DVC मेजिया में किसानों को देगी 7.92 करोड़ मुआवजा, थर्मल पावर प्लांट के प्रदूषण से नष्ट हुई कृषि भूमि
ममता बनर्जी के प्रयास से किसानों को दिया जायेगा आठ करोड़ मुआवजा
पर्यावरण मंत्री मानस भुइयां ने कहा कि पर्यावरण विभाग के वकीलों और शोधकर्ताओं ने 2017 से 2023 तक लगातार छह साल संघर्ष किया। मानस भुइयां ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह एक बार फिर साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री कितनी हमदर्द हैं। उन्होंने यह महसूस करने के बाद उपाय किया कि अगर खेती की जमीन की हालत खराब होगी तो किसान भी संकट में पड़ जाएंगे।
दामोदर घाटी निगम का कोयले से चलने वाला थर्मल पावर प्लांट मेजिया बांकुड़ा दुर्लभपुर के पास है। थर्मल पावर प्लांट के कोयले से जलने वाली राख को फ्लाई ऐश कहा जाता है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कल्याण रुद्र ने कहा कि फ्लाई ऐश बेहद हानिकारक है। इसका उत्पादन थर्मल पावर प्लांट में कोयले को जलाने से होता है। हल्की राख को हवा से सैकड़ों किलोमीटर तक उड़ाया जा सकता है। देखा गया है कि यह फ्लाई ऐश थर्मल पावर प्लांट के आसपास सौ किमी तक फैल चुकी है। जैसा मेजिया में हुआ, जहां जमीन की उर्वरता नष्ट हो गई। इस क्षेत्र में कोई अन्य पेड़ नहीं लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पर्यावरण विभाग ने ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मामला दर्ज किया।
कार्यालय सचिव रोशनी सेन ने बताया कि शुरुआत में उन्हें जिलाधिकारी के पास 20 करोड़ जमा करने को कहा गया था। छह साल तक पर्यावरण कोर्ट ने दोनों पक्षों के बयान सुने। हाल ही में 14 फरवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि प्रभावित किसानों को 7.92 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। इतना ही नहीं, एक विशेष समिति भी बनानी होगी। समिति मेजिया थर्मल पावर स्टेशन के आसपास प्रभावित जमीन की जांच करेगी। इसे कैसे रिकवर करना है, इसका सुझाव देंगे। यह काम मेजिया थर्मल पावर प्रोजेक्ट के अधिकारियों को भी करना होगा।
इतना ही नहीं मेजिया ताप विद्युत परियोजना को निर्देश दिया गया है कि समिति के निर्देशानुसार यदि अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता हो तो उसे तत्काल भुगतान किया जाये। पर्यावरण विभाग की सचिव रोशनी सेन ने कहा कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। पर्यावरण कोर्ट ने कहा कि न केवल जमीन, बल्कि भौतिक क्षति का भी मुआवजा दिया जाना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि फ्लाई ऐश से शारीरिक क्षति भी गंभीर होती है। इस राख में लेड, आर्सेनिक, मरकरी, कैडमियम और यूरेनियम होता है। पर्यावरणविदों के मुताबिक, “फ्लाई ऐश और कोयले की राख के अन्य घटकों के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को कैंसर और श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
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