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डाक टिकटों के बादशाह डा. इसरानी, 55 रिकॉर्ड दर्ज हैं इनके नाम

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता ः हर इंसान में कुछ न कुछ अलग करने का जुनून रहता हैं, इसी तरह डॉक्टर जवाहर इसरानी दिलशाद कॉलोनी दिल्ली के निवासी को डाक टिकटों के संग्रह है जुनून है। उन्हें डाक टिकटों का बादशाह कहा जाये, तो इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए, उनका यह शौक आज भी उन्हें उर्जावान एवं युवा बनाये हुए है। उनके इस जुनून के कारण ही उनके नाम 55 से अधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं । डॉक्टर जवाहर इसरानी के जीवन की गाथा शुरू होती है पाकिस्तान सिंध प्रांत के लरकाना शहर से उनका जन्म बाईस अगस्त 1943 में हुआ था। 1947 में विभाजन के समय भारत में अपने ही देश में शरणार्थी के रूप में रहने को शुरू किया प्रथम वह पुराने किले दिल्ली में रहते थे। गवर्नमेंट सिंधी स्कूल से गवर्नमेंट लोधी रोड से उनकी पढ़ाई शुरू हुई थी जब वे कक्षा 5 में उम्र लगभग 10 साल थी तब क्लास टीचर के द्वारा प्रेरित किया गया के हर बच्चे को पढ़ाई के साथ एक शौक जरूर पालना चाहिए डाक्टर मोतीलाल जोतवानी जी द्वारा इस प्रोत्साहन की बात जवाहर जी को बहुत पसंद आई उन्होंने तब से डाक टिकट संग्रह को ही अपना शौक बनाया और जुट गए डाक टिकट संग्रह में।

शुरुआत में नजदीकी दूतावासों से और डाक घर से डाक टिकट मिल जाते थे और उनको एक लिफाफे में डाल कर रखते जा रहे थे आहिस्ता २ इनकी डाक टिकट की गिनती बढ़ती गई जैसे-जैसे गिनती बढ़ती गई उसी तरीके से लिफाफे की भी गिनती बढ़ती गई हर देश का एक लिफाफा बनाया गया डाक टिकट के लिए एक लिफाफा एक देश के लिए रखना शुरू किया किसी शुभचिंतक ने बताया कि उनको अलग अलग रखना शुरू करो नहीं तो डाक टिकट आपस में चिपक जाएंगे इसके बाद डाक टिकट को कॉपी के हर पेज के बीच में रखना शुरू किया । बहुत कॉपी में भर के रखने के बाद एक एल्बम खरीद कर हिंज लगाकर रखने की भी योजना बनती गई अब संग्रह की गिनती बढ़ती रही तो लोगों ने कहा कि इसको देशों के हिसाब से और अलग-अलग थीम के हिसाब से रखना बेहतर होगा । इस तरह से सालों से ही इनको उसी तरह से संग्रह करते आ रहे हैं पानी , हवा, कीड़े , मकोड़े से उनको बचा कर रखना जरूरी था । बाद में उनको छोटी-छोटी पन्नी में रखकर हर पेज पर सफाई के साथ सेलोटेप से लगाकर संग्रह करके रखना शुरू किया समय-समय पर स्कूल कॉलेज फैक्ट्री और ऑफिसेज में इनका प्रदर्शन भी करते रहे हैं । अब तक उन्होंने 50,000 पचास हजार से ऊपर डाक टिकट संग्रह कर लिया है। २३७ देशों के जिनमें द्वीप और किंगडम भी शामिल हैं। अब तक 450 से ज्यादा जगहों पर इन को प्रर्दशित करके लोगों को रोड सेफ्टी , पानी बचाओ , पर्यावरण बचाओ , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ , वृक्ष लगाओ, स्वच्छ भारत ,करोना को भगाओ, बे्रस्ट फीडीग, साक्षर भारत इत्यादि के बारे में बताते रहते हैं और लोगों की वाहवाही लूटी है । लोगों ने इनके इस कदम को बहुत सराहा तथा न्यूज़पेपर और टीवी में भी काफी कवरेज किया गया है । इसके इस सराहनीय कार्य के लिए बहुत सारे साममानों के साथ प्रमाण पत्र ट्रॉफी और इनाम दिया जा चुका है जैसे कि


१, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 5 बार,
२, ब्रैवो इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ,
३ ग्लोबल वर्चुअल यूनिवर्सिटी मालदीव्स द्वारा पीएचडी की डिग्री ।
४, लीजेंड अवॉर्ड ऑफ इंडिया 2018 प्रमाण पत्र
५, इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड्स में भी अपना नाम दर्ज कराया है
६, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड द्वारा सम्मान
७, रॉयल इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स 27 2 2020
८, इनफिनिटी बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मान 27 2 2020
९, चोलान बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मान 27 फरवरी 2020
१०, कालका काल की न्यूज़ एंड कालका एंड कॉल की फाउंडेशन द्वारा सम्मान 4 मार्च 2020
११, मैन ऑफ एक्सीलेंस अवार्ड इंडियन अचीवर्स फॉर्म दिल्ली द्वारा 12 मार्च 2020
१२, नेशनल आईकॉन सर्टिफिकेट और ट्रॉफी प्रीवियस नेशनल न्यूज़ चैनल 24 टाइम्स द्वारा दिया गया 15 मार्च 2020
१३, सच की दस्तक मैगजीन द्वारा सम्मान दो बार 5 मई 2020 १४, अमेरिकन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मान 7 मई 2020
१५, एशियन वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मान दो बार
१६, दी सुप्रीम वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा सम्मान दो बार
१७, चैंपियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दो बार
१८, जेम्स बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड सम्मान दो बार
१९, एशियन वर्ल्ड रिकॉर्ड्स सम्मान दो बार
२०, सुप्रीम वर्ल्ड रिकॉर्ड्स सम्मान दो बार
२१, होप इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स प्राइड ऑफ इंडिया नेशनल अवार्ड दो बार सम्मान।

डॉ जवाहर अभी भी निरीक्षण अभियंता का काम करते हैं और लोगों से मिलते रहते हैं। ईश्वर उन्हें अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने की कृपा करें।

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