राज्य के पांच हजार गैर बांग्ला भाषा स्कूलों में बांग्ला में पठन – पाठन अनिवार्य करने को जारी रहेगा आन्दोलन : जितेन्द्र तिवारी
बंगाल मिरर, आसनसोल : ( Asansol News In Hindi ) भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने शुक्रवार को अपने आवासीय कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि भाजपा और वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनारिटी एसोसिएशन के लगातार आंदोलन के कारण आखिरकार राज्य सरकार को झुकना पड़ा और यह फैसला वापस लेना पड़ा। लेकिन लड़ाई अभी पूरी नहीं हुई है। अभी भी गैर बांग्ला भाषा स्कूल में बांग्ला भाषा के पठन-पाठन को अनिवार्य नहीं किया गया है। इसे लेकर आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 2023 में पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा घोषणा की गई थी कि पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस परीक्षा से हिंदी, उर्दू तथा संथाली भाषा को हटा दिया गया है। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता तथा बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. सुकांत मजूमदार और वेस्ट बंगाल लिंग्विस्टिक माइनारिटी एसोसिएशन ( डब्लूबीएलएमए ) द्वारा इसका विरोध किया गया था। इन आंदोलनों के कारण राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह घोषणा कर दी की पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस परीक्षाओं में हिंदी उर्दू तथा संथाली भाषा को फिर से शामिल किया गया है। अब इन भाषाओं में परीक्षा ली जाएगी ।




उन्होंने कहा पंचायत चुनाव से पहले इन तीन भाषाओं को हटाकर वोट लेने की कोशिश की गई थी, अब लोकसभा चुनाव से पहले जब उनको लगा कि हिंदी, उर्दू तथा संथाली भाषा के लोगों का वोट चाहिए तो उन्होंने एक बार फिर से इन तीन भाषाओं को शामिल कर दिया । बंगाल की जनता बेवकूफ नहीं है वह ममता बनर्जी के इस तरकीब को समझ चुके हैं । उन्होंने कहा कि एसोसिएशन की मांग है कि सिर्फ तीन भाषाओं में परीक्षा ही न ली जाए बल्कि पश्चिम बंगाल में जितने भी गैर बांग्ला भाषा के स्कूल है वहां पर बांग्ला भाषा के पठन-पाठन को अनिवार्य किया जाए । पूरे पश्चिम बंगाल में 5000 ऐसे स्कूल है। अगर हर स्कूल में बांग्ला के लिए दो शिक्षकों की भी नियुक्ति की जाए तो 10000 बांग्ला भाषी युवाओं को नौकरी मिलेगी। इस मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा