Har Ghar Tiranga Abhiyan : ऐसे ऑनलाइन बुक करें तिरंगा, बिना डिलीवरी चार्ज घर पहुंचाएगा डाक विभाग
बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : ( Har Ghar Tiranga Abhiyan ) 13 से 15 अगस्त तक देश में हर-घर तिरंगा अभियान मनाया जा रहा है। देश के हर गांव, हर गली तक तिरंगा पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाई है डाक विभाग ने। ऐसे में डिजिटल इंडिया के जमाने में नागरिकों को घर बैठे तिरंगा मंगाने का भी ऑप्शन दिया गया है। जी, अब कोई भी नागरिक ई-पोस्ट ऑफिस पोर्टल के जरिए राष्ट्रीय ध्वज के लिए ऑनलाइन ऑर्डर कर सकता है। डाक विभाग ने बताया है कि अभियान के तहत तिरंगे की बिक्री और वितरण की सुविधा के लिए, स्वतंत्रता दिवस से पहले अवकाश के दिन में भी सभी डाकघर कार्यरत रहेंगे।
ई-पोस्ट ऑफिस पोर्टल से करें ऑर्डर
सभ लोगों तक राष्ट्रीय ध्वज आसानी से उपलब्ध कराने के लिए देशभर के डाक घर 25 रुपये की दर पर राष्ट्रीय ध्वजों की बिक्री करेंगे। बड़ी संख्या में नागरिक ई-पोस्ट ऑफिस पोर्टल ( bit.ly/3QhgK3r ) के माध्यम से राष्ट्रीय ध्वज के लिए ऑनलाइन ऑर्डर कर रहे हैं।
Har Ghar Tiranga Abhiyan : कब तक कर सकते हैं ऑर्डर
डाक विभाग इन ध्वजों को देश के भीतर किसी भी पते पर बिना किसी डिलीवरी शुल्क के पहुंचा रहा है। डाक विभाग ने नागरिकों से 12 अगस्त, 2022 की अर्ध-रात्रि से पहले ऑनलाइन ऑर्डर करने का अनुरोध किया है ताकि राष्ट्रीय ध्वज समय पर उपलब्ध कराए जा सकें। देश भर में सभी डिलीवरी डाकघर और अन्य महत्वपूर्ण डाकघर सार्वजनिक अभियान का समर्थन करने के लिए खुले रहेंगे।
कैसे करें ऑर्डर
–सबसे पहले bit.ly/3QhgK3r पोर्टल पर जाएं
–लिंक पर जाकर लॉग इन करें
–एड टू कार्ड पर क्लिक करें
–इसके बाद अगर आपको एक से ज्यादा झंडे लेने है तो संख्या बढ़ा सकते हैं
–Buy Now पर क्लिक करें और मोबाइल नंबर एड करें
–फोन नंबर पर OTP आएगा, ओटीपी भरने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी करें
तिरंगे को स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने किया डिजाइन
–देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का मूल डिजाइन आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था। वह महात्मा गांधी जी के विचारों से प्रभावित थे, और उनके कहने पर उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन किया था।
–हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में बने चक्र में 24 तीलियां होती हैं, जो अशोक चक्र की प्रतीक हैं। यह चक्र सम्राट अशोक के अनेक शिलालेखों में पाया गया है।
–72 महिलाओं के एक समूह का नेतृत्व करते हुए हंसा मेहता ने स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 14-15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि में संसद में प्रस्तुत किया। 15 अगस्त 1947 को सुबह 10:30 बजे भारत ने इतिहास बनते देखा। यह वह दिन था, जब लुई माउंटबेटन ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के लिए रास्ता दिया था, जिसे पहली बार संसद में ध्वज मस्तूल पर उठाया गया था।
राष्ट्रीय ध्वज पुराना या फट गया हो तो कैसे रखें शान बरकरार
देश की आन-बान-शान हमारा राष्ट्रीय ध्वज, जब भी लहराता है, भारतीयों में देशभक्ति की भावना भर देता है। दूर-देश में बैठे लोगों की आंखे, जब तिरंगे को ऊंचाइयों पर देखती हैं, तो छलछला जाती हैं। तिरंगा हमारी पहचान है, इसकी हर तरह से रक्षा करना हमसभी का कर्तव्य है। इस बार जबकि हम हर घर तिरंगा अभियान मना रहे हैं, तो राष्ट्रीय ध्वज को न केवल फहराने के नियम बने हैं, बल्कि झंडे को लेकर भी कुछ नियम हैं, जिसका हर किसी को पालन करना चाहिए। आइए उनके बारे में जानते हैं…
