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Gurunanak Jayanti : जो बोले सो निहाल….. Asansol में कीर्तन, Railpar में शोभायात्रा

बंगाल मिरर, आसनसोल ( Gurunanak Jayanti): सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी की जयंती मंगलवार को देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जा रही है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा के प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। आसनसोल शहर के रामबंधु तालाब कम्यूनिटी हॉल में भी गुरु नानक देव जी की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। गुरुवाणी सुनने के लिए गुरुद्वारे में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। ना सिर्फ आसनसोल बल्कि जिलेभर से बड़ी संख्या में लोग गुरुद्वारे में पहुंचे थे। वहीं मुर्गासाल स्थित गुरुद्वारे को आकर्षक रूप से सजाया गया था। समूचा गुरुद्वारा रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठा था। आखिर में लंगर का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने लंगर ग्रहण किया।

पटियाला पंजाब से विशेष रूप से बुलाए गए कीर्तनी जत्था जगतेस्वर सिंह ने गुरबाणी कीर्तन के माध्यम से संगतों को निहाल किया जगत गुरु गुरु नानक दियो कीर्तन के माध्यम से संगत मंत्र मुक्त किया गुरबाणी कीर्तन गायन द्वारा गुरु नानक साहिब जी के जीवन के ऊपर प्रकाश डाला गया वही ज्ञानी हरेंद्र सिंह अलवर वाले प्रचारक ने गुरबाणी कथा के द्वारा गुरु नानक साहिब जी के जीवन के बारे में संगत को अवगत कराया एवं गुरु नानक साहिब जी के उपदेशों पर चलने के लिए प्रेरित किया, दरबार साहिब अमृतसर के हजूरी अरदासिए राजदीप सिंह ने गुरु नानक साहिब जी के जीवन पर गुरबाणी के माध्यम से लोगों को अवगत कराया उन्होंने कहा हमें गुरू नानक जी के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करना होगा तभी जाकर हम लोग उस परमपिता के कार्यों को सफल कर सकेंगे । आसनसोल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान अमरजीत सिंह भरारा ने कहा यहां पर आसनसोल के मेयर विधान उपाध्याय, चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी उप मेयर अभिजीत घटक, वसीम उल हक  मेयर परिषद सदस्य गुरुदास चटर्जी डाक्टर देबाशीस सरकार, रणबीर सिंह जीतू, सिख वेलफेयर सोसाइटी के सुरजीत सिंह मक्कड़ गुरू महाराज जी का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से इन सभी को सम्मानित किया गया

Gurunanak Jayanti) ): वहीं रेलपार के धादका स्थित पंजाबी मोहल्ला गुरुद्वारा कमेटी में भी पूर्व पार्षद सुब्रत विश्वास, गुरतयान सिंह, कमेटी के अर्जुन सिंह, दिलेर सिंह, सुरेन्द्र सिंह, हीरा सिंह, जसवंत सिंह, गुरनाम सिंह, तेजा सिंह, निशान सिंह, दिलदार सिंह, गुरुदेव सिंह, हीरा सिंह आदि उपस्थित थे। यहां शाम में भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। नगर कीर्तन पंजाबी मोहल्ला से शुरू होकर पूरे धादका अंचल की परिक्रमा कर वापस आकर संपन्न हुआ। धादका रोड में भगत सिंह वेलफेयर कमेटी द्वारा सेवा शिविर लगाया गया था। शिविर में युवा नेता चंकी सिंह, विशिष्ट समाजसेवी आशीष पटेल भी मौजूद रहे।.

देशभर में मनाई जा रही श्री गुरु नानक देव जी की 553वीं जयंती, PM मोदी ने देशवासियों को दी बधाई



देश में मंगलवार को श्री गुरुनानक देव जी की जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने देशवासियों को श्री गुरुनानक देव जी की जयंती पर शुभकामनाएं दी। वहीं श्री गुरुनानक देव जी के 553वें प्रकाश पर्व पर देशभर के कई गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन और प्रभात फेरी भी देखने को मिली।

पीएम ने ट्वीटर पर वीडियो शेयर कर यूं दी शुभकानाएं

पीएम मोदी ने ट्विटर पर श्री गुरुनानक देव जी का एक वीडियो शेयर कर लिखा- ”श्री गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। एक न्यायपूर्ण और करुणामय समाज के निर्माण के हमारे प्रयासों में उनकी महान शिक्षाएं हमारा मार्गदर्शन करती रहें।”

ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪੁਰਬ ਨੂੰ ਸਮਰਪਿਤ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਇਆ। ਕੁਝ ਝਲਕੀਆਂ ਸਾਂਝੀਆਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ… pic.twitter.com/kIrBStW1Ss

— Narendra Modi (@narendramodi) November 7, 2022

प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें भी की शेयर

इसी के साथ ही पीएम मोदी ने प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं। एक फोटो में पीएम मोदी विशेष अरदास करते नजर आ रहे हैं। बता दें, इससे पहले सोमवार को श्री गुरुनानक देव जी की जयंती की पूर्व संध्या पर पीएम मोदी दिल्ली में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के आवास पर आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे। शीश नवाकर गुरुदेव की प्रार्थना की।

इस सिख परंपरा में देश भी कर्तव्य-सेवा परंपरा को बढ़ रहा आगे

उल्लेखनीय है कि प्रकाश पर्व का जो बोध हमेशा से सिख परंपरा में रहा है, आज देश भी उसी तन्मयता से कर्तव्य और सेवा परंपरा को आगे बढ़ रहा है। हर प्रकाश पर्व का प्रकाश देश के लिए प्रेरणापुंज का काम करता रहा है। इस दिन अलौकिक आयोजनों के बीच देश भर में सेवा में सहभागिता निभा रहे लोग देखने को मिलते हैं।

