फैलने से रोकने में सफल रही तो सभी को वैक्सीन की जरूरत नहीं होगी।
सरकार ने कभी सभी को वैक्सीन देने की बात नहीं कही ः स्वास्थ्य सचिव
वहीं स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने साफ कहा है कि सरकार ने कभी पूरे देश को कोरोना वैक्सीन देने की बात नहीं की है। एेसी वैज्ञानिक चीजों पर तथ्यों से बात की जाये। यानि 24 घंटे बिजली, पानी के दावे की तरह यह भी हवा हो गयी। सरकार अपनी कथनी से ही पलट गयी है।वहीं केन्द्रीय सचिव ने आबादी का एक वर्ग सोचता है कि उन्हें टीकाकरण की जरूरत नहीं है।
वैक्सीन परीक्षण की घटनाओं को लेकर लोगों में भय और संकोच बढ़ रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को कोविड 19 वैक्सीन देने की कोई योजना नहीं है। सरकार का उद्देश्य जनता के एक बड़े समूह को बड़े पैमाने पर टीकाकरण कर चेन को तोड़ना है। अब सवाल यह है कि क्या भारत की जनता को वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी, अगर वैक्सीन आयेगी तो सभी को मिलनी चाहिए या थोड़ी आबादी को।