राष्ट्रीय ध्वज के गलत प्रदर्शन से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
–राष्ट्रीय ध्वज उल्टा करके प्रदर्शित नहीं किया जाएगा यानि, केसरिया पट्टी को नीचे की पट्टी के रूप में नहीं रखना चाहिए।
–क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित नहीं किया जाएगा।
–राष्ट्रीय ध्वज किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देते समय नीचे झुकाना नहीं चाहिए।
–किसी भी अन्य ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या उसके अगल-बगल में नहीं रखा जाएगा और मस्तूल के ऊपर जहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है किसी तरह की फूल माला या प्रतीक के साथ कोई वस्तु नहीं रखी जाएगी।
–राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी उत्सव, थाली, ध्वज-पट्ट या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए नहीं किया जाएगा।
–राष्ट्रीय ध्वज पानी में जमीन या फर्श या पगडंडी को नहीं छूना चाहिए। • राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी ऐसे तरीके से प्रदर्शित या बांधा नहीं जाएगा जिससे उसे कोई क्षति होने की संभावना हो।
–राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य ध्वज या झंडे के साथ एक ही मास्टहेड (फ्लैग पोल का शीर्ष भाग) से एक साथ नहीं फहराया जाना चाहिए।
–राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वक्ता की मेज ढकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और न ही उसे वक्ता के मंच पर लपेटा जाना चाहिए।
ध्वज के अपमान को रोकने के लिए नियम
गृह मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के रोकथाम के लिए भी नियम बताए गए हैं। जिसके तहत ‘राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971’ के अनुसार, इन बातों का ध्यान किया जाना चाहिए :
–राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग निजी स्तर पर की जाने वाली अंत्येष्टियों सहित किसी भी अन्य अंत्येष्टि के दौरान आवरण के रूप में नहीं किया जाएगा।
–राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी बनाने के लिए नहीं किया जाएगा और न ही इसे कशीदाकारी या कुशन, रूमाल, नैपकिन या किसी ड्रेस सामग्री पर मुद्रित किया जाएगा।
–राष्ट्रीय ध्वज पर कोई अक्षर लेखन नहीं होना चाहिए।
–राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी वस्तु को लपेटने, कोई वस्तु प्राप्त करने या वितरित करने के लिए नहीं किया जाएगा।
–राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी वाहन की साइड्स, पृष्ठ भाग और ऊपर का भाग ढंकने के लिए नहीं किया जाएगा।झंडे को लेकर ये हैं नियम
तिरंगा संपूर्ण राष्ट्र के लिए गौरव का प्रतीक है। देश के लोग तिरंगे के प्रति सम्मान और श्रद्धा रखते हैं। ऐसे में अगर किसी वजह से राष्ट्रीय ध्वज फट गया हो या किसी भी तरह से खंडित हो गया हो तो उसके लिए निपटान को लेकर भारत के ध्वज संहिता के खंड 2.2 के अनुसार, यदि राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो या बदरंग हो जाए या फिर कट फट जाए तो उसे अलग ले जाकर पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए, यानि एक तरह से जलाकर अथवा किसी अन्य तरीके से, जिसमें कि राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचे। राष्ट्रीय ध्वज यदि कागज का बना हो, तो यह आम जनता द्वारा फहराया जाता है। इन ध्वजों को जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इन्हें अलग एक तरफ ले जाकर त्याग देना चाहिए। आप ध्वज को बहते पानी में भी समर्पित कर सकते हैं।