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Mothers Day Special : “हम बने हैं “माँ” की कोंख़ में

“हम बने हैं “माँ” की कोंख़ में।”✍

माँ” साक्षात भगवान है इस धरती पर,
“माँ” का कोई विकल्प नहीं होता है,
जब हम होते हैं अपनी “माँ” की कोंख़ में,
उस “माँ” का बलिदान अद्भुत होता है।

ईश्वर के आशीर्वाद से हम बने “माँ” की कोंख़ में,
पिताजी का एक अंश गया और हम बने “माँ” की कोंख़ में।

नौ महीने तक अपने नाभि से हमें आहार पहुँचाया था,
तब जाके कहीं हमारा शरीर, नाखून, मस्तिष्क दिन प्रतिदिन बढ़ पाया था।

उस वक्त भी हमारे संयुक्त परिवार को “माँ” ने हस्ते मुस्कुराते संभाला था,
जब बड़ा सा पेट लेकर “माँ” ने अपने हर काम को ज़िम्मेदारी से निभाया था।

दर्द, कमज़ोरी, पीड़ा बेहिसाब सहा था “माँ” ने, जिस दिन मैं इस धरती पर आया था,
पर उस दर्द भरे दिन को भी “माँ” ने, उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन बतलाया था।

खुद गीले में सोकर भी “माँ” ने, मुझे सुखे में सुलाया था,
जागी थी वो कई रातें, पर मुझे हर रात चैन से सुलाया था।

हर कुछ पलों में भूख लगते ही, मुझे शीघ्र दूध पिलाया था,
मुझ पर कोई भी आँच ना आए कभी, इसलिए खुद की हर तकलीफों को औरों से छूपाया था।

ऐसे परवरिश कर के बड़ा किया है “माँ” ने हमें, जैसे आसमान से कोई फरिशता ज़मीन पर आया है।

धन्य हैं धरती की हर एक “माँ”, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए अपना संपूर्ण जीवन दांव पर लगाया है।

इसलिये तो कहते हैं की,

“माँ” साक्षात भगवान हैं इस पावन धरा पर,
“माँ” का कोई और विकल्प नहीं,

और क्या खूब लिखा हैं किसी ने की,

“मेरी “माँ” के बराबर कोई नहीं।।”

“मेरी “माँ” के बराबर कोई नहीं।।”

📜 अमित जालान 📜

सुपुत्र: स्व: सुरेन्द्र जालान
माता: श्रीमती पुष्पा देवी जालान

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