ASANSOL

निगम पर 600 करोड़ का बोझ ! चेयरपर्सन और पूर्व मेयर में जुबानी जंग

बंगाल मिरर, आसनसोल : आसनसोल नगरनिगम में 600 करोड़ को लेकर विवाद शुरू हो गया। नगरनिगम पर 600 करोड़ का बोझ लादने का आरोप पूर्व मेयर जितेन्द्र तिवारी पर  वर्तमान प्रशासक सह तत्कालीन चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी ने लगाया है। जिसके बाद जितेन्द्र तिवारी ने भी पलटवार किया है। इससे जुबानी जंग शुरू हो गई है।


आसनसोल निगम के प्रशासक अमर नाथ चटर्जी  ने विस्फोटक आरोप लगाया है। करीब 600 करोड़ रुपये के फंड की गड़बड़ी की बात कही और कहा कि जितेंद्र तिवारी के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है।  आसनसोल निगम के प्रशासक अमर नाथ चट्टोपाध्याय ने कहा कि पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी ने करीब 600 करोड़ रुपये का बोझ छोड़ा था। काम कराया लेकिन ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया। पैसा दूसरे क्षेत्र में गया है।उन्होंने रवींद्र भवन के आधुनिकीकरण के लिए 9 करोड़ रुपये की लागत दिखाई है जिससे एक और रवींद्र भवन बनाया जा सकता था। उसने आसनसोल में एक कॉफी हाउस भी बनाया लेकिन ठेकेदार को भुगतान नहीं किया  करीब करोड़ रुपये। समझा जा रहा है कि इस तरह से विभिन्न कार्यों को करने के लिए करीब 600 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

 आसनसोल नगर निगम के प्रशासक अमर नाथ चटर्जी पैसे चुकाने का रास्ता तलाश रहे हैं।  अगर पैसा नहीं चुकाया होता तो विकास हो सकता था लेकिन उन्होंने इतना कर्ज का बोझ डाल दिया है कि आसनसोल के लोगों को विकास से वंचित करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी अपने दम पर बोर्ड चलाते थे। इसलिए उस समय किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया गया। निगम ने गड़बडी की जांच शुरू कर दी है। समिति का गठन किया गया है। उनके कार्यों को लेकर जो शिकायतें मिल रही है। उन सभी की जांच कराई जा रही है। 

आसनसोल के लिए आवाज उठायेंगे तो कुर्सी चली जायेगी : जितेन्द्र तिवारी

वहीं जितेन्द्र तिवारी का कहना है कि जांच का निर्देश दे सकते हैं, वह भूल गये हैं कि वर्तमान प्रशासक तब चेयरमैन थे। उस समय बोर्ड बैठक में जो भी निर्णय लिये गये हैं उन सभी में उनका हस्ताक्षर है। चेयरमैन के हस्ताक्षर के बिना कोई बोर्ड बैठक का प्रस्ताव पारित नहीं होता, उस समय उनका दिमाग कहां था। क्या काम होगा क्या नहीं यह देखने के लिए अभियंता और सरकारी अधिकारी है। उन्होंने कहा कि जब मैं था तब राजस्व संग्रह कर काम करता था, कोलकाता से आसनसोल के पैसे लाता था, वह मांग करेंगे तो उनकी कुर्सी चली जायेगी।

 उन्होंने कहा कि यह सब कहानी कहने से नहीं होगा, जो भी फैसला हुआ सभी में उनकी हस्ताक्षर है। इसलिए पहले अपने खिलाफ जांच करायें। मैनें कुर्सी छोड़ी तभी वह बैठे हैं। वह अपनी नाकामी छुपाने के लिए यह सब कर रहे हैं। अपने करीबियों को टैक्स छोड़ दिया। सब व्यवसायियों को क्यों छूट नहीं दिया। लोकप्रियता के चक्कर में नगरनिगम का 12 बजा दिया। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *