ASANSOL

DRM का नाम लेकर दुकानदार से हजारों की ठगी, जांच में जुटी पुलिस और आरपीएफ

बंगाल मिरर, एस सिंह, आसनसोल : आसनसोल में के डीआरएम का नाम लेकर ठगी की घटना से हड़कंप मच गया है। आसनसोल के मास मार्केटिंग इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान के मालिक से डीआरएम के नाम से फोन कर 70 हजार रुपये की धोखाधड़ी की गई है। दुकान के मालिक मनोज नंदी ने इसकी शिकायत आसनसोल दक्षिण थाने में की है। इसके आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। वहीं आरपीएफ भी अपने स्तर से जांच में जुट गई है।


आसनसोल के डीआरएम सुमित सरकार के नाम से किसी व्यक्ति ने आसनसोल शहर के गिरजा मोड़ के स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान मालिक मनोज नंदी को फोन किया और कहा कि कुछ रेलकर्मी सेवानिवृत्त होंगे। उन्हें एसी दिया जाएगा। जिसकी संख्या 32 है। इसके लिए कोलकाता से सिंगल टेंडर जारी किया है। टेंडर करने में समय लगेगा, इसलिए ऐसा जल्दी में किया जायेगा। यदि वह निर्दिष्ट दिनों के भीतर एसी मशीनों की आपूर्ति करना चाहते हैं, तो वह पूरी प्रक्रिया बताएंगे।

इसी तरह से 28 एलईडी टीवी की आपूर्ति करने की बात कही गई थी। कुल दो मोबाइल नंबरों से कॉल किया गया। दुकान की ओर से ट्रू कॉलर पर देखा कि दोनों फोन नंबर सुमित सरकार के नाम से हैं। उसके बाद दुकानदार को कोई संदेह नहीं हुआ।

फोन करने वाले के कहे अनुसार उन्होंने टेंडर से जुड़ी आगे की कार्रवाई के लिए आसनसोल में एक निजी बैंक शाखा से 29 अप्रैल से 8 मई के बीच चार बार में 19,500 रुपये, 17,600 रुपये, 10,000 रुपये और 25,000 रुपये एनईएफटी के माध्यम से एक बैंक खाते में भेजे । लेकिन कुछ दिनों बीतने के बाद जब कोई सूचना नहीं आई तो दुकानदार ने आसनसोल डीआरएम कार्यालय से संपर्क किया गया।

तब उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है। लेकिन वे यह जानकर चौंक गए कि डीआरएम के नाम पर ऐसा किया गया। इसके बाद दुकानदार ने आसनसोल दक्षिण पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने कहा कि शिकायत मिली है, जांच की जा रही है। पता चला है कि जिस खाते में पैसा भेजा गया। वह कोलकाता के एक सरकारी बैंक की शाखा का था। पुलिस के मुताबिक यह ठगी गिरोह काफी हद तक जामताड़ा गैंग की तरह है।

आसनसोल मंडल के आरपीएफ के वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त चंद्र मोहन मिश्रा ने बताया कि आरपीएफ अलग से जांच कर रही है। इसके अलावा, रेलवे द्वारा शहर के विभिन्न स्थानों पर बंगला, हिंदी और अंग्रेजी में चेतावनी के लिए साइन बोर्ड लगाए हैं। कहा गया है कि रेलवे किसी को भी नाम से बुलाकर रेलवे ऑफिस में कुछ भी सप्लाई करने के लिए नहीं कहता है। रेलवे द्वारा निर्दिष्ट वेबसाइट पर कुछ भी आपूर्ति करने के लिए टेंडर जारी किया जाता है। अगर कोई इस तरह की बात करता है तो गलत है। अगर भविष्य में ऐसा कुछ होता है तो इसकी सूचना रेलवे को देनी चाहिए।

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