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Amazon और Flipkart के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सीसीआई की अपील वाजिब

CAIT सरकार से अमेज़न और फ्लिपकार्ट की Festival Sale पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेगी

बंगाल मिरर, संजीव यादव, बराकर ः कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स सुभाष अग्रवाला कहा कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश जो दिल्ली व्यापर महासंघ की याचिका पर दिया गया था कोचुनौती दी है । कर्नाटक हाई कोर्ट ने सीसीआई को अमेज़न (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) के खिलाफ जाँच करने के लिए प्रतिबंधित करने का अंतरिम आदेश दिया था । कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की सीसीआई की अपील अमेज़न और फ्लिपकार्ट दोनों को क़ानून के भीतर व्यापार करने के लिए बेहद तार्किक और बहुप्रतीक्षित कदम है

SUBHASH AGARWAL
SUBHASH AGARWAL FILE PHOTO

क्योंकि ये कम्पनियाँ गत अनेक वर्षों से ई कॉमर्स व्यापार में अपने मनमाने तरीक़े जिसमें जिसमें लागत से कम मूल्य निर्धारण, गहरे डिस्काउंट , ब्रांड्स के साथ विशेष व्यवस्था और इन्वेंट्री पर अपना नियंत्रण रखना आदि कुप्रथाएं को जारी रखे हुए हैं ।कैट पिछले दो साल से अधिक समय से अमेज़ॅन और वॉलमार्ट दोनों के खिलाफ अभियान देश भर में चलाए हुए है ।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि जल्द ही कैट आगामी त्योहारी सीजन में इन कंपनियों के किसी भी प्रकार की फ़ेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार को अपना प्रतिवेदन देगी ।

शीर्ष न्यायालय निश्चित रूप से सीसीआई की याचिका का संज्ञान लेगा

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा कि शीर्ष न्यायालय निश्चित रूप से सीसीआई की याचिका का संज्ञान लेगा कि दोनों कंपनियों के खिलाफ जांच क्यों जरूरी है लेकिन दूसरी ओर सरकार को भारत में ई-कॉमर्स कारोबार को विनियमित करने और निगरानी के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी सहित ई कॉमर्स नीति की तुरंत घोषणा करनी चाहिए । जो अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट ने भारतीय ई कॉमर्स बाज़ार को बेहद विषाक्त कर दिया है ।

अब यह सही समय है जब इन कंपनियों के व्यावसायिक व्यवहारों को क़ानून के अंतर्गत लाना बेहद ज़रूरी है और अगर अभी भी वे एफडीआई नीति का उल्लंघन करते पाए जाते हैं, तो उन्हें भारत छोड़ने के लिए कहा जाना चाहिए। ये कंपनियां आर्थिक आतंकवादी हैं और ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण हैं और सरकार को केवल मूकदर्शक नहीं बनना चाहिए, बल्कि कानून के आधार पर अपनी अथॉरिटी का इस्तेमाल करना चाहिए।

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