ASANSOL-BURNPUR

जनता के बीच जाइये, गलती के लिए क्षमा मांगिये : जितेन्द्र तिवारी

बंगाल मिरर, आसनसोल – आसनसोल नगरनिगम के वार्ड संख्या 38 के कालीपहाड़ी बाजार में टीएमसी की ओर से सोमवार को कंबल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां सैकड़ों गरीबों के बीचे मेयर जितेन्द्र तिवारी के नेतृत्व में कंबल बांटा गया। इस मौके पर मेयर जितेन्द्र तिवारी ने कहा कि कालीपहाड़ी में मेयर या नेता के रूप में आने पर अच्छा नहीं लगता है, यह मेरी जन्भूमि है, यहां मेरा बचपन गुजरा है, यहीं के लोगों के बीच पला बढ़ा हूं। अपने घर में कोई नेता या मेयर नहीं होता है।

आपलोगों का प्यार नहीं मिलता तो मुझे यह मान-सम्मान नहीं मिला होता। यहां 2015 में मुझे यहां के हर वर्ग के लोगों का समर्थन मिला था। अपने घर का बेटा समझकर ही सभी ने मेरा साथ दिया था। यहां की जनता खुश है या दुखी हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि मेरे आसपास रहनेवाले लोग आपसे कैसा व्यवहार करता है। आपलोगों ने मुझे जहां भेजा है, वहां की व्यस्तता के कारण आपलोगों से रोज का संपर्क नहीं हो पाता है, इसलिए पार्टी के लोगों के माध्यम से ही आपलोगों के सुख-दुख समझने का प्रयास करता हूं। मैं नहीं जानता कि जो लोग मेरे साथ है वह लोग सच्चे मन से सेवा करते हैं या घमंड दिखाते हैं। अगर वह लोग सही में यहां के लोगों का दुख-सुख देखते होंगे तो जनता खुश होगी। यहां आकर दूसरा चेहरा और मेरे पास दूसरा चेहरा दिखाते होंगे, तो वह लोग कहीं न कहीं मेरी भी हानि कर रहे हैं। जनता के पास बहुत ताकत होती है, खुश होती है तो अपने बेटे को मेयर, विधायक बना देती है, अगर दुखी हो जाये  तो ज्यादा कुछ नहीं करती सिर्फ हाय(बद्दुआ) देती है, मुझे अपने लोगों की हाय नहीं लेनी है। उन्होंने कहा कि मैं यहां के टीएमसी कार्यकर्ताओं को कहना चाहता हूं कि मेरे पास खबर आ रही है कि पार्टी के पद के अहंकार में आपलोगों का व्यवहार लोगों से ठीक नहीं हो रहा है, आपलोगों के पास इतना भी समय नहीं है कि लोगों का सुख-दुख सुने, लोगों की तकलीफ समझने की कोशिश करें। हमारे लोगों को बहुत अहंकार हो गया है, रावण का अहंकार नहीं चला तो आपलोगों का कहां से चलेगा। अभी भी समय हैं, जनता के बीच जाइये, गलती के लिए क्षमा मांगिये, इस अंचल की जनता का मन बहुत बड़ा है, हाथ जोड़कर इनके बीच जायेंगे तो यह माफ भी कर देगी। साल में सिर्फ कंबल या साड़ी बांटने से जिम्मेदारी समाप्त नहीं हो जाती है। जरूरत है कि लोगों की बातों को रोज सुने, सारी समस्याओं का समाधान संभव नहीं है। लेकिन लोगों की समस्या तो सुने, यहां पार्टी कार्यालय बना दिया गया है, लेकिन यहां चार अच्छे लोग बैठनेवाले नहीं हैं। यहां क्या होता है सब मेरे पास खबर है। लेकिन अपने लोगों से क्या कहूं, पार्टी के कार्यकर्ता निर्णय लें कि मेरी भूमिका क्या होगी।

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