DURGAPUR

Indian Bank ने दुर्गापुर में लोन वसूली के लिए फिर सील किया मकान

बंगाल मिरर, एस सिंह, दुर्गापुर : इंडियन बैंक ( Indian Bank ) के  लगभग 8 करोड़ रुपए बैंक लोन बकाया होने के कारण विधान नगर स्थित महालक्ष्मी पार्क में रहने वाले व्यापारी  के घर को बैंक अधिकारियों ने फिर से सील कर दिया। कुछ माह पहले भी इंडियन बैंक के आसनसोल और दुर्गापुर ब्रांच के अधिकारी और बैंक के अधिकृत एजेंट राजीव बनर्जी महालक्ष्मी पार्क पहुंचे थे और शराब व्यवसाई अमरनाथ साहा के घर को सील कर दिया था। इस दौरान पर्याप्त संख्या में पुलिस की तैनाती की गई थी। पुलिस की मौजूदगी में ही उनके घर को सील करने की कार्रवाई  पूरी की गई। बैंक के स्तर से उनके घर के बाहर नोटिस भी चिपका दिया गया था। लेकिन इसे लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद सील को तोड़दिया गया था।  लेकिन आज फिर बैंक ने घर को सील कर दिया। इस दौरान इंडियन बैंक आसनसोल की मुख्य प्रबंधक पौलमी मित्रा, वरिष्ठ प्रबंधक पवन कुमार नायक, दुर्गापुर बेनाचट्टी के प्रबंधक सौरभ पाठक, सहायक प्रबंधक सुमन चक्रवर्ती, रिकवरी एजेंट राजीव बनर्जी भी थे

बैंक सूत्रों के अंग्रेजी शराब के वितरक अमरनाथ साहा ने इंडियन बैंक की दुर्गापुर और  आसनसोल ब्रांच से होम लोन और बिजनेस लोन लिया था। अमरनाथ साहा ने इंडियन बैंक के दुर्गापुर ब्रांच से साढ़े 7 करोड़ और आसनसोल ब्रांच से 70 लाख रुपये लोन लिया था। बैंक के दुर्गापुर ब्रांच के सीनियर मैनेजर सौरभ पाठक ने बताया कि अंग्रेजी शराब के वितरक अमरनाथ साहा का बैंक लोन लगभग 8 करोड़ रुपए हो गया था और वे लोन नहीं चुका पा रहे थे। उन्हें कई बार बैंक के स्तर से नोटिस भेजा गया और बैंक के अधिकारियों ने उनके घर जाकर भी लोन चुकाने के लिए कहा।

लेकिन अमरनाथ साहा शुरू से ही बैंक लोन चुकाने को लेकर बहानेबाजी कर रहे थे। उन्हें फोन करके कई बार बैंक में बुलाया गया और जितना सम्भव हो सके, धीरे-धीरे बैंक लोन चुकाने तथा सेटलमेंट का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन अमरनाथ साहा ने इसमें भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब बैंक के पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। इसलिए विकल्प नहीं बचा था। इसलिए बाध्य होकर पुलिस की मौजूदगी में उनके घर को सील कर दिया गया।

अब इस संपत्ति को बेचकर जितना सम्भव हो सकेगा, सम्पत्ति की रिकवरी की जाएगी। शराब व्यवसायी अमरनाथ साहा ने बैंक के स्तर से लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उनके पास अंग्रेजी शराब का डिस्ट्रीब्यूटरशिप था, जिसे सरकार ने वापस ले लिया था । उसके बाद से उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रही, लेकिन उन्होंने बैंक से लोन सेटेलमेंट करने को कहा था। बैंक में उनके पांच करोड़ रूपये थे लेकिन बैंक उससे अपनी इंटरेस्ट का भुगतान करता गया।

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