माकपा और भाजपा को पश्चिम बंगाल की जनता कभी माफ नहीं करेगी – दासु
2026 के चुनाव में बड़े बहुमत से सत्ता में लौटेने का किया दावा
बंगाल मिरर, आसनसोल – तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्य महासचिव वी. शिवदासन दासु ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) नियुक्ति मामले को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर हमला बोला। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले, जिसमें लगभग 26,000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई, के लिए इन दोनों दलों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया और इसे पश्चिम बंगाल की जनता के खिलाफ साजिश करार दिया।




दासु ने अपने संबोधन में कहा कि यह बेहद अफसोसजनक है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 26,000 शिक्षकों की नौकरी छिन गई। उन्होंने माकपा पर निशाना साधते हुए कहा, “जब पश्चिम बंगाल में वामपंथियों का शासन था, तब उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों में प्राइमरी शिक्षक के पदों पर नियुक्त किया था। क्या उन सभी के पास जरूरी योग्यताएँ थीं? क्या वे सभी इसके हकदार थे? सिर्फ इसलिए कि वे माकपा के कार्यकर्ता थे और जनगणना में काम किया था, उन्हें 2009 में नौकरी दे दी गई।”
उन्होंने आगे कहा कि 2011 में जब ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी की सरकार सत्ता में आई, तो ममता ने वामपंथी शासनकाल में नियुक्त एक भी माकपा समर्थक शिक्षक को नौकरी से नहीं हटाया। “ममता दीदी शुरू से कहती आई हैं कि वह बदला नहीं, बदलाव चाहती हैं। यही वजह है कि उन्होंने वामपंथी दौर के शिक्षकों को बरकरार रखा। लेकिन आज हम क्या देख रहे हैं? माकपा के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य भाजपा की बी-टीम बनकर सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ते हैं और एक झटके में 26,000 शिक्षकों की नौकरी चली जाती है।”
दासु ने सवाल उठाया कि क्या सभी 26,000 शिक्षकों ने रिश्वत देकर नौकरी हासिल की थी? उन्होंने सीबीआई की जाँच पर भी निशाना साधा और कहा, “सीबीआई इस मामले की जाँच कर रही थी, तो उन्होंने यह क्यों नहीं बताया कि इनमें से कितनों ने रिश्वत दी और कितनों ने अपनी योग्यता के आधार पर नौकरी पाई? अगर जाँच में यह साबित होता कि कुछ लोगों ने रिश्वत दी, तो उन्हें हटाया जाना चाहिए था, लेकिन सभी को नौकरी से निकाल देना अन्याय है। इनमें से कई शिक्षक गरीब परिवारों से थे, जिनके लिए यह नौकरी जीविका का एकमात्र साधन थी। विकास रंजन भट्टाचार्य ने हजारों लोगों के पेट पर लात मारी है।”
उन्होंने माकपा और भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता सब देख रही है और इन दोनों दलों को कभी माफ नहीं करेगी। “माकपा के कुछ नेता अपनी पार्टी को शून्य से वापस लाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन भट्टाचार्य के इस कदम ने पार्टी को फिर से बंगाल में शून्य पर ला दिया।” वहीं, भाजपा से सवाल करते हुए दासु ने कहा, “भाजपा अपने शासित राज्यों में दिल पर हाथ रखकर कहे कि क्या वहाँ पुलिस, शिक्षक आदि की नियुक्तियों में उनके कार्यकर्ताओं को जगह नहीं दी जाती? क्या वहाँ 100% पारदर्शी भर्तियाँ होती हैं? यह पश्चिम बंगाल को बदनाम करने की साजिश है।” कांग्रेस पर भी हमला बोलते हुए दासु ने पूर्व सांसद अधीर रंजन चौधरी को “दलाल” करार दिया। उन्होंने कहा, “अधीर पहले वामपंथी थे, फिर कांग्रेस में आए। वामपंथियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का उनका फैसला असली कांग्रेस नेताओं को हजम नहीं हुआ। अधीर ने न सिर्फ कांग्रेस और माकपा को, बल्कि अपनी राजनीति को भी खत्म कर लिया।”
दासु ने ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए कहा कि वह देश की एकमात्र नेता हैं जो भाजपा को टक्कर दे रही हैं। “अन्य राज्यों के दल भाजपा से समझौता करना पसंद करते हैं, लेकिन ममता दीदी ने कभी ऐसा नहीं किया। वह भाजपा से डटकर लड़ती हैं।” उन्होंने दावा किया कि एसएससी मामले के बावजूद टीएमसी के लिए कोई मुश्किल नहीं होगी। “भाजपा, माकपा और कांग्रेस को लगता है कि इस फैसले से टीएमसी कमजोर होगी, लेकिन वे सपने देख रहे हैं। ममता बनर्जी और टीएमसी के साथ बंगाल की जनता है और 2026 के चुनाव में हम पिछले बार से भी बड़े बहुमत से सत्ता में लौटेंगे।”
इस बयान ने पश्चिम बंगाल की सियासत में हलचल मचा दी है, और अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि विपक्षी दल इसका जवाब कैसे देते हैं।