देश के हर जिले में AIIMS & मेडिकल कॉलेज की स्थापना होगी
बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : भारत को ”आत्मनिर्भर” बनाने के लिए एक साहस भरे कदम के रूप में केंद्र सरकार ने आने वाले वर्षों में अपनी पूरी ताकत झौंकते हुए चिकित्सा क्षेत्र को समर्थन प्रदान करने हेतु एक संकल्प लिया है। इससे देश के ”हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर” को वह मजबूती मिलेगी जिसमें वह अपनी सर्वोत्तम क्षमता तक पहुंच जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार देश के हर जिले में एम्स और मेडिकल कॉलेज की स्थापना करेगी। यह बात पीएम मोदी ने 7 मार्च 2022 को ”जनऔषधि दिवस” के मौके पर कही है। ऐसा भी नहीं है कि देश में इससे पहले मेडिकल क्षेत्र को अनदेखा किया जाता रहा हो। लेकिन हां, कोविड महामारी में उपजे हालातों ने बहुत कुछ बदलकर जरूरत रख दिया। इसलिए आज यह आने वाले समय की मांग बन गया है। तभी तो केंद्र सरकार का मेडिकल क्षेत्र पर मुख्य फोकस है। केंद्र सरकार अब भविष्य में सामने आने वाली ऐसी किसी भी चुनौती से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी कर रही है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में…




आज देश में 22 एम्स AIIMS
आजादी के इतने दशकों के बाद भी देश में केवल एक एम्स था, लेकिन आज देश में 22 एम्स काम कर रहे है। यानि अब देश में गरीबों को आसानी से इलाज मुहैया होगा। केवल इतना ही नहीं केंद्र सरकार का लक्ष्य देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का है। वर्तमान में देश में 562 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से 286 सरकारी क्षेत्र में हैं, जबकि 276 निजी क्षेत्र में हैं। अन्य 175 मेडिकल कॉलेज भी विकास की प्रक्रिया में हैं। 2013-14 में 52,000 एमबीबीएस सीटों के मुकाबले अब 84,000 यूजी सीटें हैं। कई चिकित्सा आयोग भी स्थापित किए जा रहे हैं। देश में लगभग 1,50,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं।
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर बढ़ रहे आगे
केंद्र सरकार देश के ”हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर” को निरंतर मजबूती प्रदान करने में जबरदस्त प्रयास कर रही है। भारत को हमेशा हर परिस्थिति में तैयार रहना होगा। लेकिन केवल सरकार अपने स्तर पर यह लड़ाई लड़े यह भी संभव नहीं है। इसलिए किसी भी बीमारी या महामारी से लड़ने के लिए या किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र पर आगे बढ़ना होगा। भारत अब इसी मंत्र पर आगे बढ़ रहा है।
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी फीस
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी। उससे ज्यादा पैसे फीस के नहीं लिए जा सकते हैं। इससे गरीबों और मध्यम वर्ग के बच्चों के करीब-करीब ढाई हजार करोड़ रुपए बचेंगे। मातृभाषा में मेडिकल एजुकेशन केवल इतना ही नहीं, अब स्टूडेंट अपनी मातृभाषा में मेडिकल एजुकेशन प्राप्त कर सकेंगे, टेक्निकल एजुकेशन ले सकेंगे। यानि जिस कारण से गरीब का बच्चा भी, मध्यम वर्ग का बच्चा भी, निम्न-मध्यम वर्ग का बच्चा भी, स्कूल में अंग्रेजी में नहीं पढ़े हैं, अब वे बच्चे भी अब डॉक्टर बन सकेंगे। यानि मेडिकल के क्षेत्र में एक नई क्रांति को जन्म देगा। इस प्रकार केंद्र सरकार के फैसले जनमामान्य के लिए फायदेमंद साबित होंगे। स्वाभाविक है कि जब गरीब व्यक्ति गरीबी से निकलकर इस मुकाम तक पहुंचेंगे तो वह अपनों की मदद के लिए सदैव खड़ा रहेगा। ऐसे में देश के गरीबों का सबसे अधिक कल्याण सुनिश्चित होगा।
मेडिकल की पढ़ाई की ख्वाहिश रखने वाले लाखों स्टूडेंट्स और पैरेंट्स देश में जब हर जिले में एम्स और मेडिकल कॉलेज होगा तो मेडिकल की पढ़ाई की ख्वाहिश रखने वाले लाखों स्टूडेंट्स और पैरेंट्स के भी सपने पूरे होंगे। अभी इस क्षेत्र में कम सीटें होने के कारण बहुत ज्यादा कम्पटीशन रहता है। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में मेडिकल की सीट बढ़ने से देश को और अधिक डॉक्टर मिलेंगे।
16,000 अंडरग्रेजुएट मेडिकल सीटें जोड़ी जाएंगी
