HealthLatestNational

टूटे दांत को न फेंके, उसी दांत को दोबारा जोड़ना हुआ संभव

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : अक्सर छोटे बच्चे या किशोर के जबड़े की हड्डी या दांत चोट या तेज झटका लगने पर टूट जाते हैं या कई बार जबड़े की हड्डी बाहर आ जाती है। दांत और जबड़े की हड्डी में कोई दरार या टूट-फूट नहीं हुई है, तो इसे फेंकने की बजाय सुरक्षित रख लें। इसका पुन: प्रत्यारोपण बीएचयू के दंत चिकित्सा विभाग में संभव है। संकाय के चिकित्सकों ने एक 12 वर्षीय बालिका के एक दांत को लगभग 2 दिनों के बाद पुनः प्रत्यारोपित करने में सफलता पा ली है।

किसी कारणवश अलग हो चुके दांतों को दोबारा जोड़ना संभव

प्रत्यारोपण के बाद उक्त दांत को स्थिर रखने के लिए, अगल-बगल के दांतों की पीछे वाली सतह से, तार से बांध दिया गया था। साथ ही बच्चे को अपने मुंह एवं सभी दांतों की साफ सफाई एवं स्वच्छता बनाए रखने के लिए आवश्यक निर्देश दिये गए थे। जिसका उसने भली प्रकार से पालन किया। बच्ची को चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया तथा समय-समय पर संकाय में बुलाकर उक्त दांत की जांच कराई गयी। अब लगभग चार वर्ष से अधिक समय बीतने के पश्चात, पिछले दिनों की जांच में यह पाया गया कि उक्त दांत की जड़ का क्षरण अभी भी पूरी तरह नहीं हुआ है। दांत अपनी जगह पर स्थिर है एवं सही तरीके से कार्य कर रहा है।

मानसिक वेदना से उबरने व चेहरे की सुन्दरता को बनाए रखने में मिलेगी मदद

मंगलवार को संकाय प्रमुख एवं विभागाध्यक्ष प्रो. विनय श्रीवास्तव ने बताया कि दुर्घटना में अपने प्राकृतिक दांत को खोने की मानसिक वेदना से उबरने एवं चेहरे की सुन्दरता को पुनः प्राप्त करने की दिशा में, यह तकनीक एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों एवं किशोरों के जबड़े की हड्डी अथवा दांत में यदि कोई चोट या तेज झटका लगता है, तो कभी-कभी उनके दांत, जबड़े की हड्डी से बाहर आ जाते हैं। ऐसा इस उम्र के बच्चों की हड्डियां अपरिपक्व एवं लचीली होने की वजह से होता है। सबसे ज्यादा संभावना, उपरी जबड़े के सामने वाले कृन्तक दांतों के पृथक्करण की रहती है। उन्होंने बताया कि ऐसे दांतों का जबड़े की हड्डी में पुनः प्रत्यारोपण भी आजकल संभव हो गया है।

दांत को कैसे रखें सुरक्षित

उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया की सबसे बड़ी चुनौती, पृथक हुए दांत को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की होती है। किन्तु यदि दांत को कुछ विशिष्ट संरक्षण माध्यमों जैसे नमकीन पानी, दूध, लार, नारियल पानी एवं एचबीसी में रखा जाए, तो यह पूर्ण सुरक्षित रहता है एवं पुनः प्रत्यारोपित किया जा सकता है। बताया कि दन्त प्रत्यारोपण की सफलता यद्यपि कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे – दांत की जड़ का पूर्ण विकसित होना, जड़ों के चारों तरफ पाए जाने वाले तन्तुओं की अवस्था एवं दांत के जबड़े से बाहर रहने का समय।

पृथक दांत को पुनः प्रत्यारोपित करने का समय

यदि दांत को पृथक होने के 20 मिनट के भीतर प्रत्यारोपित कर दिया जाय तो दांत के सामान्य रूप से जुड़ जाने की संभावना सर्वाधिक होती है। कुछ शोधों में यह पाया गया है कि यदि यह समय 2 घण्टे से अधिक का हो, तो दांत के जड़ की बाहरी सतह के गलने अथवा शोषित होने की संभावना बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय के बाल दन्त चिकित्सा इकाई में इस विषय में अध्ययन एवं शोध किया गया, जिससे दांत के पृथक होने एवं सफलतापूर्वक पुनः प्रत्यारोपित करने के समय को और अधिक बढ़ाया जा सके, ताकि यदि किसी कारणवश कोई रोगी 48 घण्टे अथवा अधिक समय के बाद दन्त चिकित्सक के पास जाता है तो भी उसे निराश न होना पड़े।

West Bengal में 30 तक रहेगी पाबंदी, लोकल ट्रेनें नहीं चलेगी, नहीं खुलेंगे स्कूल-कॉलेज

News Editor

Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *