आपकी जेब में है CORONA, सरकार की चुप्पी पर सवाल
करेन्सी नोटों से कोरोना फैलने पर सरकार की चुप्पी पर कैट ने खड़ा किया सवाल
बंगाल मिरर, संजीव यादव: CAIT के सुभाष अग्रवाला ने कहा कि कोरोना के कारण सरकार के मंत्रियों और स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण सरकारी विभागों पर काम का बोझ इतना ज़्यादा हैैै कि यदि राष्ट्रीय स्तर की महतवपूर्ण संस्था कोरोना CORONA से निपटने के लिए सरकार की मदद करने के उद्देश्य से कोई तार्किक जानकारी माँगी।
तो भी किसी के पास इतनी फ़ुर्सत नहीं है की नौ महीने में अनेक बार याद दिलाने के बावजूद भी स्वास्थ्य मंत्री और सम्बंधित संस्थान आईसीएम्आर ICMR एवं रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया RBI के पास इतना समय नहीं है कि वो देश के नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़े एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर जानकारी दे सके ।
जबकि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है ! हालकि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने मुद्दे पर गोल मोल जानकारी देते हुए यह अवश्य कहा की उसने देश भर में लोगों को डिजिटल भुगतान अपनाये जाने इ लिए अनेक एडवाइसरी जारी की हैं !
यह मामला है ये जानकारी लेने का की क्या करेंसी नोटों के करिए कोरोना फैलता है।
CAIT ने भेजा पत्र नहीं मिला जवाब
कन्फ़ेडरेशन ओफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (CAIT ) ने 9 मार्च 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को एक पत्र भेजकर पूछा था की क्या कोरोना करेंसी नोटों के ज़रिए फैल सकता है वहीं 18 मार्च , 2020 को कैट ने एक अन्य पत्र इंडियन काउन्सिल ओफ़ मेडिकल रीसर्च (आईसीएमआर) के निदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव को पत्र भेज कर यही सवाल उनसे भी किया था ।
कोई जवाब न मिलने के बाद फिर जुलाई और सितम्बर में दोनों को मुद्दे के विषय में बताते हुए स्पष्ट जानकारी देने के लिए कहा की क्योंकि देश भर में व्यापारी बड़ी संख्यां में करेंसी नोट के जरिये व्यापार करते हैं और आम जनता भी करेंसी नोट का बहुतायत प्रयोग करती है जिन्तु नौ महीने बीत जाने के बाद भी कोई उतर आज तक कैट के पास कोई उत्तर नहीं आया है !
व्यापारियों को इससे बहुत अधिक खतरा
ज्ञातव्य है की देश में अनेक जगह और विदेशों में अनेक देशों में इस विषय पर अनेक अध्ययन रिपोर्ट में यह साबित हुआ है की करेन्सी नोटों के द्वारा किसी भी प्रकार का संक्रमण तेज़ी से फैलता हैं क्योंकि नोटों की सतह सूखी होने के कारण किसी भी प्रकार का वाइरस या बैकटेरिया लम्बे समय तक उस पर रह सकता हैंऔर क्योंकि करेंसी नोटों का लेन- देन बड़ी मात्रा में अनेक अनजान लोगों के बीच होता है तो इस शृंखला में कौन व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है यह पता ही नहीं चलता और इस कारण से करेंसी नोटों के द्वारा संक्रमण जल्दी होने की आशंका रहती है । भारत में नकद का प्रचलन बहुत ज्यादा है और इस दृष्टि से व्यापारियों को इससे बहुत अधिक खतरा हैं क्योंकि देश के 130 करोड़ लोग अपनी जरूरतों की चीजें व्यापारियों से ही अधिकांश रूप से नकद में खरीदते हैं !
करेन्सी नोट के ज़रिए संक्रमण
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी , लखनऊ, जर्नल ऑफ़ करेंट माइक्रो बायोलोज़ी एंड ऐपलायड साइयन्स, इंटर्नैशनल जर्नल ऑफ़ फ़ार्मा एंड बायो साइयन्स, इंटर्नैशनल जर्नल ऑफ़ एडवॉन्स रिसर्च आदि ने भी अपनी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि करेन्सी नोट के ज़रिए संक्रमण होता है । इस दृष्टि से कोरोना काल में करेन्सी का इस्तेमाल सावधानिपूर्वक किया जाना ज़रूरी है । लेकिन इस मामले पर सरकार की चुप्पी बेहद आश्चर्यजनक है । कैट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से मांग की है की वो मामले की गंभीरता को देखते हुए यह स्पष्ट करें की क्या करेंसी नोटों के जरिये कोरोना अथवा अन्य वाइरस या बैक्टेरिया फैलता है अथवा नहीं !
CAIT has been patiently waiting for a Reply from RBI as well as the Health Minister regarding the unveiling of the spreading of Corona through Currency notes or not. But why is there no answer from their end, since March, is a matter of concern.