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Japanese Encephalitis : बारिश के मौसम में रखें विशेष ध्यान,

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : जैसे ही बरसात के दिन शुरू होते हैं वैसे ही मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां फैलने लगती हैं। जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और जीका वायरस या अन्य। लेकिन इस मौसम में एक और बीमारी दस्तक देती है और वो है जैपेनीज इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis ) या बोलचाल की भाषा में कहें तो जापानी बुखार। जापानी बुखार फ्लेवीवायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है। यह एक संक्रमण वाला बुखार है, जिसमें मरीज को तेज बुखार आता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, आमतौर पर ये बुखार ग्रामीण इलाकों में अधिक होता है।

Japanese Encephalitis

Japanese Encephalitis में क्या होता है?

दरअसल, जापानी इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर फ्लेवीवायरस संक्रमित होते हैं। इंसेफेलाइटिस में दिमाग में सूजन हो जाती है, जो आमतौर पर वायरल इंफेक्शन के कारण होती है, ये सूजन हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है।

इंसेफेलाइटिस दो तरह के होते हैं – प्राइमरी और सेकेंडरी। प्राइमरी इंसेफेलाइटिस तब होता है जब कोई वायरस या अन्य एजेंट सीधे दिमाग को संक्रमित करता है जबकि सेकेंडरी इंसेफेलाइटिस शरीर की कमजोर इम्यूनिटी के कारण होता है। एक और बात, यह संक्रामक बुखार नहीं है यानि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है।

जापानी बुखार के क्या लक्षण हैं?

Japanese Encephalitis इसके लक्षणों की अगर बात करें तो इसमें तेज बुखार आता है, गर्दन में अकड़न होती है, सिरदर्द होता है, बुखार आने पर घबराहट होती है, ठंड के साथ-साथ कंपकंपी आती है और कभी-कभी मरीज कोमा में भी चला जाता है।

क्या इसकी कोई वैक्सीन उपलब्ध है?

जी हां, इसकी वैक्सीन उपलब्ध है। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के अनुसार, इसमें वैक्सीन की 3 डोज लेनी पड़ती है। शुरुआत की दो डोज 7 से 14 दिनों के गैप पर ली जाती है। वैक्सीन की तीसरी डोज एक महीने के बाद कभी भी ली जा सकती है। लेकिन, यह डोज दूसरी डोज लेने के एक साल के अंदर ही लेनी होती है। इसके साथ फिर 3 साल के बाद एक बूस्टर डोज भी लेनी होती है।

Japanese Encephalitis से बचाव के उपाय

-स्वच्छता: अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोएं, खासकर शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन करने से पहले और बाद में।

-वैक्सीनेशन: खुद भी और अपने बच्चों को वैक्सीनेटेड रखें।

-मच्छरों से बचाव: अपने चेहरे और शरीर पर एंटी-मॉस्किटो यानि मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं, कीटनाशक का प्रयोग करें, पानी इकट्ठा न होने दें और बारिश के समय में पूरी बाजू वाले कपड़े पहनें ताकि मच्छर के काटने का खतरा कम हो।

सरकार द्वारा क्या पहल की गयी हैं?

केंद्र सरकार द्वारा जापानी इंसेफेलाइटिस को लेकर अलग-अलग मंत्रालयों को जिम्मेदारी दी गयी है जैसे-

1. स्वास्थ्य मंत्रालय को कहा गया है कि वह जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीनेशन को ज्यादा से ज्यादा प्रभावित इलाकों में विस्तारित करे। इसके साथ यह निर्देश दिए गए हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों को मजबूत किया जाये और इससे जुड़े मामलों का बेहतर क्लीनिकल मैनेजमेंट किया जाये।

2. सुरक्षित जल आपूर्ति के लिए जल शक्ति मंत्रालय को कहा गया है

3. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करे कि कमजोर बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाला पोषण प्रदान किया जाए

4. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत विकलांगता प्रबंधन एवं पुनर्वास हेतु जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र स्थापित करना

5. मलिन बस्तियों और कस्बों में सुरक्षित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को कहा गया है

6. इसके साथ शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दिए गए हैं कि वह विकलांग बच्चों को शिक्षा हेतु विशेष सुविधाएं उपलब्ध करवाएं

आंकड़ों की मानें तो असम, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, ये पांच राज्य ऐसे हैं जहां पिछले 7 साल में जापानी बुखार के सबसे ज्यादा केस आये हैं। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 22 महीनों में इन जिलों के 97.41 लाख घरों में नल के पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। अब, बीमारी से प्रभावित जिलों के 1.05 करोड़ यानि 35% परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति मिल रही है। इन पांच राज्यों को 2021-22 के लिए जापानी इंसेफेलाइटिस – एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से निपटने के लिए 462.81 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

पिछले 7 साल में हुए मामले आधे

नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 7 साल में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम और जापानी इंसेफेलाइटिस Japanese Encephalitis के मामले आधे हो गए हैं। 2014 में जहां 12,528 मामले सामने आए थे, वहीं 2020 में कुल 6199 मामले सामने आए। साल 2021 की बात करें तो मई तक की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 869 केस अभी तक देखने को मिले हैं।

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