भारत सरकार ने 2014 से देश भर में 157 नए मेडिकल कॉलेजों को स्वीकृति दी है और इन परियोजनाओं पर कुल 17,691.08 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। कार्य पूर्ण होने पर इन मेडिकल कॉलेजों में लगभग 16,000 अंडरग्रेजुएट मेडिकल सीटें जोड़ी जाएंगी। 2021 तक इनमें से 64 नए मेडिकल कॉलेजों के संचालित होने के साथ 6500 सीटें पहले ही सृजित की जा चुकी हैं।
मेडिकल कॉलेजों के अपग्रेडेशन के लिए कदम
केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के तहत, केंद्र सरकार ने देश में एमबीबीएस सीटें बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार या केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन के लिए लगभग 2,451.1 करोड़ रुपए भी प्रदान किए हैं।
केंद्र प्रायोजित योजनाओं के जरिए चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा
केंद्र सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के माध्यम से अधिक मानव संसाधनों के सृजन के उद्देश्य को निरंतर आगे बढ़ाया है, इससे चिकित्सा शिक्षा में न केवल समानता के मुद्दे और चिकित्सा देखभाल की उपलब्धता होगी अपितु भौगोलिक असमानता जैसे मुद्दों को भी हल किया जा सकेगा।
यह निम्नलिखित तरीकों से कार्यान्वित किया जाता है:
1. मौजूदा जिला व रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना 2. देश में MBBS सीटें बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार व केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों का उन्नयन 3. नए स्नातकोत्तर विषयों को शुरू करने और PG सीटों में वृद्धि के लिए राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों का सुदृढ़ीकरण और उन्नयन 4. केंद्र प्रायोजित योजना का संक्षिप्त विवरण: मौजूदा जिला व रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना
157 नए मेडिकल कॉलेजों को स्वीकृति
योजना के तहत उन जिलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाते हैं, सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं। इस मामले में वंचित, पिछड़े, आकांक्षी जिलों को वरीयता दी जाती है। योजना के तीन चरणों के तहत 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 63 मेडिकल कॉलेज पहले से ही काम कर रहे हैं। केंद्र प्रायोजित योजना के तहत स्थापित किए जा रहे 157 नए कॉलेजों में से 39 आकांक्षी जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं।
सरकारी कॉलेजों में 10,000 एमबीबीएस सीटें सृजित करने का उद्देश्य
देश के सरकारी कॉलेजों में 10,000 एमबीबीएस सीटें सृजित करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एमबीबीएस सीटों को बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार व केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों के अपग्रेडेशन (उन्नयन) के लिए केंद्र प्रायोजित योजना लागू की।
15 राज्यों में 48 कॉलेजों को मंजूरी दी गई पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वित्त पोषण प्रणाली क्रमशः 90:10 और अन्य राज्यों के लिए 60:40 है, जिसकी ऊपरी सीमा लागत 1.20 करोड़ रुपये प्रति सीट है। 15 राज्यों में 48 कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। इन कॉलेजों में 3325 सीटों की वृद्धि के लिए केंद्रीय शेयर के रूप में 6719.11 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
नए पीजी विषयों को शुरू करने और पीजी सीटों में वृद्धि के लिए उठाए गए कदम –
हर जिले में AIIMS योजना के पहले चरण में 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 72 सरकारी मेडिकल कॉलेजों को 4058 पीजी सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत अब तक 1049.3578 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की जा चुकी है। – योजना के दूसरे चरण में देश के सरकारी कॉलेजों में पीजी की 4000 सीटें सृजित करना था। पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वित्त पोषण प्रणाली क्रमशः 90:10 और अन्य राज्यों के लिए 60:40 है, जिसकी ऊपरी सीमा लागत 1.20 करोड़ रुपये प्रति सीट है। इस योजना के तहत अब तक कुल 16 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी की 1741 सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत अब तक 694.534 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की जा चुकी है।