Bihar-Up-Jharkhand

उत्तर बिहार हुआ नक्सल मुक्त, दक्षिण बिहार में नक्सल गतिविधियों में आई भारी कमी

आत्मसमर्पण व पुनर्वास योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव, नक्सली विचारधारा के प्रति भी लोगों का मोहभंग

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता :  ( Bihar Poilice ) 1970 दशक के प्रारम्भ में नक्सलवाद बिहार के विभिन्न जिलों में तेजी से फैला तथा वर्ष 2000 तक अनेक नक्सल घटनाओं को अंजाम दिया गया, जिसमें कई पुलिस थानों/पिकेट्स पर हमले और पुलिसकर्मियों की हत्या शामिल है। वर्ष 2000 से 2012 के बीच बिहार के 22 जिले नक्सलवाद की चपेट में आ गए थे। ऐसी परिस्थिति में बिहार में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों और सरकार के द्वारा व्यापक स्तर पर अभियान चलाया गया। सुरक्षाबलों के अभियान में कई शीर्ष नक्सल नेताओं की गिरफ्तारी हुई एवं कई नक्सली एनकाउंटर में मारे गए, जिसके फलस्वरूप नक्सल गतिविधियां कमजोर हुई एवं नक्सली घटनाओं में कमी आई।

Bihar Poilice

नक्सल गतिविधियों पर बिहार पुलिस की कार्रवाई

 विगत कुछ वर्षों में नक्सलियों के विरूद्ध कारवाई करने की रणनीति में बदलाव किया गया है, जिसके तहत राज्य में नक्सलियों के गढ़ में 11 Forward operative bases/Camps (लौंगराही, तरी, पचरुखीया, नागोबार, सोनदाहा, कंचनपुर, चोरमारा, पैसरा, घटवारी, पीरीबाजार, करैली) की स्थापना की गई है। ये FOBs/Camps जंगलों के बीचों-बीच और पहाड़ियों के ऊपर स्थित है। इनके स्थापना से नक्सलियों के शरणस्थलों (Hideouts) को नष्ट कर पुलिस के प्रभाव एवं नियंत्रण को स्थापित किया गया है। 

उत्तर बिहार हुआ नक्सल मुक्त 

 उत्तर बिहार में वर्ष 2023 में Zonal commander रामबाबू राम उर्फ राजन उर्फ प्रहार के साथ रामबाबू पासवान उर्फ धीरज को 02 ए.के.-47 के साथ गिरफ्तार किया गया जिसके पश्चात उत्तर बिहार में नक्सल गतिविधियों पर पूर्णतः अंकुश लग गया। 

दक्षिण बिहार में नक्सल गतिविधियों में आई भारी गिरावट 

जमुई-मुंगेर-लखीसराय क्षेत्र में माओवादी अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा के आत्मसमर्पण एवं पुलिस और नक्सलियों के मुठभेड़ में माओवादी जगदीश कोड़ा, बिरेन्द्र कोड़ा, मतलू तुरी के मारे जाने तथा माओवादी पिंटु राणा, करूणा, विडियो कोड़ा, बबलू संथाल, श्री कोड़ा, सुनील मरांडी की गिरफ्तारी के बाद नक्सल गतिविधियों में काफी कमी आई है। 

 मगध क्षेत्र में माओवादी के 03 Central Committee Members (प्रमोद मिश्रा, मिथिलेश मेहता एवं विजय कुमार आर्य) एवं कई प्रमुख नक्सली जैसे विनय यादव उर्फ मुराद, अरविन्द भूईयाँ, अभिजीत यादव, एवं अन्य कई हार्डकोर नक्सलियों की गिरफ्तारी के बाद नक्सल गतिविधियों में गिरावट आई एवं वर्तमान समय में इन क्षेत्रों में कोई भी नक्सल दस्ता सक्रिय नहीं है।

Bihar Poilice : नक्सल विरोधी अभियान की उपलब्धियां 

 वर्ष 2023-24 में नक्सलियों के विरुद्ध अभियान के फलस्वरूप भारी पैमाने पर हथियार, गोला-बारूद एवं विस्फोटक, आई.ई.डी. नक्सलियों के गढ़ से बरामद किया गया है।

