Asansol Family Court की कार्यप्रणाली पर भड़के अधिवक्ता
बंगाल मिरर, आसनसोल: आसनसोल बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने आज एक जरूरी बैठक की इस अब बैठक का मुद्दा 23 तारीख को आसनसोल अदालत में फैमिली कोर्ट के उद्घाटन से जुड़ा हुआ था। इसकी प्रणाली को लेकर अधिवक्ताओं ने भारी आक्रोश जताया। आसनसोल कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश उर्फ बंटी तिवारी और सचिव बानी कुमार मंडल, वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अध्यक्ष अमिताभ मुखोपाध्याय, शेखर चंद्र कुंडू, तपन चटर्जी, मणिपद्म बनर्जी, सनातन धारा, सायंतन मुखर्जी, शांतनु बनर्जी, अनुप मुखर्जी, तपन बनर्जी, सुप्रिया हाजरा आदि थे।
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इस बारे में पत्रकारों से बात करते हुए आसनसोल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश तिवारी ने बताया कि आसनसोल अदालत में जो फैमिली कोर्ट खुला है उससे न सिर्फ वकीलों को बल्कि सबसे ज्यादा इंसाफ की आस में आने वाले आम लोगों को परेशानी होगी उन्होंने बताया की फैमिली कोर्ट के नियम के अनुसार वकील अदालत में जिरह नहीं कर सकते वही तकरीबन 15 अदालतों के मामले फैमिली कोर्ट में आ जाएंगे जिससे फैमिली कोर्ट में करीब 30000 के आसपास मामले हो जाएंगे ऐसे में एक मामले का निपटारा होते-होते कई साल लग जाएंगे जिस वजह से इंसाफ मांगने वाले लोगों को और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा उन्होंने कहा की फैमिली कोर्ट को जल्दबाजी में खोला गया इससे क्या परेशानी होगी यह यहां के वकीलों को भी समझ में नहीं आया लेकिन अब धीरे-धीरे सारी बातें साफ हो रही हैं इसी वजह से आज यह बैठक बुलाई गई और आने वाले समय में इसे लेकर और बड़ा आंदोलन किया जाएगा
वही आसनसोल बार एसोसिएशन के सचिव बानी मंडल कभी कहना था की फैमिली कोर्ट की वजह से वकीलों से ज्यादा इंसाफ की आस में आने वाले लोगों को परेशानी होगी 30000 मामले यहां जमा हो जाएंगे जिनका निपटारा करते-करते बरसों लग जाएंगे इसके अलावा अगर वकील इन मामलों में अपने मुवक्कील के लिए केस नहीं लड़ सकते तो आम लोगों को इंसाफ मिलने में और ज्यादा परेशानी होगी वही आसनसोल अदालत के वरिष्ठ अधिवक्ता अमिताभ मुखर्जी ने भी फैमिली कोर्ट पर अपना एतराज जताते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट के खुल जाने से वकीलों से कहीं ज्यादा परेशानी आम जनता को होगी क्योंकि फैमिली कोर्ट में अधिवक्ता मामला नहीं लड़ सकते ऐसे में जो अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे लोग इंसाफ मांगने अदालत आते हैं उनको भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक ही अदालत में अगर 30000 मामले लंबित हो जाएं तो अगर आज किसी मामले की तारीख आती है तो उसे मामले की अगली तारीख आने में कम से कम 1 साल का समय लगेगा इससे यह आसानी से समझा जा सकता है कि किसी मामले में अंतिम फैसला आने में कितना समय लगेगा ऐसे में अगर किसी महिला का तलाक का मामला हुआ या तलाक के बाद ऐलिमनी का मामला हुआ तो उस महिला को कितनी परेशानी होगी । आज की बैठक में इन्हीं सब मुद्दों पर चर्चा की गई और कल आसनसोल जिला जज को एक पत्र लिखा जाएगा जिसमें इन समस्याओं के निराकरण का अनुरोध किया जाएगा और अगर इसके बाद भी कोई सकारात्मक फैसला नहीं होता तो आगे की रणनीति तैयार की जाएगी