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All India Strike ः राज्य में सरकारी कार्यालय खुले रखने का निर्देश, सभी कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य

BMS ने कहा हड़ताल राजनीति से प्रेरित नहीं होंगे शामिल

बंगाल मिरर, कोलकाता : All India Strike के दौरान सरकारी कार्यालय खुले रखने का निर्देश, सभी कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य। केन्द्र सरकार की नीतियों के विरोध में केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ( Central Trade Unions ) द्वारा सोमवार से 48 घंटे के भारत बंद ( Bharat Bandh ) का आह्वान किया गया है । केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, जनविरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ 28-29 मार्च 2022 को अखिल भारतीय हड़ताल की जा रही है । यह जानकारी देते हुए सीटू नेता जीके श्रीवास्तव ने बताया  कि संयुक्त राज्य स्तरीय सम्मेलनों, सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र और असंगठित क्षेत्रों जैसे योजना श्रमिक, घरेलू कामगार, हॉकर, बीड़ी श्रमिक, निर्माण श्रमिक आदि में क्षेत्रवार सम्मेलनों के साथ हड़ताल की तैयारी जोरों पर है। वहीं आम जनता से भी इसमें समर्थन मांगा है वहीं दूसरी और राज्य सरकार की ओर से निर्देश जारी किया गया है कि इस दौरान सभी सरकारी कार्यालय खुले रहेंगे और सभी कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य रहेगी।

इस दौरान सभी कर्मियों की पहले से ली गई छुट्टी भी रद्द मानी जाएगी उन्हें हर हाल में उपस्थित रहना होगा जो कर्मी अनुपस्थित पाए जाएंगे उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही होगी इस कार्रवाई को 13 अप्रैल अंदर पूरा करने का निर्देश दिया गया है कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर छुट्टी की मंजूरी नहीं होगी इसके बाद आशंका जताई जा रही है कि बंद के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में अशांति हो सकती है

बीएमएस . 28 और 29 मार्च 2022 को कुछ केंद्रीय श्रम संगठनों द्वारा आहूत दो दिवसीय हड़ताल में भाग नहीं लेगा

कुछ केंद्रीय श्रम संगठनों द्वारा दिए गए दो दिवसीय हड़ताल के आह्वान पर भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है क्यों कि : इस हड़ताल का आह्वान विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित है । यह आन्दोलन केवल उन राजनीतिक दलों के अस्तित्व को बचाने के लिए है , जिनसे यह श्रम संगठन संबद्ध हैं । इन श्रम संगठनों का श्रमिकों के हितों से कोई लेना – देना नहीं है । उक्त बातें वरिष्ठ बीएमएस नेता जयनाथ चौबे ने कहीं।

उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय हड़ताल में कुछ किसान और छात्र संगठनों की सहभागिता से यह एकदम स्पष्ट है कि ये श्रम संगठन श्रमिकों के हितों की बिलकुल भी परवाह नहीं करते हैं , बल्कि केवल अपने राजनीतिक दलों के राजनीतिक हितों की स्वार्थपूर्ति के लिए श्रमिकों का उपयोग करते हैं । पिछले 75 वर्षों में हमने विभिन्न विचारधारा बाले राजनीतिक दलों की सरकारों को देखा है , लेकिन श्रमिकों की समस्यायें अभी तक अनसुलझी है इससे यह स्पष्ट है कि ‘ सत्ता परिवर्तन ‘ श्रमिकों की समस्याओं के समाधान लिए रामबाण नहीं है । इसलिए यह समय है कि हम ‘ सत्ता परिवर्तन ‘ के लिए नहीं अपितु ‘ व्यवस्था परिवर्तन ‘ पर विचार शुरू करें ‘ व्यवस्था परिवर्तन ‘ अर्थात वर्तमान तंत्र ( SYSTEM ) के अन्दर परिवर्तन ।

हम सभी श्रम संगठनों से आह्वान करते है कि वह अपनी – अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को त्याग कर एक गैर राजनैतिक संयुक्त श्रमिक आन्दोलन की रूपरेखा का निर्माण करें । भारतीय मजदूर संघ को एक गैर राजनीतिक संयुक्त श्रमिक आंदोलन का नेतृत्व करते हुए मजदूर वर्ग की सेवा करने में प्रसन्नता होगी । हम मजदूर वर्ग का राजनैतिक दलों के हितों के लिए उपयोग करने के लिए , शोषण की कड़ी निंदा करते एवं श्रम मुद्दों के प्रति पूर्ण सहानुभूति रखते हैं । हम श्रमिकों के मुद्दों को अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से समाधान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं , लेकिन श्रमिकों के राजनीतिकरण में विश्वास नहीं रखते हैं और पूरी क्षमता से श्रम कल्याण के लिए अपना कार्य करना जारी रखेंगे ।

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