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Manipal Hospitals कोलकाता द्वारा आईएमए के सहयोग से Raniganj में सीएमई का आयोजन

लिगामेंट में जख्म के बारें में जानकारी पर दिया गया जोर

बंगाल मिरर, रानीगंज ः  (ASANSOL Raniganj News Today ) मणिपाल हॉस्पिटल कोलकाता ( Manipal Hospitals ) की ओर से कंटिन्युईंग मेडिकल एज्युकेशन (सीएमई) का आयोजन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सहयोग से रानीगंज में किया गया था.  इस सीएमई का विषय लिगामेंट में जख्म था.  इस चर्चासत्र में लिगामेंट में जख्म के बाद उसका व्यवस्थापन तथा पुर्नवर्सन प्रक्रिया के बारें में चर्चा की गई.  इस कार्यक्रम में लगभग ४० लोग सहभागी हुए थे इन में अधिकतर स्थानीय डॉक्टर्स थे.  मणिपाल हॉस्पिटल्स सॉल्ट लेक, कोलकाता के कन्सल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जरी डॉ. अभिषेक दास का प्रमुख भाषण था.


इस कैम्प के बारें में जानकारी देते हुए डॉ. दास ने कहा “ लिगामेंट में जख्म जैसे महत्त्वूर्ण विषय पर जानकारी देनेंवाले विशेष कार्यक्रम का आयोजन करनें के लिए मैं आईएमए तथा मणिपाल हॉस्पिटल्स कोलकाता के प्रती आभार व्यक्त करता हूं.  लोगों में लिगामेंट में होनेंवाले जख्म के बारें में तथा उसे ठीक करनें का महत्त्व समझाने की जरूरत है.  अगर लिगामेंट में छोटासा जख्म होता है और उसे समय पर ठीक ना किया जाए तो भविष्य में इस से बड़ी समस्या निर्माण हो सकती है. साधारण तौर पर कांधों में तथा घुटनों में होनेंवाले पुराने दर्द का कारण लिगामेंट और कारटिलेज में खराबी होती है जिस पर बहुआयामी उपचारों की जरूरत होती है.  ऐसी जख्मों में अगर अधिक समय तक दर्द जारी रहता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी होता है.  जख्म की ठीक से जांच करने से जटीलता कम होकर व्यक्ती किसी भी साईड इफेक्ट के बिना तंदुरूस्त होता है.  इस कैम्प का उद्देश्य यह था की लोगों में लिगामेंट में होनेवाले जख्म के बारें में योग्य जानकरी दी जा सकें.  इस तरह की समस्याओं के बारें में जानकारी फैलाने हेतु हम पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों में भी ऐसे कैम्प्स का आयोजन करेंगे.”


लिगामेंट में जख्म होना आजकल सामान्य बात होती है और इस पर नियमित रूप से व्यायाम करनें की सलाह दी जाती है.  यह समझना जरुरी है की लिगामेंट में जख्म केवल खिलाडीयों में ही नहीं होती बल्की साधारण व्यक्ती को भी यह जख्म हो सकते है. इसलिए यह जरुरी बात है की हमें खुद को तैय्यार रहतें हुए इस प्रकार के जख्म से होनेंवाले दर्द और काम पर असर होने से बचना चाहिए.   लिगामेंट की योग्य जांच करना आवश्यक होने के साथ ही डॉक्टर की तुरंत सलाह लेना भी आवश्यक है.  अगर किसी के लिगामेंट मे छोटी जख्म होती है तो उस पर आईस थेरपी, आराम करना और डॉक्टरों की सलाह से योग्य दवाईयों की मदद से उसे ठीक किया जा सकता है.


लिगामेंट के दर्द का व्यवस्थापन तथा समय पर उपचार लेनें पर कई आशंकाएं है.  डॉ.दास ने लिगामेंट में जख्म के बारें में अपनें विचार सांझा किए.  प्रश्नों के उत्तर देतें हुए उन्होंने कहा “ अधिकर जख्म योग्य व्यवस्थापन और दवाईयों के सहयोग से ठीक हो जाती है.  जख्म  ठीक होने के बाद यह महत्त्वपूर्ण होता है की वह अवयव पहलें जैसे और उतनीं ही शक्ती से काम कर सकें.  कुछ ही लोगों में अगर दवाईयों और अन्य पर्यायों का प्रयोग विफल होता है तो घुटनें और कंधों पर  मिनीमली इन्वेज़िव की होल सर्जरी की सहायता से जल्द सुधार होकर मरीज अपना सामान्य जीवन जिने लगता है.” इस कैम्प  का आयोजन 3 मई  २२ की शाम किया गया था.

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