शिल्पांचल मे जगत जननी मां शाकम्भरी नाम की धूम
बंगाल मिरर, आसनसोल: शिल्पांचल मे जगत जननी मॉ शाकम्भरी नाम की धूम। प्राचीन समय मे दुर्गमासुर नामक एक महा दैत्य हुआ जिसने कठोर तपस्या कर के ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर के चारों वेद हासिल कर लिए जिसके कारण देवताओं की शक्ति क्षिण हो गई और 100 वर्षों तक जल नहीं बरसा। भीषण सूखा और चारों ओर हाहाकार मचा था। तब ऋिषि मुनी और देवताओं ने आदिशक्ति मां भगवती का आह्वान किया तो माता उनकी करुण पुकार सुनकर शताक्षी रूप मे प्रकट हुई और अपने सौ नैत्रो से नौ दिन और रात लगातार जल बरसाया जिससे धरती पर चारों ओर जल के साधन उत्पन्न हुए और फिर माता ने शाकम्भरी रूप धारण कर के धरती पर शाक उत्पन्न कर के सबके प्राण बचाए, सबकी क्षुधा मिटाई। शाकम्भरी रूप मे ही माता ने दैत्य दुर्गमासुर का वध कर के वेदों को मुक्त कराया और धरती का उद्धार किया। दुर्गमासुर का वध करने पर माता का नाम दुर्गा देवी पड़ा जिन्हें आज संसार जगत जननी शक्ति की देवी के रूप मे पूजता है।
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शाकम्भरी परिवार आसनसोल विगत 8 वर्षों से माँ शाकम्भरी वार्षिक महोत्सव मना रही है। सस्थॉ के सदस्य सजंय सुलतानियॉ, शकंर क्याल, महेश क्याल, सतीश क्याल ने बताया की इस वर्ष 24 फरवरी गुरूवार को स्थानीय सिधानियॉ भवन नेताजी सुभाष रोड, (मॉ दुर्गा नर्सिंग होम के सामने) आसनसोल मे शाकम्भरी उत्सव का महाआयोजन किया गया है जिसमे भव्य श्रृंगार, ज्योत प्रज्जवलन, छप्पन भोग, अखंड ज्योत, मेंहदी, गजरा, सुप्रसिद्ध कलाकार स्वेता रूनझुन एवम् रितेश वर्णवाल के द्वारा भजन अमृतवर्षा, महाप्रसाद आदि का आयोजन किया गया है।