ASANSOLधर्म-अध्यात्म

मां शाकम्भरी के जयकारो से गूंजा आसनसोल

बंगाल मिरर, आसनसोल ः शाकम्भरी परिवार आसनसोल विगत 7 वर्षों से माता शाकम्भरी प्राकट्य जयन्ती महोत्सव मना रहा है। समिति के सदस्यो के अनुसार आज 21 जनवरी को सिधानियॉ भवन, एन एस रोड आसनसोल मे शाकम्भरी जयन्ती उत्सव का महाआयोजन किया गया है जिसमे भव्य श्रृंगार, ज्योत प्रज्जवलन, छप्पन भोग, अखंड ज्योत, चुनड़ी, गजरा, सुप्रसिद्ध भजन गायक मनोहर पारीक आसनसोल के द्वारा भजन अमृतवर्षा, महाप्रसाद आदि का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम मे कई भक्तो ने माता के दर्शन किए एवं प्रसाद ग्रहण किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने मे शाकम्भरी परिवार के सभी सदस्यो का बहुत बहुत सहयोग रहा।

प्राचीन समय मे दुर्गमासुर नामक एक महा दैत्य हुआ जिसने कठोर तपस्या कर के ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर के चारों वेद हासिल कर लिए जिसके कारण देवताओं की शक्ति क्षिण हो गई और 100 वर्षों तक जल नहीं बरसा। भीषण सूखा और चारों ओर हाहाकार मचा था।

तब ऋिषि मुनी और देवताओं ने आदिशक्ति मां भगवति का आह्वान किया और माता ने उनकी करुण पुकार सुनकर शताक्षी रूप मे प्रकट हुई और अपनी सौ नैनों से नौ दिन और रात लगातार जल बरसाया जिससे धरती पर चारों ओर जल के साधन उत्पन्न हुए और फिर माता ने शाकम्भरी रूप धारण कर के धरती पर शाक उत्पन्न कर के सबके प्राण बचाए, सबकी क्षुधा मिटाई। शाकम्भरी रूप मे ही माता ने दैत्य दुर्गमासुर का वध कर के वेदों को मुक्त कराया और धरती का उद्धार किया। दुर्गमासुर का वध करने पर माता का नाम दुर्गा देवी पड़ा जिन्हें आज संसार जगत जननी शक्ति की देवी के रूप मे पूजता है।


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