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Bappi Lahiri नहीं रहे संगीत प्रेमियों में शोक की लहर

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : Bappi Lahiri नहीं रहे संगीत प्रेमियों में शोक की लहर। भारतीय सिनेमा के मशहूर गीतकार बप्पी लहरी का आज निधन हो गया उनके निधन से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है। कुछ दिन पहले ही सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का निधन हुआ था कल ही प्रसिद्ध बांग्ला गायिका संध्या मुखोपाध्याय का निधन हुआ था और आज बप्पी लहरी छोड़ कर चले गए इससे देश के संगीत प्रेमियों में भारी शोक है।

Bappi Lahiri

गौरतलब है कि बप्पी लहरी Bappi Lahiri अपने गाने के साथ ही सोने के गहने के लिए भी काफी चर्चित रहते थे उन्होंने मात्र 3 वर्ष की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था और 14 वर्ष की उम्र से गाना शुरू किया था उनके सैकड़ों गीत आज भी हर भारतीय की जुबान पर रहते हैं

I Am A Disco Dancer” गाने को लोगों की जुंबा पर लाने वाले और डिस्को व रॉक म्यूजिक से लोगों को रूबरू कराने वाले मशहूर संगीतकार बप्पी लहरी का बुधवार को 69 साल की उम्र में निधन हो गया। बप्पी लहरी पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। बीते साल बप्पी लहरी को कोरोना वायरस भी हुआ था हालांकि कुछ दिन बाद ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था और वे घर आ गए थे, लेकिन इसके अलावा उनका कई बीमारियों का इलाज भी चल रहा था। पीएम मोदी ने शोक किया व्यक्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बॉलीवुड के मशहूर गायक और संगीतकार बप्पी लहिरी( Bappi Lahiri) के निधन पर शोक व्यक्त किया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘बप्पी लहिरी का जीवंत स्वभाव सभी को याद होगा। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।’ बप्पी लहरी ने जीवनभर संगीत को अपनी कर्मभूमि मानकर लगभग सभी भाषाओं में अपना संगीत दिया। उन्होंने 25 वर्षों के दौरान करीब 500 से अधिक फिल्मों में 3550 से भी अधिक गीत इन्होंने रिकॉर्ड किए हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्हें 300 से भी ज्यादा नेशनल और इंटरनेशनल अवॉर्ड मिले जिसमें फिल्म फेयर अवॉर्ड फिल्म शराबी के लिए दिया गया था।

उसके बाद उन्हें नेशनल अवॉर्ड और गोल्डन लोटस अवॉर्ड प्रोड्यूसिंग बेस्ट फीचर फिल्म ”लाल दर्जा” के लिए मिला। वहीं फिल्म डिस्को डांसर के लिए इन्हें चाइना के बीजिंग में चाइना गोल्ड अवॉर्ड भी मिला था। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इन्हें बेस्ट म्यूजिकल स्कोर फिल्म ”थानेदार” के लिए सम्मानित किया था। बप्पी लहरी का जन्म 27 नवंबर 1952 को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था। महज तीन साल की उम्र से ही उन्होंने तबला बजाना शुरू कर दिया था। यह देखकर उनके पिता अपरेश लहरी ने उन्हें और भी संगीत के गुर सिखाए। उनके पिता अपरेश लहरी पश्चिम बंगाल के बहुत बड़े सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर थे। इसके बाद पंडित शांता प्रसाद जी ने उन्हें गुरु के रूप में संगीत की ज्ञान दिया।

( Bappi Lahiri) कहां से शुरू हुई संगीत यात्रा

बप्पी लहरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक बार सुर कोकिला लता मंगेशकर जी ने कलकत्ता में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान उनका तबला सुना था। यह बात उन्होंने ही पंडित शांता प्रसाद जी बताई कि कलकत्ता में एक बहुत छोटे बच्चे को देखा जो बहुत अच्छा तबला बजाता है। इसके बाद पंडित शांता प्रसाद जी ने कोलकाता में आकर मुझे अपना शागिर्द बना लिया। जी हां, यही वो समय था जहां से बप्पी लहरी की असल संगीत यात्रा शुरू होती है। बप्पी लहरी ने इंटरव्यू के दौरान यह भी बताया था कि उनकी मां एक क्लासिकल सिंगर थी। उनके साथ वे ठुमरी, कजरी और विलंबित लय का गाना सुनकर सीखे।

संगीत की दुनिया में एक अलग आवाज

बप्पी लहरी संगीत की दुनिया में एक अलग आवाज और संगीत के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा उनकी एक और पहचान रही वो है सोने के एक साथ ढेर सारे गहने पहनना। दरअसल गोल्ड से उन्हें बेहद लगाव था। वो इसलिए क्योंकि वो उसे अपना लक मानते थे। 1980 के दशक में अपने संगीत और गानों के जरिए लोगों के दिलों में छाने वाले बप्पी लहरी ने डिस्को डांसर, शराबी और नमक हलाल जैसी सुपरहिट फिल्मों में गाने गाए थे।

फिल्मों में म्यूजिक का एक ट्रेंड किया चेंज

बप्पी लहरी ( Bappi Lahiri) जब फिल्मों में आए तो इन्होंने फिल्मों में म्यूजिक का एक ट्रेंड चेंज किया। पॉप म्यूजिक का दौर चला और इन्होंने बहुत ही अच्छे-अच्छे और फास्ट म्यूजिक के गीत दिए। ये सिर्फ म्यूजिक कम्पोज ही नहीं करते बल्कि इन्होंने कुछ मशहूर गीत भी गाए जिनमें से कुछ गीत हैं… बम्बई से आया मेरा दोस्त… (फिल्म-आप की खातिर) रात बाकी बात बाकी… (फिल्म-नमक हलाल) यार बिना चैन कहां रे… (फिल्म- साहिब) तमा-तमा लोगे… (फिल्म-थानेदार)

भारतीय फिल्मों में ( Bappi Lahiri) डिस्को म्यूजिक शुरुआत की

बप्पी लहरी ( Bappi Lahiri) को भारतीय फिल्मों में डिस्को म्यूजिक शुरुआत करने के लिए जाना जाता रहेगा। बप्पी दा ने सिर्फ हिंदी या बंगाली ही नहीं, मलयालम, पंजाबी, तेलगु, कन्नड़ और उड़िया गानों का भी म्यूजिक तैयार किया। बप्पी लहरी द्वारा गाए गए फिल्मी गीत अपने समय तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि आज भी उनमें वैसी ही ताजगी और वैसा ही रंग है। बप्पी लहरी बॉलीवुड के पहले ऐसे म्यूजिक प्रोड्यूसर थे जिन्होंने सिंथेसाइज्ड म्यूजिक को प्रचलित किया। बप्पी दा ने भारत में 80 और 90 के दशक में डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका अदा की। बप्पी दा को साल 1985 में फिल्म शराबी के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्म फेयर अवार्ड मिला। केवल इनता ही नहीं एक साल में 33 फिल्मों में काम करने पर उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया।

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