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Narada Case : CBI को सुप्रीम कोर्ट में झटका, हाईकोर्ट में ही मामले की सुनवाई का निर्देश, अर्जी ली वापस

बंगाल मिरर, राज्य ब्यूरो, कोलकाता : नारदा स्कैम केस में हर रोज नया मोड़ आता जा रहा है। सीबीआई ने नारदा स्कैम केस में टीएमसी के 3 नेताओं सहित 4 नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील को वापस ले लिया है। बता दें कि सीबीआई ने एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। वहीं दूसरी ओर सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की बेंच पहले से इस मामले में सुनवाई कर रही है। ऐसे में सीबीआई और संबंधित चारों नेता अपने सभी मुद्दों को उस पीठ के समक्ष रख सकते हैं। हमने नारद स्कैम मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है, मामले को लेकर किए गए हमारे अब तक के अवलोकन इस संबंध में हमारे विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।


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जानिए क्या है मामला

बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा 21 मई को नारदा घोटाला मामले के आरोपी टीएमसी के तीन नेताओं समेत चार नेताओं को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने की बजाए हाउस अरेस्ट करने और मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। दरअसल सीबीआई ने कोलकाता हाईकोर्ट में पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष इन आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सोमवार को होने वाली सुनवाई को स्थगित करने वाले आवेदन में कहा है कि उसने 21 मई के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस आधार पर सीबीआई ने हाईकोर्ट में आज होने वाली सुनवाई को हटाने की मांग की है।

जानिए क्यों किया गया हाउस अरेस्ट

21 मई को हाईकोर्ट की खंडपीठ के जजों में आरोपियों को अंतरिम जमानत देने के मामले में अलग-अलग राय थी। जहां एक जज का कहना था कि आरोपियों को अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए, वही दूसरे जज की राय बिल्कुल उलट थी। यही वजह थी कि खंडपीठ ने सभी आरोपियों को हाउस अरेस्ट में भेजने का निर्णय लिया था। साथ ही खंडपीठ ने इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेज दिया था। मालूम हो कि 17 मई को सीबीआई ने टीएमसी नेता फरियाद हाकीम, सुब्रतो मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी को नारदा घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था।

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क्या है नारदा घोटाला?

साल 2016 में बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप का खुलासा किया गया था। ऐसा दावा किया गया था कि ये टेप साल 2014 में रिकॉर्ड किए गए थे। इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक और कोलकाता के मेयर को कथित रूप से एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से रकम लेते दिखाया गया था। यह स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने किया था। साल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन टेप की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था।

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