इस दिन लोग गुरुद्वारे जाकर गुरुग्रंथ साहिब को शीश नवाते हैं, कानों से गुरबानी का अमृत पान करते हैं, और लंगर के प्रसाद का आनंद लेते हैं। इससे हर श्रद्धालु को जीवन के संतोष की अनुभूति भी मिलती रहती है और देश के लिए, समाज के लिए समर्पित भाव से निरंतर काम करने की ऊर्जा भी अक्षय बनी रहती है। इस कृपा के लिए गुरु नानक देव जी को जितनी बार भी नमन किया जाए, वो कम ही होगा। ऐसे में श्री गुरु नानक देव जी की जयंती के पावन अवसर पर आइए जानते हैं आदि गुरु नानकदेव जी के जीवन के बारे में…

सिख धर्म के संस्थापक थे श्री गुरु नानकदेव जी

आदि गुरु नानकदेव जी सिख धर्म के संस्थापक रहे थे। उन्होंने समकालीन सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक विसंगतियों, विडंबनाओं, विषमताओं, आडंबरों,कर्मकांडों अंधविश्वासों तथा जातीय अहंकार के विरुद्ध लोक चेतना जागृत करने का अहम कार्य किय। साथ ही तत्कालीन लोदी और मुगल शासकों के बलपूर्वक मतांतरण तथा बर्बर अत्याचारों के विरुद्ध प्रखर राष्ट्रवाद का निर्भीकतापूर्वक क्रांतिकारी शंखनाद किया। उन्होंने विभिन्न उपमाओं, रूपकों, प्रतीकों और संज्ञाओं से परिपूर्ण अमृतवाणी से एक ओंकार सतनाम, आध्यात्मिक पवित्रता ,सामाजिक समरसता, साम्प्रदायिक सद्भाव, कौमी एकत, बंधुता लैंगिक समानता ,नारी सम्मान के साथ ही भेदभाव रहित समतामूलक समाज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर अपने स्वतंत्र दृष्टिकोण से हिंदू धर्म को संगठित संघर्ष प्रदान किया।

ननकाना साहिब में जन्मे थे श्री गुरु नानक देव जी

श्री गुरुनानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर के पास तलवंडी नामक स्थान में जो अब ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है, हुआ था। इनके पिता पटवारी कालू मेहता और माता का नाम तृप्ता देवी था। वह ईश्वरीय प्रतिभा से संपन्न दिव्यात्मा थे जो ध्यान, भजन, चिंतन, सत्य, अहिंसा, संयम और आध्यात्मिक विषयों में ही अधिक रुचि लेते थे। उनके जीवन की अनेक अलौकिक, असाधारण और चमत्कारिक घटनाएं हैं जो उनकी कर्म, भक्ति और ज्ञान साधना की महानता तथा अनासक्त भाव को प्रकाशित करती हैं।

अपने समय से बहुत आगे भविष्य का रखते थे ज्ञान

कहा जाता है कि पाठशाला में श्री गुरु नानक जी शब्द के साधक बन अपने समय से बहुत आगे भविष्य को पढ़ रहे थे। परा विद्या से अक्षरों की वर्णमाला में उन्हें परमात्मा की एकता और उनके स्वरूप का रहस्य दिखाई देता था। उनकी आध्यात्मिक ऊंचाई को देख उनके गुरु और मुल्ला गुरु भी शिष्य बन गए।

श्री गुरु नानक देव जी द्वारा कहे ये अनमोल शब्द आज भी किए जाते हैं याद

यज्ञोपवीत संस्कार के समय वे कहते हैं की ‘जनेऊ के लिए दया का कपास हो, उस दया रूपी कपास से संतोष रूपी सूत काता गया हो, साधना की गांठ हो। जैसे कर्म योगी कृष्ण ने गीता में उद्घाटित किया कि आत्मा को आग जला नहीं सकता, जल गला नहीं सकता, पवन उड़ा नहीं सकता उसी प्रकार जनेऊ ऐसा हो जो न कभी टूटे न कभी मैला हो और न कभी नष्ट हो। जिसने इस रहस्य को समझ लिया वही इस संसार में धन्य है। चरवाहे का कार्य करते समय वृक्ष के नीचे सो जाते हैं तब वृक्ष की छाया सूर्य से निरपेक्ष हो जाती है।

श्री गुरुनानक देव जी ने सदैव इस बात पर बल दिया कि सब मिलजुल कर रहें

श्री गुरुनानक देव जी ने सदैव इस बात पर बल दिया कि हम सब मिलजुल कर रहें। किसी का अहित न करें और जरूरतमंदों की हर संभव मदद करें। ईमानदारी से परिश्रम कर अपनी आजीविका कमाएं। मिल-बांटकर खाए और मर्यादापूर्वक ईश्वर का नाम जपते हुए आत्मनियंत्रण रखें। किसी भी तरह के लोभ या लालच को त्यागकर परिश्रम और न्यायोचित तरीके से कर्मठतापूर्वक धन कमाएं। उन्होंने सही विश्वास, सही आराधना और सही आचरण की शिक्षा दी। हमारे प्रेरणापुंज श्री गुरु नानक देव जी ने उस निराकार अनंत प्रभु की जय जयकार करते हुए यही प्रार्थना की कि वे भ्रमर की तरह प्रभु के चरण कमलों पर मधु की अभिलाषा से मंडराते रहे। वे प्रभु की महानता का वर्णन करने में असमर्थ है। उनकी दृष्टि में शब्द गुरु और आत्मा शिष्य है। यही जीवन का सौंदर्य है। शब्द के बिना अंधविश्वास और पाखंड नष्ट नहीं होता और न ही अहंकार से मुक्ति मिलती है।

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