Asansol के रानीगंज मुख्य डाकघर में हुए 92 करोड़ के घोटाले के 36 आरोपियों से वसूली की तैयारी !
डाक विभाग ने पीडीआर एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को लिखा पत्र
बंगाल मिरर , आसनसोल। लगभग 92 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र भ्रष्टाचार घोटाले रानीगंज मुख्य डाकघर या किशन विकास पत्र के 36 कर्मचारियों से उनकी संपत्ति की वसूली के लिए डाक विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है. आसनसोल के वरिष्ठ डाकघर के अधीक्षक देवव्रत बोस ने मामले को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय को पत्र भेजा है. इस पत्र में उन्होंने 36 अभियुक्तों के विरुद्ध लोक मांग वसूली अधिनियम, 1913 के तहत उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई करने का अनुरोध किया। उस आवेदन के अनुसार पश्चिम बर्दवान जिले के अपर जिला आयुक्त (विकास) संजय पाल नियमानुसार कार्रवाई कर रहे हैं।
सूत्रों से ज्ञात होता है कि रानीगंज के मुख्य डाकघर में 2002 से 2006 तक लगभग 92 करोड़ रुपये का आर्थिक भ्रष्टाचार था। उस समय राष्ट्रीय किसान विकास पत्र के घोटालेबाज के सामने पूरे राज्य में कोहराम मच गया था। करोड़ों रुपये का बचत प्रमाण पत्र। इस मामले में सीबीआई ने जांच शुरू कर दी ।
हाल ही में डाकघर के वरिष्ठ अधीक्षक व आसनसोल मंडल के एसएसपी ने पीडीआर एक्ट के तहत मामला दर्ज कर संभागायुक्त व जिला प्रशासन से कार्रवाई की अपील की है. अपने द्वारा दिए गए उस पत्र में उन्होंने उल्लेख किया कि धोखाधड़ी के मामले में शामिल 36 लोगों से 91,96,54,000 वसूल करना आवश्यक है, इसके लिए सुनवाई के बाद कार्रवाई की जानी चाहिए. देबब्रत बाबू ने इस बार बताया कि हमें पता चला है कि जिला प्रशासन इस पत्र के आधार पर कानूनी कार्रवाई कर रहा है।
उधर, जिले के अतिरिक्त जिला शासक संजय पाल ने कहा कि उनका आवेदन मिलने के बाद हम उन 36 लोगों को सुनवाई के लिए नोटिस भेज रहे हैं.यह नोटिस मिलने के बाद वे अपना बयान देंगे.
सूत्रों के मुताबिक इन 36 लोगों की अचल संपत्ति से पैसे की वसूली की जा सकती है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही रानीगंज डाकघर के एक वित्तीय घोटाले के मामले में 29 अगस्त को सीबीआई की विशेष अदालत ने रानीगंज को आरोपित किया था। आय से अधिक संपत्ति प्राप्त करने वाले डाकघर के मुख्य कैशियर सुभाष चंद्र लाएक को चार साल और उनकी पत्नी को एक साल की सजा सुनाई गई थी। साथ ही सुभाष बाबू पर 70 हजार रुपये और उनकी पत्नी पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। एक विशेषज्ञ वकील ने कहा कि सीबीआई जांच का पीडीआर एक्ट से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों दो तरफ जाएंगे।