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Lachhipur Redlight Area में दुर्गोत्सव की तैयारी, खूंटीपूजा की गई

बंगाल मिरर, साबिर अली, कुल्टी- ( Durgapuja at Lachhipur Redlight Area ) पश्चिम बंगाल का बेहद लोकप्रिय व विश्व भर में प्रसिद्ध दुर्गा पूजा को युनेस्को का सांस्कृतिक विरासत का दर्जा मिल चूका है, जिसको लेकर बंगाल के लोगों में खुशी की लहर है, बता दें कि बंगाल में दुर्गा पूजा बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है और दुर्गा पूजा बंगाल की संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ है। शिल्पांचल का लच्छीपुर यौनपल्ली इलाका भी चर्चित है।  यौनपल्ली में यौनकर्मी रहती हैं, भले ही इन यौनकर्मि महिलाओं के हांथों से दी गई मिट्टी लेकर माँ दुर्गा की मूर्ति तैयार होती हो पर दुर्गोत्सव के दौरान समाज मे इन यौनकर्मी महिलाओं के साथ हुई भेदभाव कहीं ना कहीं इनके मन और अंतर आत्मा को जरूर गहरा ठेस पहुँचाती है, जिसके बावजूद यौनकर्मी महिलाएं समाज के द्वारा दी गई तमाम तरह की पड़ताड़ना व अपमानो को भूल समाज के लिये हर समय और हर वक्त खड़ी रहती हैं, यही कारण है की उन्होंने समाज को बिना किसी तरह की कोई समस्या व नुकसान पहुँचाए यौनपल्ली मे ही माँ दुर्गा का आह्वान कर माँ की पूजा कर रही हैं।

जिस पूजा की नीव शनिवार को हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आसनसोल के लच्छीपुर यौनपल्ली मे रखी गई, और ढाक की धुन पर धर्ती मे बांस की खूंटी गाड़कर मंत्रो उच्चारण के साथ माँ दुर्गा का आह्वान किया गया, इस इलाके के शिवा राय ने बताया की यौनपल्ली इलाके मे पिछले दस वर्षो से माँ दुर्गा की पूजा होती है, और वह हर वर्ष माँ दुर्गा की पूजा काफी धूमधाम से करते हैं, उन्होने कहा की माँ की इस पूजा मे यौनपल्ली मे रहने वाली करीब 1200 यौनकर्मी महिलाएं हैं, जो अपनी कमाई का एक हिस्सा माँ की पूजा मे देती हैं, साथ ही कई अन्य लोग भी हैं जो माँ की पूजा मे सहयोग करते हैं, 

यहीं नही राज्य सरकार के तरफ से भी 60 हजार रुपए की सहयोग मिलने वाली है, अगले वर्ष 50 हजार रुपए सहयोग मिला था, इन तमाम सहयोगो से माँ की पूजा यहाँ होती है, उन्होने कहा की इस इलाके मे माँ की पूजा का आयोजन करने के पीछे भी एक बड़ा कारण है, कारण यह है की समाज मे यौन कर्मियों को काफ़ी घृणा के नजर से देखा जाता है, साथ मे उनको अपमानित भी होना पड़ता है, इस लिये इलाके की तमाम यौनकर्मी महिलाओं ने इलाके मे माँ की पूजा के लिये यह फैसला लिया, और फिर इलाके मे सभी के सहयोग से हर वर्ष धूम -धाम से माँ दुर्गा की पूजा शुरू हो गई।

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