National Lok Adalat : 12 नवंबर को, लम्बित मामलों का होगा निपटारा
बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : उपभोक्ता मामलों से लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत ( Lok Adalat ) का आयोजन किया जाएगा | उपभोगता मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि आपसी सहमति के जरिये लंबित उपभोक्ता वादों के निपटान के लिए आगामी 12 नवंबर को देशभर में ‘राष्ट्रीय लोक अदालत’ का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के साथ इन लोक अदालतों का आयोजन करेगा । इस अदालत में बड़ी संख्या में लंबित वादों का निपटारा होने की उम्मीद है।
मंत्रालय उपभोक्ता आयोगों में मामलों के निपटारे की लगातार निगरानी कर रहा है। आगमी 12 नवंबर को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निपटाए जाने वाले लंबित उपभोक्ता मामलों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के साथ सहयोग की प्रक्रिया चल रही है। इस पूरी कार्रवाई के लिए जमीनी स्तर पर कार्य पहले ही शुरू किया जा चुका है। और सभी उपभोक्ता आयोगों को उन मामलों की पहचान करने और सूची तैयार करने के लिए सूचित किया गया है जहां निपटान की संभावना है और जिन्हें लोक अदालत में भेजा जा सकता है।
मंत्रालय ने कहा, ‘अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए, विभाग एसएमएस और ईमेल के माध्यम से उपभोक्ताओं, कंपनियों और संगठनों तक पहुंच रहा है। विभाग के पास 3 लाख पार्टियों के फोन नंबर और ईमेल हैं जिनके मामले आयोग में लंबित हैं। विभाग ने उपभोक्ता आयोगों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के , इसमें 200 से अधिक मामले के लंबित होने की जानकारी मिली है।
देश में करीब 6 लाख से ज्यादा मामले
देश में करीब 6,07,996 उपभोक्ता मामले लंबित हैं। जिनकी डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से लंबित मामलों की क्षेत्रवार पहचान की गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार लगभग 1.7 लाख मामले बीमा कंपनियों से संबंधित हैं और 71,379 शिकायतें बैंकिंग, 168827 बीमा, 33919 मामले बिजली और 2316 रेलवे संबंधी लंबित हैं। वहीं एनसीडीआरसी में करीब 22,250 मामले लंबित हैं।
राज्यवार आंकड़े
28318 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश मैं सबसे ज्यादा उपभोगता मामले लंबित हैं | इसके बाद महाराष्ट्र 18093, दिल्ली 15450, मध्य प्रदेश 10319 और कर्नाटक 9615 मामलों के साथ ऐसे राज्य हैं जहां सबसे अधिक लंबित मामले हैं। सबसे अधिक विचाराधीन मामलों वाले जिलों में मुजफ्फरपुर (बिहार) है जहां 1853 मामले लंबित हैं |
Lok Adalat : क्या हैं लोक अदालत
लोक अदालत विवादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक मंच है।
सभी प्रकार के सिविल वाद तथा ऐसे अपराधों को छोड़कर जिनमें समझौता वर्जित है,
सभी आपराधिक मामले भी लोक अदालतों द्वारा निपटाये जा सकते हैं।
लोक अदालत के फैसलों के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।
लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निस्तारित मामले में अदा की गयी कोर्ट फीस लौटा दी जाती है।
प्रदेश के सभी जिलों में स्थायी लोक अदालतों के माध्यम से सुलझाने के लिए उस अदालत में प्रार्थनापत्र देने का अधिकार प्राप्त है।
अभी जो विवाद न्यायालय के समक्ष नहीं आये हैं उन्हें भी प्री-लिटीगेशन स्तर पर बिना मुकदमा दायर किये ही पक्षकरों की सहमति से प्रार्थनापत्र देकर लोक अदालत में फैसला कराया जा सकता है।
इसमें वैवाहिक, पारिवारिक विवाद, मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम, सभी दीवानी मामले, श्रम एवं औद्योगिक विवाद, पेंशन मामले, वसूली, सभी राजीनामा योग्य मामले निस्तारित किए जाते हैं ।
क्या होता है लोक अदालत में
दोनों पक्षों को आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारान की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। इसमें परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्रों में सन्धिकर्ता दल द्वारा पारिवारिक विवादों को सुलह समझौते के आधार पर समाप्त कराये जाने के सतत प्रयास किये जाते हैं। इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, सिविल कोर्ट के आदेश की तरह पालना, कोर्ट फीस वापसी, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं।
पक्षकारों को क्या करना है
उपभोक्ता अपने लंबित मामले को लोक अदालत में भेजने के लिए लिंक http://cms.nic.in/ncdrcusersWeb/lad.do?method=lalp पर अपने मामले दर्ज कर सकते हैं या फिर राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 1915 पर कॉल कर सकते हैं | इससे वे अपने लंबित केस नंबर और कमीशन दर्ज कर सकते हैं जहां मामला लंबित है और मामले को आसानी से लोक अदालत में भेज सकते हैं। विभाग द्वारा सभी हितधारकों के बीच लिंक को ईमेल और एसएमएस के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा।