आसनसोल आयरन एंड स्टील वर्कर्स यूनियन विरोधी कार्य के कारण 4 के निष्कासन का प्रस्ताव : हरजीत
बंगाल मिरर, एस सिंह, बर्नपुर 24/09/2023 : को- आपरिटिव चुनाव एवं बोर्ड गठन के बाद इंटक में आई दरार के बाद यूनियन विरोधी कार्य करने के आरोप में चार सदस्यों के निष्कासन का प्रस्ताव लिया गया। 3 घंटे तक चली बैठक काफी हंगामेदार रही आज इंटक कार्यालय में इंटक आसनसोल आयरन एंड स्टील वर्कर्स यूनियन के सभी पदाधिकारी सामान्य परिषद सदस्य , प्रतिनिधियों एवं सक्रिय सदस्यों को लेकर एक मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें करीब 350 यूनियन के सदस्य शामिल हुए । करीब 3 घंटे मीटिंग चली तथा 30 वक्ताओं ने अपनी बात रखी। यह मीटिंग इसको एम्पलाई कॉपरेटिव चुनाव में यूनियन विरोधी गतिविधियों एवं विरोधियों के सहयोग में शामिल होने के आरोप में यूनियन सदस्य ओम प्रकाश सिंह, गोधन सिंह, संतोष झा, दिलीप यादव के खिलाफ यूनियन अनुशासन तोड़ने , यूनियन विरोधी गतिविधियों में शामिल होने एवं यूनियन के साथ विश्वासघात करने के आरोप में आसनसोल आयरन एंड स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक) के bylaws के अनुसार इन सभी को यूनियन से निष्कासन का प्रस्ताव लाया गया ।




इसके पहले ही ओमप्रकाश तथा गोधन सिंह ने इंटक यूनियन से अलग होकर स्वतंत्र होकर बीएमएस के सहयोग से चुनाव लड़ा और जीता। को ऑपरेटिव में इंटक बहुमत हासिल न करने के कारण हरजीत सिंह की अध्यक्षता में,यूनियन की मीटिंग में तय हुआ कि कोई भी इंटक से जीता डायरेक्टर बोर्ड में शामिल नहीं होगा लेकिन नियम का विरोध जाकर । संतोष झा तथा दिलीप यादव बीएमएस के सहयोग से बोर्ड बनाने में शामिल हुए। और यह लगातार यूनियन विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे।
इंटक से संबद्ध यूनियन महासचिव हरजीत सिंह ने कहा कि आज के मीटिंग में इन चारों सदस्यों को निष्कासन का प्रस्ताव लाया गया जिसमें भारी सहमति से सभी सदस्यों ने इसका समर्थन किया। मीटिंग में सभी को अपनी बात रखने का मौका दिया गया सभी ने अपनी बाते रखी। मंच से गोधन सिंह ने यह स्वीकार किया की वह बीएमएस के सहयोग से बोर्ड बनाए हैं।
इन चारों के यूनियन से निष्कासन प्रस्ताव को पास कर रिपोर्ट को राज्य इंटक कार्यालय एवं केंद्रीय इंटक कार्यालय में इस विषय की जानकारी से अवगत कराने के लिए भेजा जायेगा। इस बैठक में गौरी शंकर सिंहबिजय सिंह, गुरदीप सिंह, श्रीकांत साह, अजय राय, सोनू सिंह, विवेकानंद कुमार आदि उपस्थित थे।
वहीं गोधन सिंह ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों के हित के लिए इस तरह का बोर्ड गठन किया। क्योंकि बोर्ड न बनने पर प्रशासक की नियुक्ति से नियंंत्रण राज्य सरकार के हाथों में चला जाता। सामने दुर्गापूजा, दीवाली तथा लगन का सीजन है। ऐसे में कर्मियों को लोन लेने में परेशानी होती। इसलिए कर्मियों के हित लिएउन्होंने यह कदम उठाया। अगर कर्मियों के हित के लिए काम करना गलती है तो वह ऐसी गलती बार – बार करेंगे । वही पूर्व सहायक सचिव मनीष प्रसाद ने इसे मनगढ़ंत करार देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए बीएमसी का साथ लिया जब चुनाव हो गया था तो बोर्ड भी बन जाता और लोन का फैसला बोर्ड लेता है इसमें राज्य सरकार के कोई भूमिका नहीं है।