हथियारों की बरामदगी 52 (जिसमें 10 आर्म्स ऐसे हैं जो पूर्व में पुलिस बल से लूटे गए थे), कारतूसों की बरामदगी 10,901,विस्फोटकों की बरामदगी 1,798 कि.ग्रा., डेटोनेटर्स की बरामदगी 17,534 कि.ग्रा., लैंडमाइंस/केन बॉम 372, लेवी मनी की बरामदगी ₹ 4,07,030 के साथ कुल 154 शीर्ष नक्सलियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है 

आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव

• सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजनाओं का भी काफी सकारात्मक प्रभाव रहा है। वर्ष 2023 में 6 शीर्ष नक्सलियों ने सरकार की इन नीतियों से प्रभावित होकर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है तथा नक्सली विचारधारा के प्रति लोगों का मोह भंग हुआ है। इसके अतिरिक्त नए लोगों के भी इस संगठन से जुड़ने की बात प्रकाश में नहीं आई है।

• नक्सलियों के आय के स्रोत पर चोट –

* वर्ष 2023 के दिसम्बर से वर्ष 2024 के मार्च तक कुल 2523.40 एकड़ में नक्सलियों के द्वारा गया जिले में लगवाए गए अफीम के फसल को पुलिस के द्वारा नष्ट किया गया। 

* नक्सलियों द्वारा व्यवसायिक वर्गों, निर्माण कार्यों में लगे कम्पनियों / संवेदकों से Levy मांगने की कभी-कभी शिकायत आने पर कांड दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाती है।

• वर्ष 2024 लोकसभा आम चुनाव के दौरान नक्सल से संबंधित कोई घटना नहीं हुई –

* सम्पूर्ण चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराया गया।

* पूरे चुनाव के दौरान नक्सलियों के द्वारा किसी भी तरह का वोट/चुनाव बहिष्कार का पर्चा देने का मामला सामने नहीं आया।

* इस वर्ष ऐसे कई मतदान केंद्रों पर चुनाव कराया गया है जिसे पूर्व में नक्सल प्रभावित होने के कारण किसी अन्य स्थान पर स्थान्तरित किया जाता था।

• नक्सलियों के गतिविधि में कमी आने के फलस्वरूप वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं का किया जा रहा है विकास

* इसके अन्तर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 128 सडकों का निर्माण कराया गया है।

* नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचार व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए 93 मोबाइल टावर्स का निर्माण हो चुका है एवं अन्य 35 मोबाइल टावर्स का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। 

* सुरक्षाबलों द्वारा नक्सल प्रभावित 232 गाँवों को चिन्हित कर वहाँ की शिक्षा, स्वास्थ्य, जन-सुविधाएं विकसित करने के लिए प्रस्ताव समर्पित किया गया। 

* वर्ष 2019-22 के दौरान सशस्त्र नक्सलियों द्वारा 25 नागरिकों की हत्या की गई। वर्ष 2023 एवं 2024 (30 जून तक) में इसकी संख्या शून्य है। यह इस बात के प्रमाण हैं कि कारगर नीति, सुरक्षाबलों की अदम्य साहस एवं नागरिकों के सहयोग से 50 वर्षों के बाद बिहार संगठित सशस्त्र नक्सली संगठनों से मुक्त हो चुका है।

* वर्तमान में केवल बिहार-झारखंड राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों (बिहार- औरंगाबाद, गया, जमुई) में नक्सलियों के कुछ छोटे समूह सक्रिय हैं, जिनके द्वारा कभी-कभी छिटपुट घटनाएं की जाती हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए बिहार-झारखंड सीमा पर 2 नए FOBs का निर्माण किया जा रहा है तथा इन क्षेत्रों में गश्ती अभियान के द्वारा बिहार पुलिस के द्वारा निरंतर निगरानी बरती जा रही हैं

News Editor

Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

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